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क्यों मेरे भाई का भी घर के काम सीखना उतना ही ज़रूरी है जितना मेरा ?

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Swati Bundela
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भारत के ज्यादातर घरों में आपने देखा होगा कि घर का काम लड़कियों को सिखाया जाता है जैसे कपड़े धोना या खाना बनाना। वहीं लड़कों पर यह जिम्मेदारी नहीं है। जब मेहमान घर पर आते हैं तो बहन ही उनके लिये पानी लाएगी जबकी भाई भी पास ही बैठा है लेकिन वो नहीं जाएगा।अगर कारण पूछो तो कह दिया जाता है की उससे नहीं होगा। अरे! क्यों नहीं होगा? क्या पानी लाना या खाना बनाना इतना मुश्किल है? ये तो बेसिक काम है जो हर किसी को आना चाहिये।

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लेकिन इस छोटी सी बात के पीछे भी कई कारण हैं। तो आइए जानते हैं की क्यों लड़कों को घर के कामों से अलग रखा गया है और यह सीखना उनके लिये कितना जरूरी है।

क्यों औरतों पर ही घर के काम सौंपे जाते हैं?

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ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इसमें patriarchy का बहुत बड़ा रोल हैं। Patriarchy या पितृसत्ता एक पुराना शब्द है जिसका मतलब है पिता की सत्ता, मगर आज इस शब्द का मतलब हो गया है 'पुरुष सत्ता(पावर)' है



पितृसत्ता एक सोशल सेटअप है जिसमें पुरुषों को महिलाओं से बड़ा माना जाता है और जिसमें घर के resources और फैसले पर पुरुषों का ज़्यादा कंट्रोल होता है। और तो और patriarchy को ज्यादा पावर महिलाओं से मिलता है क्योंकि हमारी दादी, नानी और माँ के दिमाग में ये बात डाल दी गई है की वे मर्दों से कमतर हैं और उन्हें घर के मर्दों की सेवा करनी है, बिल्कुल एक ब्रेनवाश की तरह।
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यही माइंडसेट वे आगे वाली जनरेशन को पास करते हैं ,जब वो कहते हैं कि भाई या पिता घर के काम नहीं करेंगे।

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क्यों मर्दों का घर कर काम करना उतना ही ज़रूरी है?



Patriarchy के कांसेप्ट को खत्म करना आसान नहीं क्योंकि यह हवा की तरह है हमारे आसपास, दिखती नहीं पर हर वक़्त होती है। इस concept को हम अवेयर और empower होकर ही खत्म कर सकते हैं।  जैसे की अगर सिर्फ बहन को बोला जाए घर के कामों में हाथ बटाने तो कहें की भाई को भी मदद करनी चाहिये क्योंकि यह बेसिक चीज़ें हैं जो सर्वाइव रहने के लिये जरूरी है और हर किसी इंसान को जानना चाहिये।

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अपनी माँ या दादी-नानी को बताएं कि घर पर सभी रहते हैं तो सबको घर के काम सीखना चाहिये और मदद करनी चाहिये। वह ज़माना गया जब लडकियों को घर के काम और बच्चों की जिम्मेदारी में बांध दिया जाता था, आज की लड़कियां पढी-लिखी हैं, अवेयर हैं और अपनी ज़िंदगी की गाड़ी किसी और के हाथ में नहीं देती।

शुरुआत से ही घर की औरतों को एम्पाॅवर करें।

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हमारे घर की महिलाओं का Patriarchy को ऐक्सेप्ट करने में ज़्यादा पढ़ा-लिखा ना होना और घर के मर्दों पर आर्थिक रूप से डिपेंड होना सबसे बड़ा कारण है। लेकिन कम पढ़े होने से खुद को कमतर समझना गलत है। आप यह तो बिल्कुल नहीं चाहेंगी की जो कुछ आपके साथ गलत हुआ है वो आपकी बेटी या बहू के साथ भी हो। इसलिए अपने घरों के पुरुषों को यह याद दिलाएं की घर सभी का है तो घर के काम भी।



शुरुआत घर से ही होती है और माइंडसेट भी घर से ही बनता है इसलिए घर पर हमेशा बराबरी का माहौल होना चाहिये, जैसे भाई ने बर्तन धो लिया और बहन ने बिजली का बिल भर दिया। जैसे अगर माँ कम पढ़ी हैं तो भी उनसे घर के फाइनेंस में ज्यादा हिस्सा लेने को कहें। इससे उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।
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यह समझना चाहिये कि बच्चों पर उनके जेंडर की वजह से कभी भेदभाव नहीं हो और इसकी शुरुआत फैमिली और घरों से ही की जा सकती है। बच्चों को यह यकिन दिलाएँ कि दुनिया में सब लोग बराबर है और हमें सबको बराबर सम्मान देना चाहिये।

पढ़िए : पितृसत्ता क्या है? कैसे लड़ सकते हैं इससे हम ?

#फेमिनिज्म पेरेंटिंग household work भाई घर के काम
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