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क्या भारतीय शादियां सच में लंबी चलती हैं या ये सिर्फ़ एक भ्रम है?

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Swati Bundela
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दुनिया में बाकी किसी भी देश के मुकाबले भारत में डायवोर्स की दर 1 प्रतिशत भी कम है जो कि बहुत अच्छी बात है। तो क्या इससे ये परिणाम निकल सकता है कि भारतीय शादियां लंबी चलती हैं? हम क्या बिल्कुल सही कर रहे हैं? क्या हम भारत की शादियों के लंबे चलने की टिप्स और भारतीय समाज में डायवोर्स रेट कम होने का कारण दुनिया के अन्य देश और पश्चिमी सभ्यता को दे सकते हैं? क्या हम भी दुनिया को बता सकते हैं कि कैसे भारत में शादियां जन्म जन्मांतर के लिए चलती हैं?

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भारत में शादियों के लंबे चलने के कारण



ऐसा नहीं है कि जो शादियां लंबी चलती हैं वो हर तरह से सफल ही हों। पर फिर भी ऐसे क्या कारण हैं जो भारत की शादियों को इतना लंबा चलाते हैं ?

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हम आज इस मुद्दे पर बात नहीं करेंगे कि भारतीय शादी लंबी चलने के साथ-सथ सफल है या नहीं बल्कि हम बात करेंगे उन मुद्दों पर जिनके कारण भारतीय शादियां लंबी चलती हैं।

1. समाज में डायवोर्स को अभी भी सामाजिक तौर पर स्वीकार नहीं किया जाता है

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हमारे समाज में इस चीज से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता कि एक शादी में जोड़ा यानी कि पति और पत्नी खुश है या नहीं बल्कि उन्हें सिर्फ उनके ऊपरी और दिखावटी दृष्टि से फर्क पड़ता है जिसके कारण डाइवोर्स किसी भी तरह से समाज में एक सही हल नहीं माना जाता है।



हमारे आसपास ना जाने कितनी ही महिलाएं अपने रिश्तो में गंभीर घरेलू हिंसा सहती हैं लेकिन फिर भी वह किसी भी प्रकार से डायवोर्स को एक हल नहीं मानते हैं क्योंकि उनके लिए वह रिश्ता निभाना एक मजबूरी या फिर जिम्मेदारी बन कर रह जाता है।
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2. हमारे समाज में डायवोर्स परिवार और समाज का मुद्दा माना जाता है



भले ही किसी रिश्ते में कितने ही विवाद , कितनी ही परेशानियां क्यों ना हो लेकिन समाज के लिए सबसे जरूरी है कि पति पत्नी का रिश्ता ऊपर से अच्छा दिखे। हमारे समाज में डायवोर्स सिर्फ दो लोगों के बीच का मुद्दा नहीं है बल्कि यह पूरे समाज और परिवार का मुद्दा बन जाता है।
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हर पति पत्नी को डायवोर्स लेने से पहले यह सोचना पड़ता है कि उनके डाइवोर्स का प्रभाव उन से ज्यादा किसी दूसरे इंसान पर कितना पड़ेगा। डाइवोर्स का प्रभाव हमारे समाज में इतना ज्यादा है कि जिस घर में डायवोर्स का इस्तेमाल किया भी जाता है उस घर में लोग रिश्ता करने और उस परिवार को सामाजिक तौर से स्वीकार करने तक में हिचकिचाते हैं।

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समाज की सामाजिक मंजूरी और समाज से निकल जाने का डर कहीं ना कहीं शादियों को लंबा चलाने का एक मुख्य कारण होता है जिस कारण पति पत्नी कोशिश करते हैं कि वह एक दूसरे के साथ ही सब कुछ एडजस्ट कर लें।

3. महिलाओं का इंडिपेंडेंट न होना

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समाज और डायवोर्स के डर के अलावा महिलाओं का भारतीय समाज में इंडिपेंडेंट या आत्मनिर्भर न होना भी डायवोर्स के ना होने का बड़ा कारण होता है।



हमारे समाज में मुख्यतः रोटी कमाने वाले लोग पुरुष ही होते हैं जिस कारण महिलाएं उन पर पूरी तरह निर्भर होती है। शादी के बाद महिलाओं को पराया बोल कर उनके मायके वाले उनसे पल्ला झाड़ने की कोशिश करते हैं जिसके कारण डायवोर्स के बाद उन्हें किसी भी तरह का सपोर्ट देने से मना कर दिया जाता है।



इसलिए किसी भी तरह का फाइनैंशल सपोर्ट ना होने के कारण महिलाएं खुद को बेबस महसूस करती हैं और डाइवोर्स लेने से परहेज कर के शादी में हो रहे मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न को सहती हैं।



यह कारण शायद आपको या तो भारत में शादी के लंबे चलने पर गर्व महसूस करा सकता है या समाज का इतना पिछड़ा होने से उसे बदलने पर मजबूर कर सकते हैं।
सोसाइटी
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