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कोविड से रिकवर मरीज - कोरोना के साथ जहां नई बीमारियों के लक्षण ने लोगों को चिंता में डाल दिया है। वहीं अब एक और खबर आ रही है, कि कोरोनावायरस से ठीक होने वाले मरीजों कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना से रिकवर हुए मरीज शिकायत कर रहे हैं कि उन्हें छाती, पेट, लिंबस में गंभीर दर्द महसूस हो रहा हैं। दरअसल यह ब्लड क्लोटिंग या थ्टूबोसिस के कारण हो रहा है।
वहीं डॉ का कहना है कि थ्टूबोसिस के मामले रेयर हैं, लेकिन जिस की स्थिति गंभीर नहीं थी वह भी थ्टूबोसिस ग्रस्त होते दिख रहे हैं।
कंसलटेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर सोहेब नदीम का कहना है कि इससे ग्रस्त मरीज इलाज के बाद ठीक हो जा रहे हैं। वही ऐसे मामले ज्यादातर डायबिटीज और कार्डियक अरेस्ट के मरीजों में देखे जा रहे हैं। आमतौर पर ऐसे मामले हॉस्पिटल में रहने के दौरान आ रहे हैं या डिस्चार्ज होने के 1 महीने के अंदर देखे जा रहे हैं।
पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ रवींद्र सरनाइक ने कहा कि यह मूल्यांकन पर निर्भर करता है और ज्यादातर अन्य कारण है, जैसे कि संक्रमण के बाद के चरण में इन्फ्लेमेटरी मार्कर और पैच वजह से भी हो सकता है। 80 प्रतिशत कोविड रोगी घर पर ठीक हुए थे। यदि उनमें स किसी का भी नोबेल कोरोनावायरस करण हालत बिगड़ती है, तो उनका SPO2 नीचे चला जाता है या D-Dimer बढ़ जाता है। जिसके बाद इनकी स्थिति गंभीर हो जाती है।
कोविड होने के बाद जो मध्यम से गंभीर हो जाती है उन्हें रोगियों को थ्टूबोसिस का अधिक खतरा होता है क्योंकि उन्हें अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है और अधिक दवाया दी जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि डिस्चार्ज होने के बाद एशियन को 28 दिन तक अलर्ट रहना चाहिए।
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ जसपाल अर्नेजा ने कहा कि वे बहुत से रोगियों में क्लोटिंग की समस्या देख रहे हैं। “हमारे पास कोविड से रिकवर हुए मरीज में फेफड़े में आर्टरीज के ब्लॉकेज और दिल के दौरे मामले सामने आ रहे हैं। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि कोविड के रोगी जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था और वस्क्युलर जटिलताओं को रोकने के लिए anticoagulants दवाई पर रखा जाए।
डॉक्टर्स को इस बारे में क्या कहना है ?
वहीं डॉ का कहना है कि थ्टूबोसिस के मामले रेयर हैं, लेकिन जिस की स्थिति गंभीर नहीं थी वह भी थ्टूबोसिस ग्रस्त होते दिख रहे हैं।
इसके मामले इन मरीजों में ज्यादा पाया जा रहे हैं
कंसलटेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर सोहेब नदीम का कहना है कि इससे ग्रस्त मरीज इलाज के बाद ठीक हो जा रहे हैं। वही ऐसे मामले ज्यादातर डायबिटीज और कार्डियक अरेस्ट के मरीजों में देखे जा रहे हैं। आमतौर पर ऐसे मामले हॉस्पिटल में रहने के दौरान आ रहे हैं या डिस्चार्ज होने के 1 महीने के अंदर देखे जा रहे हैं।
मरीजों को यह समस्या क्यों हो रही हैं?
पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ रवींद्र सरनाइक ने कहा कि यह मूल्यांकन पर निर्भर करता है और ज्यादातर अन्य कारण है, जैसे कि संक्रमण के बाद के चरण में इन्फ्लेमेटरी मार्कर और पैच वजह से भी हो सकता है। 80 प्रतिशत कोविड रोगी घर पर ठीक हुए थे। यदि उनमें स किसी का भी नोबेल कोरोनावायरस करण हालत बिगड़ती है, तो उनका SPO2 नीचे चला जाता है या D-Dimer बढ़ जाता है। जिसके बाद इनकी स्थिति गंभीर हो जाती है।
कोविड होने के बाद जो मध्यम से गंभीर हो जाती है उन्हें रोगियों को थ्टूबोसिस का अधिक खतरा होता है क्योंकि उन्हें अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है और अधिक दवाया दी जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि डिस्चार्ज होने के बाद एशियन को 28 दिन तक अलर्ट रहना चाहिए।
हृदय रोग विशेषज्ञ इसके बारे में क्या कहना है ?
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ जसपाल अर्नेजा ने कहा कि वे बहुत से रोगियों में क्लोटिंग की समस्या देख रहे हैं। “हमारे पास कोविड से रिकवर हुए मरीज में फेफड़े में आर्टरीज के ब्लॉकेज और दिल के दौरे मामले सामने आ रहे हैं। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि कोविड के रोगी जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था और वस्क्युलर जटिलताओं को रोकने के लिए anticoagulants दवाई पर रखा जाए।