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लेजेंड राजा रवि वर्मा की पेंटिंग्स मुझे बहुत इन्फ्लुएंस करती हैं - फोटोग्राफर गरिमा दीक्षित

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Swati Bundela
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हमारे समाज में महिलाओं का अलग-अलग प्रोफेशन अपनाना और आगे बढ़ना बहुत ही आम बात हो गई है. आज के समय में जहां महिलाएं पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रही हैं वहीं वो अपनी पहचान भी बना रही हैं। आज हम बात करेंगे एक ऐसी ही फोटोग्राफर माँ के बारे में जिन्होंने १३ साल तक सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी करने के बाद फोटोग्राफी को अपना प्रोफेशन बनाया। आज शी दपीपल.टीवी के साथ एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में गरिमा ने हमे बताया अपने फोटोग्राफी करियर और हाली में उनके द्वारा की गयी लेजेंड राजा रवि वर्मा पर फोटोग्राफी की सीरीज के बारें में.
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  1. आपने लेजेंड राजा रवि वर्मा पर ही क्यों फोटोग्राफी की सीरीज करनी चाही ?







मैं मैसूर में जगमोहन पैलेस में एक आर्ट गैलरी में गई जहाँ राजा रवि वर्मा की बहुत साड़ी पेंटिंग्स थी।  उन पेंटिंग्स ने मुझे काफी इन्फ्लुएंस किया। वो पहली बार था जब मुझे राजा रवि वर्मा के काम के बारे में पता चला था और एक फोटोग्राफर होने के नाते मेरे अंदर की क्रिएटिविटी ने मुझे मजबूर किया की इन पेंटिंग्स के ऊपर काम करूँ।  राजा रवि वर्मा की पेंटिंग्स में काफी लाइट इफेक्ट्स इस्तेमाल किये गए हैं जो उनकी खूबसूरती है।  तो उनकी पेंटिंग्स के इस अनोखे स्टाइल ने मुझे काफी इन्फ्लुएंस किया और मैंने आर्मी यूनिट की लेडीज के साथ ही यह फोटोशूट करने का फैसला किया। मेरे हस्बैंड एक आर्मी मैन हैं और हम आर्मी यूनिट में ही रहते हैं इसलिए मैंने यह प्रोजेक्ट वहाँ की सब लेडीज के साथ मिलकर किया।
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  1. आप को यह सीरीज कवर करने में कितना समय लगा ?







सारी चीज़े प्लान करने के बाद दो हफ्ते। कुछ भी आसान नहीं था ऐसे फोटो शूट्स में हमे बहुत ज़्यादा प्लानिंग चाहिए होती है क्योंकि हर चीज़ का मैचिंग और परफेक्ट होना बहुत ज़रूरी होता है। सारी ज्वेल्लेरी सबका ध्यान रखना था और सब कुछ आर्मी यूनिट की महिलाओं ने खुद अर्रेंज किया।  क्योंकि आर्मी में देश के अलग -अलग हिस्से से लोग होते हैं तो हमे इंडिया के अलग -अलग जगहों से साड़ी और ज्वेल्लेरी इकठ्ठा करने में ज़्यादा मेहनत नहीं लगी। मैंने फिर आर्मी यूनिट की महिलाओं से पूछा तो शुरुआत में तो एक या दो महिलाओं ने ही इसे करने का मन बनाया पर बाद में जब सभी महिलाओं ने वो फोटोज देखी तो सब मान गए और फिर सारी चीज़ों को प्लान करते -करते एक महीना लग ही गया था।
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publive-image Garima Dixit Photography 1
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  1. आपने फोटोग्राफी करना कब शुरू किया ?







शुरुआत से ही मुझे फोटोग्राफी का काफी पैशन था। मैं प्रोफेशन से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर थी और मैंने आईटी सेक्टर में 14 साल तक काम किया है और जो मेरी पहली सैलरी थी उससे मैंने एक कोटक का कैमरा खरीदा था। मै तब से ही छोटी -मोटी फोटोग्राफी करती थी पर जब मेरी बेटी का जन्म हुआ तो मुझे सीवियर पोस्ट प्रेगनेंसी डिप्रेशन हो गया था। छह महीने के बाद मुझे लगा के मुझे इससे बाहर आना पड़ेगा और फिर मेरी बेटी के साथ ही मैंने फोटोग्राफी शुरू की मैं उसकी पिक्चर्स क्लिक करती, उसे काफी अलग-अलग तरीके से ग्रूम करती और बहुत से एंगल्स से पिक्चर्स लेती और फिर मैंने डीसाइड किया की मुझे प्रोफेशनल तरीके से फोटोग्राफी करनी है और मैंने किड्स फोटोग्राफी से शुरुआत की हफ्ते में मै वर्किंग डेज पर आई टी सेक्टर में काम करती और वीकेंड्स पर फोटोग्राफी असाइनमेंट्स लेती।
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मैं मैसूर में जगमोहन पैलेस में एक आर्ट गैलरी में गई जहाँ राजा रवि वर्मा की बहुत साड़ी पेंटिंग्स थी।  उन पेंटिंग्स ने मुझे काफी इन्फ्लुएंस किया। -  गरिमा दीक्षित



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     4. फोटोग्राफी करने के लिए आपकी सबसे बड़ी इंस्पिरेशन कौन था ?



मेरी बेटी ही मेरी सबसे बड़ी इंस्पिरेशन थी। मैंने प्रोफेशनल फोटोशूट अपनी बेटी के कारण ही शुरू किया था।  मैंने अपनी बेटी के साथ केक स्मैश फोटो शूट किया था और मैंने वो पिक्स एक मॉम्स ग्रुप में शेयर की थी और वहाँ उन पिक्स के लिए मुझे बहुत ही अच्छा रिस्पांस मिला और वहीं से मुझे किड्स फोटोशूट के लिए ऑफर्स आने लगे। इन शूट्स से मेरा इंटरेस्ट इतना बढ़ा की मैंने फोटोग्राफी स्टडी करना शुरू किया और ऑनलाइन टुटोरिअल्स से मैंने काफी कुछ सीखा। अब मै फोटोग्राफी वर्ल्ड में खुद को एस्टब्लिश कर चुकी हूँ और काफी अवार्ड्स जीत चुकी हूँ।  कभी भी हम फ्री होते हैं तो मैं और मेरी बेटी शनाया अपना फोटो-सेशन शुरू कर देते हैं।



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