एक व्यक्ति का अपने जीवन में शादी करना और अपना परिवार आगे बढ़ाना आवश्यक है। यह मान लो जैसे प्रकृति का नियम है। पर इसका यह मतलब नहीं की किसी को जबर्दस्ती इस रिश्ते को निभाना पड़े। सारी शादियाँ सफल नहीं हो पाती और बात कई बार तलाक तक भी चली जाती है। इसके निम्न कारण हैं - तलाक नॉर्मल है
1)डिफरेंट प्वाइंट ऑफ़ व्यू का होना
शादीशुदा व्यक्तियों के मध्य किसी न किसी बिंदु / प्वाइंट को लेकर आमतौर पर भिन्न राय पाई जाती है और ये आम सी बात है। लेकिन अगर उनके सोचने की प्रवृत्ति एक-दूसरे के पूर्व - पश्चिम होगी तो नॉर्मल ही बात पर भी लड़ाई या बहस हो सकती है। एक दूसरे को समझने में नाकाम होने के कारण ही बात तलाक तक जा पहुंचती है।
2) फाइनेंशियल कंडीशन को लेकर बहस
अधिकतर तलाक के मामलें आर्थिक कारणों से भी होते हैं। पत्नी इस आर्थिक होड़ के युग में पति से अच्छी जीवनशैली में रहने, खाने-पीने और घूमने की उम्मीद पालती है। लेकिन कई बार पति के बजट नहीं होने के कारण आपस में मतभेद हो, बात तलाक की तरफ बढ़ जाती है। तलाक नॉर्मल है
3) इगो हर्ट होने पर
कई बार दंपत्ति (कपल) के बीच में, तो कई बार उनके परिवारों व परिवारों के सदस्यों के मध्य कई मामलों में एक-दूसरे का इगो हर्ट होने से भी बात डाइवर्स की तरफ बढ़ जाती है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि रिश्ते एगो से बढ़कर होते हैं और परिवार के सामने झुकना भी पड़े तो इसमें कोई शर्म की बात नहीं है।डायवोर्स नॉर्मल है
4) एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर
अधिकतर मामलों में हमें यह देखने को मिलता है कि पति और पत्नी द्वारा विवाहेत्तर संबंध (मैरिटल अफेयर) पाया जाना या अपने जीवनसाथी के अलावा किसी अन्य व्यक्ति से संबंध रखने पर वाद विवाद पैदा होने पर मामला तलाक की तरफ बढ़ता है। ऐसे में यह बेहतर होगा की हम सोच समझकर शादी का फैसला लें ताकि दो लोगों की जिंदगी बर्बाद होने से बच जाए।
5) किसी मामले में हाथापाई का होना
कोई भी घटना जिस के संबंध में पति और पत्नी द्वारा बात या वाद विवाद से आगे बढ़कर हाथापाई, मारपीट, गाली-गलौच आदि तक यदि बात पहुंचे तो बात तलाक की तरफ बढ़ जाती है। ऐसे में यह ज़रूरी है कि हम समझदार बने और बात को आपसी प्रेम से ही सुलझाने की कोशिश करें। तलाक नॉर्मल है