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Delta Plus Variant - पिछले महीने कोरोना का नया वारेंट डेल्टा प्लस वैरिएंट पहली बार इंडिया में डिटेक्ट हुआ था। उसके बाद से ही इस वैरिएंट को लेकर टेंशन बढ़ती गयी और साइंटिस्ट इस पर रिसर्च करते गए। जैसे ही हेल्थ मिनिस्ट्री ने बताया कि इस वैरिएंट का ट्रांसमिशन तेज़ी से होता है मतलब जल्दी फैलता है सबको टेंशन होने लगी है।
डेल्टा वैरिएंट इस लिए इतना खतरनाक है क्योंकि ये कोविद वायरस के स्पाइक प्रोटीन में पाया जाता है। यही प्रोटीन इंसान के सेल्स में जाकर घुसता है।
इस तरीके के म्यूटेशन होने के कारण हो सकता है कि ये इम्यून सिस्टम को पीछे छोड़ दे और इस से बच जाये। डेल्टा के ऊपर वैक्सीन का असर भी कम होता है। एक वैक्सीन के सिंगल डोज़ से तो इसके खिलाफ बहुत कम प्रोटेक्शन ही होता है। दूसरे डोज़ से इतना प्रोटेक्शन हो सकता है कि आप सीरियस नहीं होंगे। हमें ये याद रखने की जरुरत है कि कोरोना की वैक्सीन हमें पूरी तरीके से बीमारी से नहीं बचती है बस बीमारी को गंभीर होने से बचाती है।
Pfizer वैक्सीन का पहला डोज़ कोरोना के खिलाफ 33 % इफेक्टिव है और दूसरा डोज़ 88 % इफेक्टिव। इसके बाद AstraZeneca वैक्सीन पहले डोज़ के बाद 33 % और दूसरे के बाद 60 % तक इफेक्टिव है।
अभी फिल्हाल जो वैक्सीन इंडिया में इस्तेमाल की जा रही है उनके खिलाफ भी ये इसी तरीके से असरदार होगा। वैक्सीन और डेल्टा प्लस वैरिएंट को लेकर अभी सब जगह स्टडीज चल रही हैं।
- इस म्युटेशन को अभी इंडिया में 48 लोगों में पाया गया है और इसके लिए टोटल सैंपल 45000 लिए गए थे। ये वैरिएंट कोरोना के स्पाइक प्रोटीन का ही दूसरा फॉर्म है।
- वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन का कहना है कि डेल्टा वैरिएंट अभी तक का सबसे खतरनाक स्ट्रेन है और इंडिया में सबसे पहले निकलने के बाद अब सभी जगह फेल चुका है। इस वैरिएंट के कारण इंडिया में कोरोना की दूसरी लहर इतनी ज्यादा गंभीर हो गयी थी।
- स्टडीज में आया है कि ये आसानी से फैलता है, बढ़ता जल्दी है और लंग सेल्स पर स्ट्रॉन्ग्ली असर करता है।
- दिल्ली के रिसरचर्स के कहना है कि दिल्ली में हुए इन्फेक्शन्स में तीन चौथाई में ये वैरिएंट पाया गया। ये इन्फेक्शन उन लोगों में हुए जो पहले से ही वैक्सीन ले चुके हैं। इस में से 8% लोगों को कप्पा वैरिएंट और 76% को डेल्टा वैरिएंट हुआ था।
डेल्टा प्लस वैरिएंट इतना हटकर क्यों है ?
- ये डेल्टा का नया म्युटेशन सबसे पहले मार्च में यूरोप में निकला था ।
- जून में इंडिया में कोविद पेशेंट्स में भी ये म्यूटेशन पाया गया। इस से इंडिया में सिचुएशन थोड़ी क्रिटिकल हो गयी।
- कुछ साइंटिस्ट का कहना है कि इस वैरिएंट के कारण से इंडिया में एक और लहर भी आ सकती है।
डेल्टा प्लस वैरिएंट पर कौन सी वैक्सीन असरदार है ?
डेल्टा वैरिएंट इस लिए इतना खतरनाक है क्योंकि ये कोविद वायरस के स्पाइक प्रोटीन में पाया जाता है। यही प्रोटीन इंसान के सेल्स में जाकर घुसता है।
इस तरीके के म्यूटेशन होने के कारण हो सकता है कि ये इम्यून सिस्टम को पीछे छोड़ दे और इस से बच जाये। डेल्टा के ऊपर वैक्सीन का असर भी कम होता है। एक वैक्सीन के सिंगल डोज़ से तो इसके खिलाफ बहुत कम प्रोटेक्शन ही होता है। दूसरे डोज़ से इतना प्रोटेक्शन हो सकता है कि आप सीरियस नहीं होंगे। हमें ये याद रखने की जरुरत है कि कोरोना की वैक्सीन हमें पूरी तरीके से बीमारी से नहीं बचती है बस बीमारी को गंभीर होने से बचाती है।
Pfizer वैक्सीन का पहला डोज़ कोरोना के खिलाफ 33 % इफेक्टिव है और दूसरा डोज़ 88 % इफेक्टिव। इसके बाद AstraZeneca वैक्सीन पहले डोज़ के बाद 33 % और दूसरे के बाद 60 % तक इफेक्टिव है।
अभी फिल्हाल जो वैक्सीन इंडिया में इस्तेमाल की जा रही है उनके खिलाफ भी ये इसी तरीके से असरदार होगा। वैक्सीन और डेल्टा प्लस वैरिएंट को लेकर अभी सब जगह स्टडीज चल रही हैं।