डॉक्टर जिसका काम मरीज़ को चेक करने के बाद उसका इलाज करना।इसमें जेंडर का कोई रोल नहीं है।लेकिन हमारे यह धारणा है कि औरतों को अपनी बीमारियों का इलाज महिला डॉक्टर से ही कराना चाहिए।यह भी पितृसत्ता सोच का ही नतीजा है क्योंकि उसके अनुसार औरतों को ज़्यादा मर्दों के साथ खुलना नहीं चाहिए बस अपने घर और रिश्तेदार में जितने मर्द है उनको बुलाना चाहिए उनके अलावा किसी से बात करना अच्छी बात नहीं है। औरत को अपने पति से अलावा किसी और मर्द से अपनी बीमारी या तकलीफ़ के बारे में नहीं बताना चाहिए।
डॉक्टर का जेंडर होता है?
डॉक्टर का कोई जेंडर नहीं होता है। डॉक्टर सिर्फ़ डॉक्टर होता है जिसका मुख्य उद्देश्य आपका इलाज करना है। आज भी लोग जेंडर से हिसाब अपनी स्पेशीऐलिटी चुनते है। ज़्यादातर महिलाएँ गायनकॉलिजस्ट को चुनती है। पुरुष बहुत कम जो इस को चुनते है।
औरतें भी पुरुष गायनकॉलिजस्ट से है असहज
औरतों को हमारे घरों में इतना खुलापन नहीं दिया जाता है। उनको कभी इतने मौक़े भी नहीं दिए जाते कि वे अपने आप को ज़ाहिर कर सके। जब औरतों ने अपने घर के अलावा कभी किसी और मर्द से बात नहीं होगी तब तो यह बात बिलकुल स्वाभाविक है कि वे मेल गायनकॉलिजस्ट से ज़रूर असहज होंगी।
"डॉक्टर जी" मूवी
आयुष्मान खुर्राना की मूवी "डॉक्टर जी" आ रही है जिसका ट्रेलर रिलीज़ हो चुका है। इसमें आयुष्मान खुर्राना के अलावा शीबा चड्ढा और शेफाली शाह इसमें दिखेंगी। इस मूवी में वह डॉक्टर उदय गुप्ता बने जो कि एक अजीब सी स्थिति में फँस चुके है। वह गायनकॉलजी में अकेले मेल डॉक्टर है।
मूवी में दिखाया है आयुष्मान तब मुसीबत में फँस जाता है जब वे अपने मरीज़ को उसका चेकअप करने के लिए कपड़े उतारने के लिए कहता है। उसको औरतों का इलाज करने परेशानी होती है। शेफाली शाह इसमें नंदिनी का रोल अदा कर रही है। मूवी में वह आयुष्मान की सीनियर डॉक्टर नंदनी के रूप में दिखायी देती हैं। वह उसे अपना मेल स्पर्श खोने के लिए कहती है। यह मूवी 14 अक्तूबर को भी रिलीज़ हो रही है।
इसमें दिखाया गया है कैसे आज भी हमारे समाज में आज भी गायनकॉलिजस्ट को लेकर धारणा बनी हुई है कि वे फ़ीमेल होती है। जिस कारण मरीज़ों को भी उनसे इलाज करवाने में दिक़्क़त होती है। हमें भी इस चीज़ को नॉमलाइज़ करने की जरूरत है।