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Habits Of Mentally Strong People: मेंटली स्ट्रांग होने के कुछ टिप्स

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Monika Pundir
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हम सब जीवन में शक्तिशाली होना चाहते हैं, शारीरिक तौर पर भी और मेन्टल तरीके से भी। मेंटली स्ट्रांग होने का यह मतलब नहीं की आप कभी दुखी नहीं होंगे। इसका मतलब है की आप अपनी भावनाओं को अच्छे तरह से प्रोसेस कर पाएंगे। शारीरिक तौर पर स्ट्रांग कैसे बन सकते हैं, यह तो हम जानते हैं-एक्सरसाइज और पौष्टिक आहार से, पर मेन्टली स्ट्रांग कैसे बने? यह जानने के लिए इस ब्लॉग को आगे पढ़ें-

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मेंटली स्ट्रांग होने के कुछ टिप्स-

1. स्थिति को स्वीकारना 

मेंटली स्ट्रांग लोग अपनी स्थिति को स्वीकारने पर काम करते हैं, न की उन चीज़ों को बदलने की जिनका हमारा कोई बस नहीं है। वे स्थिति अनुसार अपनी प्रतिक्रिया बदलते हैं, न की स्थिति के होने पर ज़्यादा समय तक रोते हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी कारण से उनकी नौकरी छूट जाए, वे दुखी होते हैं, पर दुख पर ज़्यादा समय नहीं बिताते। वे जल्द हो नयी नौकरी ढूंढने पर काम करना शुरू कर देते हैं। 

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2. बदलाव से न डरना 

हम में से बहुत ऐसे लोग हैं जिन्हें बदलाव से डर लगता है। हम चाहते हैं कि सब जैसा चल रहा है वैसे ही चले। हम अपने रूटीन, आदतें और विश्वास को बदलना नहीं चाहते। मगर हमारी दुनिया हर दिन बदल रही है। आज से 5 साल पहले बिना नकद के कुछ भी खरीदना नामुमकिन था, और लोग यूपीआई का प्रयोग करने से भी डरते थे। पर कोविड के साथ यह सब बदल गया, और सब्ज़ी वाले भी अपने पास यूपीआई सुविधा रखने लगे। अगर वे इस बदलाव के लिए तैयार नहीं होते, वे पीछे रह जाते और शायद बहुत सारे कस्टमर भी खो देते।

3. सब कुछ कंट्रोल करने की कोशिश न करना 

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मेंटली स्ट्रांग लोग हर समय सब कुछ अपने नियंत्रण में रखने की कोशिश नहीं करते हैं। वे जानते हैं की वे अकेले सब नहीं कर सकते हैं, इसलिए वे अपना काम दूसरों के साथ या परिवार वालों के साथ बांटने में नहीं डरते हैं। वे दूसरों पर भरोसा करते हैं। वे सब कुछ माइक्रो-मैनेज नहीं करते हैं। साथ ही, वे गड़बड़ होने पर चीज़ों को सही करने के लिए तैयार होते हैं।

4. अतीत के बारे में सोच कर समय न व्यर्थ करना

जो हो गया उसे कभी बदला नहीं जा सकता है। हम बस उससे सबक ले कर आगे बढ़ सकते हैं। फिर भी, हम में से बहुत लोग हैं जो बुरी यादों पर पश्ताकर बहुत समय व्यर्थ करते हैं। मेंटली स्ट्रांग होने के लिए आपको अच्छी यादों पर ज़्यादा फोकस करना होगा। बुरी यादें हमारे सामने आएंगी ज़रूर, पर हमे उनसे मन हटाना होगा, उनसे सीख लेकर आगे बढ़ना होगा। जो बदला नहीं जा सकता उसपर समय व्यर्थ नहीं करना चाहिए।

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हम में से बहुत लोगों को दुख, बुरी घटनाओं और नेगेटिव इमोशंस से निपटने में समस्या हो सकती है। ऐसी स्थिति में हम थेरेपिस्ट या काउंसलर की मदद ले सकते हैं। 

5. अपने साथ समय बिताना 

हम में से बहुत लोगों को अकेले समय बिताना नापसंद है। हम अकेलापन महसूस नहीं करना चाहते। शायद उससे डरते भी हैं। पर मेंटली स्ट्रांग लोग अपने लिए, अकेले बिताने के लिए समय निकालते हैं। वे अपने आप पर काम करना चाहते हैं, अपने आप पर रिफ्लेक्ट करना चाहते हैं।

मेंटली स्ट्रांग
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