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गार्डनिंग करना हमें लाइफ स्किल्स सिखाता है - प्रतिभा शाक्या

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Swati Bundela
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1.आपने गार्डनिंग करना कब शुरू किया?


मैंने गर्डनिंग करना करीब दो साल पहले शुरू किया था | मैंने अपने नानाजी को बचपन से गर्डनिंग करते हुए देखा है और मुझें गर्डनिंग में रुचि
उनकी वजह से ही आयी है |जब भी मेरे पास टाइम होता था मैं उनकी मदद करती थी और इसी तरह मैंने गर्डनिंग करना शुरू किया और अब मैं गर्डनिंग में ही अपना करियर बनाना चाहतीं हूँ |
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2 आप गार्डनिंग में कौन - कौन से पौधे उगाती हैं?


मैं गर्डनिंग में फोलिएज प्लांट्स , फ्लॉवरिंग प्लांट्स औऱ सब्जियाँ उगाती हूँ ..जैसै फोलिएज प्लांट्स मे सिंगोनियम,पोथोस जिसे हम मनी प्लांट के नाम से भी जानते हैं ,फ्लॉवरिंग प्लांट्स मे मधुमालती ,अपराजिता ,परीज़ाद ,सदाबहार ,गुड़हल और सब्ज़ियों में टमाटर , मिर्ची ,बैंगन ,करेला ,शिमला मिर्च ,पालक ,मैथी ,पत्ता गोभी ,सेम ,पुदीना ,अदरक ,प्याज़ ,टिंडा , गिलकी ,लौकी आदि उगाती हूँ |
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3.आपके अनुसार बाकी लोगों को गार्डनिंग को अपने जीवन का हिस्सा क्यों बनाना चाहिए?


आजकल का लाइफस्टाइल बहुत स्ट्रेस्फुल हो गया है ऐसे में लोग अपने मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थय को लेकर चिंतित रहते है | गार्डनिंग एक बेहद पुरुस्कृत एवं मनोरंजक शौंक हैं |यह आपको प्रकृति से जोड़ती है | गार्डनिंग करना हमारी सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद है |यह एक थेरेपी की तरह होती है जो कि आपकी मेन्टल हेल्थ के लिए फायदेमंद है |जब आप अपने गार्डन मे एक पौधा उगाते है उसकी पूरी देख रेख करते है उसे पानी देना ,खाद देना आदि और फिर जब वह पौधा हमें फूल और फल देता है यह देखकर हमारा आत्मविश्वास भी बढ़ता है |इससे हमारे अंदर एक उपलब्धि की भावना पैदा होती है | गार्डनिंग करना एक ऐसा काम है जिससे आप प्रकृति के करीब रहते हुए कर सकते हैं।और इसी लिए बाकि लोगो को भी गार्डनिंग को अपने जीवन का हिस्सा बनाना  चाहिए |
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और पढ़ें: “पौधों के साथ समय बिताना स्ट्रेस को कम कर सकता है “- याशिका बिष्ट
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  1. गार्डनिंग हमे रोज़मर्रा के जीवन में किस तरह से मदद करती है?




हमारे रोज़मर्रा के जीवन में गार्डनिंग हमारी मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है जैसे की यह हमें बहुत-सी मोरल वैल्यूज के बारे में सिखाती है |हमें पता है कोई भी पौधा एक रात में नहीं उगता ,गार्डनिंग से हमें एक बेहद ज़रूरी बात सिखने मिलती है जो की हमारे रोजमर्रा के जीवन के लिए आवश्यक है और वो हे धैर्य | गार्डनिंग एक बेहद अच्छा रास्ता है धैर्य ,और  परिश्रम जैसी लाइफ क्वालिटीज़ सीखने  का.
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  1. आपका लॉक डाउन में गार्डनिंग का एक्सपीरियंस कैसा रहा?




जैसा की आप सभी जानते है सरकार के द्वारा लॉकडाउन के कारण सभी को अपने-अपने घरो में रहने की सलाह दी गई है |इस वक़्त को व्यर्थ करने की जगह हमें इस वक़्त को कुछ ऐसे काम करने में उपयोग करना चाहिए जिसके लिए हम रोज़मर्रा के जीवन में समय नहीं निकाल पाते है | मैंने लॉकडाउन का पर्याप्त लाभ उठाते हुए अपने गार्डन में ऐसे पौधे लगाए है जिसे मैं बहुत समय से लगाना चाहती थी पर वक़्त की कमी की वजह से कभी लगा नहीं पायी.. लॉकडाउन में मैंने ऐसी सब्जियां लगायी है जिसके बीज लेने हमें बाजार भी नहीं जाना पड़ता है वह हमारे घरों में पहले से ही उपलब्ध होती है जैसे अदरक,प्याज़,अरबी, पुदीना आदि | और यह लॉकडाउन का समय मुझे हमेशा याद रहेगा क्योंकि इसकी वजह से मैंने अपने पेड़ पौधों और प्रकृति के साथ काफी समय व्यतीत किया हैं |
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6.क्या गार्डनिंग करने के लिए हमे किसी हाई इन्वेस्टमेंट या हेल्प की ज़रूरत है या कोई भी आसानी से गार्डनिंग कर सकता है?


नहीं ऐसा बिलकुल नहीं है, आपको गार्डनिंग के लिए हाई इन्वेस्टमेंट करने की आवश्यकता नहीं है| वो कहते है न 'जहाँ चाह वहाँ राह'| ऐसे कई पौधे होते है जिन्हे हम कटिंग से ऊगा सकते है जैसे गुड़हल,चाँदनी,मोगरा,सदाबहार,चम्पा, सिंगोनियम,पोथोस,बोगनवेलिया आदि और यह सब ऐसे पौधे है जो हमें अपने आस पास आसानी से मिल जाते है| इन्हे उगने के लिए हमें गमले खरीदने की भी ज़रूरत नहीं है घर पर हमारे पास खली प्लास्टिक कंटेनर होते है हम उन्हें पौधे उगाने में री-यूज़  कर सकते है | गार्डनिंग के लिए ज़रूरी नहीं की हमारे पास गार्डनिंग टूल्स ही हो हम गुड़ाई के लिए घर के किसी पुराने चम्मच या ख़राब फोर्क का भी उपयोग कर सकते है| अगर आपको गार्डनिंग में मदद लगती भी है तो आप अपने परिवार के किसी सदस्य की सहायता ले सकते है|

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