8 Benefits Of Having Open Communication With Your Child: ओपन कम्युनिकेशन में आनेस्टी, ट्रांसपेरेंसी मेन होते हैं। इसके इलावा अपने ओपीनियंस, फीलिंग्स और थॉट्स को भी बिना किसी डर या झिजक के एक-दूसरे के साथ शेयर किया जाता है। इससे छोटी-मोटी प्रोब्लेम्स के सोल्यूशन्स तो बातों-बातों में ही निकल आते हैं।
8 फायदे बच्चे के साथ Open Communication रखने के
आजकल के बच्चे बहुत सेंसिटिव और समझदार होते हैं और इनके साथ ओपन कम्युनिकेशन रख कर ही इन्हें प्रॉपर्ली गाइड किया जा सकता है। बच्चे अगर अपने माँ-बाप के साथ खुल कर बात नहीं कर पाएंगे तो वे किसी दूसरे को बात शेयर करने के लिए ढूंढने लगेंगे जो कि खतरनाक भी हो सकता है। आइए डिटेल में जानते हैं कि माँ-बाप के अपने बच्चे के साथ ओपन कम्युनिकेशन रखने के क्या फायदे हो सकते हैं।
1. बांड स्ट्रांग होगा
अपने बच्चे के साथ कम्युनिकेशन ओपन रखने से उसके साथ आपका बांड स्ट्रांग होगा। जैसे-जैसे वह बड़ा होगा मुश्किल या फिर विएर्ड टॉपिक्स पर भी आपके साथ बात करने से हिचकिचाएगा नहीं और सारी बातें शेयर भी कर पाएगा।
2. अंडरस्टैंडिंग बढ़ेगी
बच्चों के साथ ओपन कम्युनिकेशन का एक फायदा यह भी है कि आप अपने बच्चे को ज़्यादा से ज़्यादा समझ पाएंगे और वे भी आपकी सिचुएशंस को समझेंगे और को-ऑपरेट कर पाएंगे। इससे मिसअंडरस्टैंडिंग होने का खतरा भी नहीं रहेगा।
3. बच्चों की सेल्फ-एस्टीम सुधरेगी
जब आप अपने बच्चे के साथ खुल कर बाते करेंगे तो बच्चे को लगेगा कि आप उनके साथ समय बिताने के साथ-साथ उनकी बातों को समझते हैं और उन पर फोकस करते हैं तो उनकी सेल्फ-एस्टीम इम्प्रूव होगी।
4. ट्रस्ट बिल्ड होगा
बच्चे की हर अच्छी-बुरी बात को सुन कर उनको बिना जज किये सलूशन देना भी ओपन कम्युनिकेशन का एक हिस्सा है। इस तरह बच्चों का आप पर ट्रस्ट बूस्ट होगा और वे फ्यूचर में भी आपके साथ अपनी बातें शेयर कर पाएंगे।
5. वैल्यूज एंड मोराल्स
ग्रेचीटीयूड, ईमानदारी, शेयरिंग, रेस्पेक्ट, हेल्पिंग और काइंडनेस बच्चों में ज़रूर होने चाहिए। आप अपने बच्चे को बातों में और एक्शन्स के साथ यह वैल्यूज और मोराल्स सिखा सकते हैं। इसके लिए आपको अपने बच्चे के साथ ओपन होना होगा।
6. कॉन्फिडेंस बूस्ट होगा
जब आप बातों-बातों में उनके अच्छे काम के लिए तारीफ करेंगे और आगे भी अच्छा काम करने के लिए प्रेरेंगे तो आपका बच्चा आत्म-विश्वास से भर जायेगा। इसका क्रेडिट भी बच्चे के साथ ओपन कम्युनिकेशन रखने को ही जाता है।
7. प्रॉब्लम-सॉल्विंग सीखेंगे
अपने बच्चे को आप ओपन-माइंडेड होना सिखाएं और उनको क्रिएटिविटी के लिए प्रमोट करें। हर काम के अच्छे और बुरे नतीजे के बारे में सोचना सिखाएं। इस तरह से उनकी प्रॉब्लम-सॉल्विंग स्किल्स इम्प्रूव होंगी।
8. इमोशनल सपोर्ट
अपने बच्चे के साथ रेगुलर्ली बात करते रहेंगे तो उन्हें ये अशोरेन्स मिलती रहेगी कि चाहे जो भी हो जाए आप उनके साथ खड़े रहेंगे। इससे उन्हें इमोशनल सपोर्ट मिलती है। मौका मिलते ही अपने बच्चे को यह एश्योरेंस देते रहें।