अगर आप भारतीय समाज से परिचित हैं तो आप जानते होंगे कि तलाकशुदा महिलाओं से क्या उम्मीदें की जाती है। तलाकशुदा महिलाओं से लोग यहां उम्मीद करते हैं कि वह बहादुर बने, आत्मनिर्भर बने और अपनी और अपने बच्चों की जिंदगी को सही ढंग से चलाएं।
पहले तो लोग तलाक को एक ऐसी चीज मानते थे जिसके बाद एक महिला उनके लिए बुरी हो जाती थी। लेकिन महिला सशक्तिकरण की जागरूकता के कारण अब लोग महिलाओं को सपोर्ट करने लगे हैं। वह तलाक के बाद उन्हें आत्मनिर्भर बनने और बहादुर बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। लेकिन अभी तक समाज में तलाकशुदा महिलाओं का अपने प्यार को दूसरा मौका देना स्वीकार नही किया जाता।
तलाकशुदा महिलाओं का अपने प्यार को दूसरा मौका देना क्यों असाधारण है?
लोग इस बात को आसानी से स्वीकार नहीं कर पाते हैं कि कोई महिला तलाक के बाद खुद को प्यार करने और उस प्यार के साथ अपनी नई जिंदगी शुरू करने का मौका दें। लोगों के लिए पता नहीं यह क्यों इतनी बड़ी और असाधारण बात है। जब एक पुरुष अपनी बीवी से तलाक लेकर दूसरी शादी करना या अपनी प्रेमिका के साथ घर बसाना साधारण है तो महिलाओं का यह करना असाधारण क्यों?
इस समाज में महिलाओं का डाइवोर्स लेना ही अपने आप में एक बहुत बड़ी बात मानी जाती है। अरे लोगों की तो छोड़िए खुद लड़की के माता-पिता उसे डायवोर्स ना लेकर एडजस्ट करने की सलाह देते हैं। लेकिन जब आप किस रिश्ते में खुश ही नहीं तो भला उसमें क्यों रहे?
डायवोर्स का स्टिगमा
यह ज्यादातर लव मैरिज में होता है कि परिवार वाले शादी से पहले ही अपनी बेटी को सतर्क कर देते हैं। वे उसे चेतावनी देते हैं कि अगर इस शादी के बाद तलाक जैसी परिस्थिति आई तो उसके लिए वह खुद जिम्मेदार होगी। तो वहीं दूसरी तरफ अरेंज मैरिज में महिलाओं के जीवन को उनके पति, बच्चे और परिवार के लिए समर्पित समझा जाता है।
उसे घर की इज्जत और अपने बच्चों के भविष्य का वास्ता देकर एडजस्ट करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। लेकिन इतना एडजस्ट करने की जरूरत क्यों है? क्यों वह तलाक नहीं ले सकती? आखिर क्यों तलाक लेना या तलाकशुदा होना इतनी बड़ी बात है? धीरे धीरे लोग तलाकशुदा महिलाओं के समर्थन में तो आ रहे हैं लेकिन वे अभी भी उनके तलाक के बाद दूसरी शादी करने या अपने प्रेमी के साथ अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करने को नॉर्मलाइज नहीं कर पा रहे हैं।
जादूगर जैसी फिल्में क्यों ज़रूरी है?
बॉलीवुड की कुछ ऐसी फिल्में हैं जो तलाक के बाद महिलाओं के अपने प्यार को दूसरा मौका देने को साधारण बात बताती है। वे यह साबित करती हैं एक महिला का मैरिटल स्टेटस ही सब कुछ नहीं होता और इस पर इतना ध्यान देने की जरूरत नहीं है।
जादूगर फिल्म में मीनू मुख्य किरदार है जिसे दिशा नाम की लड़की से प्यार हो जाता है। दिशा मीनू के कोच की बेटी है। अपने कोच को उनकी बेटी से शादी करने के लिए मनाने के लिए मीनू टूर्नामेंट भी खेलता है। अहम बात यह है कि दिशा के पिता और दिशा की जिंदगी पर का तलाकशुदा होना बहुत प्रभाव डालता है। लेकिन मीनू के लिए दिशा का तलाकशुदा होना या उसका मैरिटल स्टेटस कोई फर्क पैदा नहीं करता।
उसे दिशा से प्यार है और उसके लिए वही काफी है। इसी तरह यामी गौतम और आयुष्मान खुराना की फिल्म विकी डोनर मैं भी फीमेल लीड रोल के तलाकशुदा स्टेटस को बहुत साधारण फिल्माया गया है। वहीं दूसरी तरफ दिल धड़कने दो में शादीशुदा आयशा का सनी के साथ रोमांस लोगों को बहुत पसंद है और वे चाहते हैं कि वह दोनों एक साथ हो। क्योंकि आशा एक टॉक्सिक रिलेशनशिप में है। आयशा अपने पति को छोड़ने का फैसला लेती है और शनि के साथ अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करती है जो दर्शकों के लिए बहुत नॉर्मल है।