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औरतों की इस सिचुएशन को समझने के लिए शीदपीपल ने बात की सलोनी चोपड़ा से ,जो कि एक यूथ इन्फ्लुएंसर है और इनकी इंस्टाग्राम पोस्ट्स से ब्रा डिबेट को काफ़ी हवा मिली है।
2016 मेंसलोनीनेअपनेइंस्टाग्रामपरएकफोटोपोस्टकीथीजिसमेवोब्राअपनेहाथमेंलेकेखड़ीथीऔरयेकहनाचाहतीथीकि'ब्राकोलेकरलोगइतनासोचतेक्यों हैं ? ब्रास्ट्रैपकादिखनाकोईशर्मकीबातनहींहै।'
"ब्रापहननेकीकुछलोगोंकोज़रूरतहै,कुछलोगोंकोनहींहै,इसमेंहमारीखुदकीचॉइसहोनीचाहिए" - सलोनी चोपड़ा
सलोनी का मानना है कि "ब्रा पहनना या न पहनना हमारी खुदकी चॉइस होनी चाहिए। अगर मैं बिना ब्रा के भाग सकती हूँ , कमफर्टेबल (comfortable) महसूस करती हूँ ,तो मैं ब्रा न पहनना ही प्रेफर करुंगी।लेकिन वही मेरी दोस्त को बिना ब्रा के परेशानी होती है तो वो ब्रा पहनना ही प्रेफर करेगी। सबकी अपनी मर्ज़ी और कम्फर्ट होना चाहिए। मैं ब्रा तब ही पहनती हूँ ,जब मुझे कोई स्टाइलिश ड्रेस पहननी होती है।"
क्याब्रापहननेकोलेकरसमाजकीसोचमेंकोईबदलावआयाहै?
"मुझे लगता है ,औरते ब्रा को लेकर बात करने लिए पहले से ज्यादा कम्फर्टेबले हुई है ,जैसे पीरियड्स को लेकर बदलाव आ रहा है। पर मुझे नहीं लगता सोसाइटी में कोई बदलाव आया है , ब्रा को आज भी ऐसी चीज़ मानी जाती है जिसे आप फैमिली की नज़रो के सामने खुले में नहीं रख सकते। कई औरतें ना चाहते हुए भी ब्रा पहनती है और उसे फैमिली की नज़रो से छुपा के रखती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अबतक हमारा समाज नहीं बदला है। "-सलोनी चोपड़ा