Sexist Dialogues: फिल्म हमारे जीवन का एक ऐसा पार्ट है, जो हमें एंटरटेनमेंट के साथ-साथ एक perspective भी देता है। फिल्मों के द्वारा हम ना केवल नई चीजों को जानते हैं बल्कि फिल्मों का प्रयोग एक बड़े लेवल पर किसी मैसेज को पहुंचाने के लिए भी किया जाता है। यह मैसेज पैडमैन, दम लगा कर हईशा जैसी फिल्मों की तरह एक अच्छे रूप में भी किया जा सकता है, तो वहीं कबीर सिंह जैसी कुछ फिल्मों के द्वारा गलत रूप में भी किया जा सकता है।
बॉलीवुड फिल्मों के डायलॉग्स में अक्सर देखा जाता है कि कुछ बातें बहुत ही गलत है और यही बातें बाद में चलकर normalise कर दी जाती है। आइए जानते हैं कुछ ऐसे डायलॉग्स जो बहुत ही सेक्सिस्ट(sexist) थे और उनका प्रभाव बहुत ही गलत पड़ा, इस ब्लॉग के द्वारा।
बॉलीवुड फिल्मों के ऐसे ही कुछ सेक्सिस्ट डायलॉग्स:
1.प्रीति चुन्नी ठीक करो!
"कबीर सिंह" मूवी वैसे तो बहुत हिट हुई थी परंतु उसमें male dominance को बहुत ज्यादा ही बढ़ावा दिया था। इस फिल्म ने गलत दवाब को प्यार का रूप दिखाकर बड़े पैमाने पर लोगों की सोच को खराब किया था। इस डायलॉग में भी प्रीति को अपने कपड़ों और अपने शरीर को ढकने के लिए कहा जा रहा है। लेकिन क्या यह अधिकार उसका नहीं होना चाहिए। पुरुष का उसे इस चीज के लिए बोलना नैतिक और मौलिक रूप में सही नहीं है।
2 "एक हाथ में ट्रॉफी, एक हाथ में लड़की "
"Student Of The Year" एक ऐसी मूवी थी जिसने अलग-अलग पैमानों पर लोगों को गुमराह किया और एक गलत इमेज दिखाई। इस डायलॉग में ही देखा जा सकता है कि लड़की को एक इनाम की तरह माना गया है जैसे कि वह कोई नॉन लिविंग चीज है। क्या हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि वह लड़की भी एक इंसान है और उसे इमोशंस के साथ प्यार करना चाहिए ना की एक ट्रॉफी समझकर उसे अपने साथ रखना।
3."बलात्कार से याद आया मेरी बीवी कहां है"
Grand Masti जैसी एडल्ट कॉमेडी(adult comedy) फिल्म्स बहुत ही गलत इमेज बना जाती है। ऐसी फिल्में गंदे जोक्स जो फीमेल बॉडी को टारगेट कर रहे होते हैं को प्रमोट करती है। यह डायलॉग अपने आप में ही कितना गलत है और एक महिला को बलात्कार के साथ जोड़ना कितना ही गलत खयाल है।
4. यह होती है असली लड़की, पल में बिपाशा, पल में मधुबाला
रोम-कॉम केटेगरी की मूवी "मेरे ब्रदर की दुल्हन" का यह डायलॉग अपने आप में एक प्रश्न बनकर रह जाता है कि क्या हम लड़कियों को उनके लुक्स और उनके कपड़े पहनने के तरीकों से जज करते हैं। इस डायलॉग में कैटरीना को बस बोल्ड कपड़े पहनने के लिए बिपाशा और घर के काम के लिए मधुबाला माना गया हैं। ऐसे में देखने वाली अनेक लड़कियों के दिमाग में स्किल्स और टैलेंट की जगह केवल यह गंदे विचार ही जाएंगे।
5.एक लड़की में क्या देखते हो? यह तो डिपेंड करता है कि वह आगे से आ रही है या पीछे से!!
"क्या सुपर कूल है हम" जैसी एडल्ट कॉमेडी फिल्में भद्दे बॉलीवुड का एक उदाहरण है। न जाने बॉलीवुड कब लड़कियों को उनके बॉडी पर चार्ज करना बंद करेगा यह डायलॉग सुनने में ही कितना बुरा और कितना भद्दा लग रहा है। लड़कियों को बस उनके बॉडी पार्ट्स के आधार पर जज किया जा रहा है।