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1. किस उम्र में बताएं क्या सही-क्या गलत
हर बच्चे की ग्रोथ अलग होती है. वैसे इस तरह की बातें सिखाने के लिए कोई खास उम्र निश्चित नहीं है. बस ये ध्यान रखना जरूरी है कि उसे ये सब तब समझाएं जब वह इन्हें समझने के लायक हो जाए. आप चाहें तो कम उम्र से शुरुआत कर सकते हैं. दो या तीन साल की उम्र से ही, बच्चे को खेल-खेल में या बातों-बातों में बताएं कि कहां टच करना सही है और कहां गलत.
2.गुड टच और बैड टच के बीच लाइन
ये काफी मुश्किल होता है कि बच्चे को वो बॉडी पार्ट्स बताएं, जहां अगर कोई प्यार से भी टच करे तो उसे रोका जाए. इसके लिए पेरेंट्स बॉडी के उन पार्ट्स के लिए किसी नाम का प्रयोग करें जिससे बच्चा उसे पहचान पाए. जैसे बच्चे को बताएं कि जिन पार्ट्स को कवर करने के लिए आप स्विमसूट पहनते हैं उन्हें पेरेंट्स के अलावा और कोई नहीं छू सकता. इससे वे शरीर के भागों में भेद करना सीखेंगे.
अक्सर ऐसा देखा गया है कि बाल शोषण करने वाले लोग बच्चों को प्यार से अपने पास बुलाते हैं. जिससे बच्चा समझ नहीं पाता कि उसका शोषण हो रहा है कि वो व्यक्ति उन्हें प्यार कर रहा है.
3. बच्चों को अपने शरीर का मालिक बनने दें
जब बच्चे 3–4 साल के हो जाए तो उन्हें समझाये कि उनके शरीर पर केवल उनका ही अधिकार है. अगर किसी के द्वारा उनके शरीर को छूना अच्छा न लगे तो उसका कड़ा विरोध करें और ऐसी बाते आपको आकर जरुर बताएं.
4. बच्चों के व्यवहार पर नजर रखें
बच्चों के साथ जब भी कुछ गलत होता है तो उनके व्यहार में परिवर्तन देखने को मिलता है. ऐसे में उसके मन को पढ़ने की कोशिश करें और उनसे खुलकर बात करे. बच्चे को खुलकर इस बारे में बात कर बताएं कि आपको लिए यह अच्छा है और यह आपके लिए बुरा है.
5. बैड टच हो तो क्या करे बच्चा
बच्चे को सिखाएं कि नो का मतलब है नो. बच्चे को बताएं कि किसी भी सूरत में वे बॉडी पॉर्ट्स को टच करने के लिए नो ही कहेंगे. अगर इसके बावजूद भी बच्चे के साथ ऐसा हो, तो वे डरे नहीं और मदद के लिए चिल्लाएं. उन्हें बताएं कि उनकी एक आवाज पर कितने लोग उनकी मदद के लिए पहुंच जाएंगे. बच्चे को ये भी बताएं कि वे परिस्थिति को देखें-समझें और किसी सेफ जगह पहुंचकर चिल्लाएं या अलार्म बजाएं.
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