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हम अपने बच्चों को बाहर जाकर खेलने को कहते हैं। घर पर रहकर बच्चे इंट्रोवर्ट,मोटापे का शिकार हो जाते हैं। वो फ़ोन में गेम्स भी खेलते रहते हैं,जिनसे उनकी आंखें भी खराब होती हैं। पर बाहर जाना भी हमेशा अच्छा हो ये ज़रूरी नहीं। बच्चों को बाहर भेजने के नुकसान - :
आजकल बाहर जाना सेफ़ नहीं है। कोरोना के केसेस रोज़ बढ़ते जा रहे हैं। मौसम में बदलाव को वजह से भी बहुत सी बीमारियां हो सकती हैं। ऐसे में बच्चों को घर से बाहर भेजना उनकी हैल्थ से कॉम्प्रोमाइज करना है।
पैरेंट्स के वर्किंग होने के वजह से वो बच्चे को टाइम नहीं दे पाते। ऐसे में वो बच्चे को घर से बाहर खेलने अकेले ही भेज देते हैं। इससे बच्चे गलत संगति में भी पढ़ सकते हैं ।लड़ाई झगड़े ,अब्यूजिव वर्ड्स यूज करना,बड़ों की रिस्पेक्ट नहीं करना सीख सकते हैं।
हर बच्चे का नेचर अलग अलग होता है। कुछ बच्चे बहुत बोलने वाले तो कुछ शांत होते हैं। इस तरह के शांत बच्चे एकदम से दोस्ती नहीं कर पाते,उनके दोस्त बहुत कम होते हैं। इस वजह से उनमें इन्फ्रियरिटी कॉम्प्लेक्स की भावनाएं आने लगती हैं और वे अकेला फील करते हैं।
बच्चों को सही गलत का अंदाज़ा नहीं होता। किसी दूसरे बच्चे को चिढ़ाना उन्हें बहुत पसंद आता है। उनको ये समझ में नहीं आता कि चिढ़ाने के बहुत से बुरे रिजल्ट्स भी हो सकते हैं। ऐसे में जिस बच्चे को चिढ़ाया जाता है,उसके दिमाग पर बुरा असर भी पढ़ सकता है,उसका सेल्फ कॉन्फिडेंस कम होने के भी चांसेज रहते हैं।
जब बच्चे घर से बाहर जाते हैं,तो वो हमारी नज़रों से दूर होते हैं। ऐसे में बहुत से ऐसे बुरे लोग होते हैं जो उनका गलत फ़ायदा उठा सकते हैं। इस सब के बारे में बच्चों को ज़्यादा पता भी नहीं रहता और इसलिए वो इन बातों को शेयर भी नहीं कर पाते।
ये बच्चों को बाहर भेजने के नुकसान हैं।
1- कोरोना और बाकी कि फ़ैलने वाली बीमारियों का खतरा -
आजकल बाहर जाना सेफ़ नहीं है। कोरोना के केसेस रोज़ बढ़ते जा रहे हैं। मौसम में बदलाव को वजह से भी बहुत सी बीमारियां हो सकती हैं। ऐसे में बच्चों को घर से बाहर भेजना उनकी हैल्थ से कॉम्प्रोमाइज करना है।
2- गलत बच्चों की संगति में पढ़ना -
पैरेंट्स के वर्किंग होने के वजह से वो बच्चे को टाइम नहीं दे पाते। ऐसे में वो बच्चे को घर से बाहर खेलने अकेले ही भेज देते हैं। इससे बच्चे गलत संगति में भी पढ़ सकते हैं ।लड़ाई झगड़े ,अब्यूजिव वर्ड्स यूज करना,बड़ों की रिस्पेक्ट नहीं करना सीख सकते हैं।
3 - दूसरे बच्चों के साथ ब्लेंड ना हो पाना-
हर बच्चे का नेचर अलग अलग होता है। कुछ बच्चे बहुत बोलने वाले तो कुछ शांत होते हैं। इस तरह के शांत बच्चे एकदम से दोस्ती नहीं कर पाते,उनके दोस्त बहुत कम होते हैं। इस वजह से उनमें इन्फ्रियरिटी कॉम्प्लेक्स की भावनाएं आने लगती हैं और वे अकेला फील करते हैं।
4 - बुलइंग या इसी तरह की नेगेटिव चीज़ों का खतरा -
बच्चों को सही गलत का अंदाज़ा नहीं होता। किसी दूसरे बच्चे को चिढ़ाना उन्हें बहुत पसंद आता है। उनको ये समझ में नहीं आता कि चिढ़ाने के बहुत से बुरे रिजल्ट्स भी हो सकते हैं। ऐसे में जिस बच्चे को चिढ़ाया जाता है,उसके दिमाग पर बुरा असर भी पढ़ सकता है,उसका सेल्फ कॉन्फिडेंस कम होने के भी चांसेज रहते हैं।
5 - सेक्सुअल हैरेसमेंट का खतरा -
जब बच्चे घर से बाहर जाते हैं,तो वो हमारी नज़रों से दूर होते हैं। ऐसे में बहुत से ऐसे बुरे लोग होते हैं जो उनका गलत फ़ायदा उठा सकते हैं। इस सब के बारे में बच्चों को ज़्यादा पता भी नहीं रहता और इसलिए वो इन बातों को शेयर भी नहीं कर पाते।
ये बच्चों को बाहर भेजने के नुकसान हैं।