Sex Workers: सेक्स वर्कर्स का नाम सुनकर आपके दिमाग में अलग प्रकार की घृणा आ जाती है। पर कभी आपने खुद से यह पूछने की कोशिश की है कि ये घृणा क्यों? आखिर क्यों आ जाती है आपके चेहरे पर वो शिकन? और यदि आपका जवाब उनके काम से संबंधित है तो क्या आपने यह जानने की कोशिश की है कि क्या वह यह कारण अपनी मर्जी से कर रहे हैं? क्या आपने उनकी पीड़ा को समझने की कोशिश की है? इन सभी प्रश्नों पर हम अक्सर ध्यान नहीं देते, पर हमें इनकी व्यथा को समझना है तो इनका उत्तर ढूंढना होगा।
आखिर क्या हालात है सेक्स वर्कर्स की? कैसे हालातों का सामना उन्हें करना पड़ता है? आखिर क्या उनका कभी उद्धार हो पाएगा? आइए जानते हैं इन सभी प्रश्नों के जवाब इस ब्लॉग के जरिए
आइए जानते हैं कैसे लाइफ गुजारते हैं ब्रोथल्स के अंदर सेक्स वर्कर्स और कब सही होंगे हालात
सेक्स वर्कर समाज का एक बहुत ही मार्जिनलाइज़ड (Marginalized) तबका है। इन्हें ना केवल समाज से दूर रखा जाता है बल्कि समाज में इन्हें बहुत ही गंदी नजरों से भी देखा जाता है। परंतु कोई भी उनकी पीड़ा समझने को तैयार नहीं है। आम समाज में मान लिया जाता है कि वे बस सेक्स करते हैं पर समझने की बात यह है कि क्या उनका यह काम उन्हें पसंद भी है? क्या उन्हें कभी जीवन के दूसरे रूप को खोजने का मौका भी मिला है?
सेक्स वर्कर्स को कभी आम जीवन जीने का मौका ही नहीं मिलता
उन्हे ह्यूमन ट्रैफिकिंग(Human Trafficking) के द्वारा ऐसी जगह पर लाया जाता है, और फिर यहां से बचके निकालना नामुमकिन सा हो जाता है। कुछ सेक्स वर्कर्स अपने बचपन से ही इस काम में फस जाती है और कभी लाइफ को अच्छे नजरिए से देख ही नहीं पाती।
क्या कानून को कुछ नहीं करना चाहिए?
जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एएस बोपन्ना की तीन जजों की बेंच ने कहा, "वेश्यावृत्ति एक पेशा है और सेक्स वर्कर्स कानून के तहत सम्मान और समान सुरक्षा के हकदार हैं।" कोर्ट ने कहा, ''सेक्स वर्कर्स कानून के समान संरक्षण के हकदार हैं। जब यह स्पष्ट हो जाए कि सेक्स वर्कर एडल्ट है और सहमति से वेश्यावृत्ति में है, तो पुलिस को इसमें हस्तक्षेप करने या उसके खिलाफ कोई आपराधिक कार्रवाई करने से बचना चाहिए। इस देश के प्रत्येक व्यक्ति को संविधान के आर्टिकल 21 के तहत सम्मानजनक जीवन का अधिकार है।"
आखिरकार, कानून ने भी इसे एक पेशा मान ही लिया पर अब बारी हमारी है। हमें समाज के रूप में उन्हें सामान्य रूप से इज्जत देनी होगी और उन्हें सामान्य रूप से ट्रीट भी करना होगा तभी उन्हें आगे बढ़ने का मौका मिलेगा। यदि शिक्षा उन तक नहीं पहुंच पा रही तो हमें शिक्षा को उनके पास ले जाना होगा ताकि उनकी आगे वाली पीढ़ियां इस पेशे में ना फंसे और अपना और अपनी माता का सजग रुप से ध्यान रख सकें।