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Child Marriage Causes Effects and Prevention: बाल विवाह एक गंभीर सामाजिक समस्या है, जो दुनिया भर में लाखों बच्चों, विशेष रूप से विकासशील देशों में, प्रभावित करती है। यह प्रथा बच्चों, खासकर लड़कियों की शादी कम उम्र में कर दिए जाने की परंपरा है। यह हानिकारक परंपरा सदियों से चली आ रही है और गरीबी, अशिक्षा, सामाजिक रीति-रिवाजों और लैंगिक असमानता जैसी गहरी जड़ों से जुड़ी हुई है। हालाँकि, इसे रोकने के लिए कई प्रयास किए गए हैं, फिर भी यह समस्या बनी हुई है और इसके कारण व्यक्ति और समाज पर गंभीर प्रभाव पड़ते हैं। इसलिए, बाल विवाह के कारणों, प्रभावों और रोकथाम के तरीकों को समझना बहुत जरूरी है, ताकि बच्चों के लिए एक बेहतर भविष्य सुनिश्चित किया जा सके।
बाल विवाह कारण प्रभाव और रोकथाम
1. बाल विवाह के कारण
बाल विवाह के कई कारण होते हैं, जिनमें से सबसे प्रमुख गरीबी है। जिन परिवारों की आर्थिक स्थिति कमजोर होती है, वे अपनी बेटियों की शादी कम उम्र में कर देते हैं, ताकि उनकी जिम्मेदारी से मुक्त हो सकें। कई बार माता-पिता को लगता है कि शादी के बाद उनकी बेटी को आर्थिक सुरक्षा मिल जाएगी और उसका जीवन बेहतर होगा। इसके अलावा, अशिक्षा भी बाल विवाह का एक बड़ा कारण है। जब माता पिता और बच्चे शिक्षित नहीं होते, तो वे बाल विवाह के दुष्प्रभावों को नहीं समझ पाते और इसे समाज में सामान्य मान लेते हैं।
2. बाल विवाह के प्रभाव
बाल विवाह के प्रभाव न केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि समाज और देश की प्रगति पर भी नकारात्मक असर डालते हैं। सबसे बड़ा प्रभाव शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। छोटी उम्र में शादी होने के कारण लड़कियों को गर्भावस्था से जुड़े कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी जान को भी खतरा हो सकता है। कम उम्र में माँ बनने से कुपोषण, रक्त की कमी एनीमिया, और प्रसव के दौरान जटिलताएँ होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा, बाल विवाह से शिक्षा पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। शादी के बाद लड़कियों को घर-गृहस्थी संभालनी पड़ती है, जिससे वे अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पातीं और उनके लिए नौकरी के अवसर सीमित हो जाते हैं।
3. बाल विवाह की रोकथाम
बाल विवाह को रोकने के लिए सरकार, समाज और परिवारों को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है। सबसे पहले, शिक्षा को बढ़ावा देना बहुत जरूरी है। जब लड़कियाँ शिक्षित होंगी, तो वे अपने अधिकारों को समझेंगी और आत्मनिर्भर बन सकेंगी। इसके अलावा, माता-पिता और समुदाय को भी शिक्षित करना आवश्यक है, ताकि वे बाल विवाह के नुकसान को समझ सकें और इस प्रथा को रोकने में सहयोग दें।
4. कानूनी उपायों को सख्ती से लागू करना
कानूनी उपायों को सख्ती से लागू करना भी जरूरी है। भारत में बाल विवाह निषेध अधिनियम दो हजार छह के तहत, अठारह वर्ष से कम उम्र की लड़कियों और इक्कीस वर्ष से कम उम्र के लड़कों की शादी गैरकानूनी है। लेकिन कई जगहों पर इस कानून का पालन ठीक से नहीं किया जाता। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस कानून का सख्ती से पालन हो और बाल विवाह करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
5. घरेलू हिंसा और शोषण
घरेलू हिंसा और शोषण भी बाल विवाह का एक गंभीर प्रभाव है। कम उम्र में शादी होने से लड़कियों को कई बार ऐसे रिश्ते में रहना पड़ता है, जहाँ वे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक शोषण का शिकार होती हैं। वे अपने अधिकारों और स्वतंत्रता से वंचित हो जाती हैं। इसके अलावा, बाल विवाह से आर्थिक अस्थिरता भी बढ़ती है, क्योंकि जब एक लड़की कम उम्र में शादी कर लेती है और उसकी शिक्षा अधूरी रह जाती है, तो वह आत्मनिर्भर नहीं बन पाती। इससे गरीबी का चक्र बना रहता है और पूरे समाज की प्रगति प्रभावित होती है।