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क्यों परिवार बच्चे की Mental Health समझने में नाकाम हो जाते हैं?

आज के समय में मेंटल हेल्थ हमारे समाज में बहुत बड़ी समस्या है जिससे ज्यादातर जवान लोग जूझ रहे हैं। आज की यंग जनरेशन के साथ मेंटल हेल्थ के ऊपर बात करना बहुत जरूरी हो गया है।

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Rajveer Kaur
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Families Fails To Understand The Mental Health Of Child (Image Credit: Pinterest)

Families Fails To Understand The Mental Health Of Child: आज के समय में मेंटल हेल्थ हमारे समाज में बहुत बड़ी समस्या है जिससे ज्यादातर जवान लोग जूझ रहे हैं। आज की यंग जनरेशन के साथ मेंटल हेल्थ के ऊपर बात करना बहुत जरूरी हो गया है। अगर आपको कोई मेंटल हेल्थ से जुड़ी बात बता रहा है, उसे जरूर सुनिए। ऐसा मत कहें कि तुम ड्रामा कर रहे हो या फिर तुम काम से बचने के लिए ऐसे बहाने ढूंढते हो। आपको नहीं पता कि वह व्यक्ति किस हद तक मानसिक समस्या से पीड़ित है। आज हम बात करेंगे की क्यों भारतीय परिवार बच्चों की मेंटल हेल्थ को समझने में नाकाम हो जाते हैं-

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क्यों परिवार बच्चे की Mental Health समझने में नाकाम हो जाते हैं?

मेंटल हेल्थ को समस्या ना समझना

जिंदगी में अगर हमें आगे बढ़ना है तो हमें जिंदगी में बहुत सारी चीजों को पहले मानना पड़ता है। इसके बाद हम उन पर काम शुरू करते हैं और आगे निकल जाते हैं। ऐसे ही मेंटल हेल्थ है जब हम मानने लगेंगे की मेंटल हेल्थ जैसी कोई टर्म मौजूद है, लोग सच में ऐसी समस्याओं से जूझते हैं तब हम उस पर बात करेंगे और उन लोगों का सहारा बन पाएंगे जो इससे पीड़ित हैं। यह एक बड़ा कारण है जो भारतीय परिवार समझने में नाकाम हो जाते हैं। उन्हें लगता है कि हमारा बच्चा काम चोर है इसलिए ऐसे बहाने ढूंढ रहा है और आखिर इसका नतीजा 'सुसाइड' होता है।

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बच्चों के व्यवहार को समझे

जब भी आपका बच्चा मानसिक परेशानी से निकल रहा होता है तब उसके व्यवहार में बहुत सारे बदलाव आने शुरू हो जाते हैं जैसे चिड़चिड़ापन, अकेलापन, किसी से बात नहीं करना, अपने एक अलग जोन में रहना, नेगेटिव चीजों के बारे में पढ़ने और सुनना, छोटी सी बात का इतना ज्यादा स्ट्रेस ले लेना और नेगेटिव सोच आदि। इसकेऔर भी बहुत सारे लक्षण है जो बच्चे में दिखाई देते हैं। इन्हें बिल्कुल भी नजर अंदाज मत करें। यह बिल्कुल सही समय होता है जब आप बच्चे का सपोर्ट सिस्टम बन उसे इस स्थिति में से निकाल सकते हैं।

उनके साथ बात कीजिए

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मानसिक समस्याएं तब शुरू होती है जब बच्चों को कोई बात करने के लिए नहीं मिलता। उन्हें एक सहज और सुरक्षित जगह नहीं मिलती जिसमें वे अपने दिल की बात कर सके। इसलिए बच्चों के फ्रेंड्स बने, उन्हें ऐसा मत फील होने दे कि उनका इस दुनिया में कोई नहीं है। जब उन्हें ऐसा महसूस होता है तब वे अपने स्ट्रेस को कम करने के लिए कई और चीजों का सहारा लेने लग जाते हैं जैसे क्लबिंग, ड्रग्स और सोशल मीडिया आदि। इन सबके बुरे प्रभावों की चपेट में आकर बच्चे कई बार अपनी जिंदगी को ही दांव पर लगा देते हैं। अगर दोनों पेरेंट्स वर्किंग है तो उन्हें दिन में कुछ समय बच्चों को जरूर डेडिकेट करना चाहिए। यह दोनों की मेंटल हेल्थ के लिए बढ़िया है और इससे आपस में बढ़िया बॉन्ड भी पैदा होगा।

जेनरेशन गैप

आज के समय में ऐसी परेशानियों की एक वजह जनरेशन गैप भी है। पेरेंट्स आजकल की समय की समस्याओं को समझने में नाकाम हो जाते हैं। बच्चे  उनके साथ इतना रिलेटेबल और कनेक्ट फील नहीं कर पाते जिसके कारण यह समस्याएं आ जाती हैं। इसके लिए आप जनरेशन गैप कम कर सकते हैं। पेरेंट्स बच्चों की जिंदगी को समझने की कोशिश करें कि उनकी जनरेशन को क्या-क्या प्रॉब्लम्स फेस करनी पड़ती है?  बच्चे इस बात को समझे कि उन्हें खुद बताना पड़ेगा कि उन्हें क्या समस्या है? क्योंकि उन्हें आपकी जनरेशन की प्रॉब्लम्स नहीं पता है।

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