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टीचर्स की जगह वही बच्चों को पढ़ाते है। होम स्कूलिंग के फ़ायदे क्या हैं,आइए देखते हैं -
बच्चे जब स्कूल ना जा के घर से पढ़ाई करते हैं, तो उन्हें होमली फील होता है। उन्हें अपने आस पास का माहौल या जगह अनजान सी नहीं लगती,और इस वजह से वो एकदम कंफर्टेबल होकर अपनी पढ़ाई कर पाते हैं।
अक्सर हम देखते हैं कि बच्चे स्कूल और ट्यूशंस में इतने व्यस्त हो जाते हैं, कि उनके पास टाइम ही नहीं बचता की वो अपने पैरेंट्स के साथ टाइम बिता सकें। होम स्कूलिंग के चलते पैरेंट्स ही बच्चों को पढ़ाते है,इससे उनको आपस में समय बिताने का मौका भी मिल जाता है,और उनका रिलेशनशिप भी मजबूत होता है।
आजकल कोरोना इतना बढ़ चुका है कि रेगुलर स्कूल तो वैसे भी बंद ही हैं। रेगुलर स्कूल में बच्चे आपस में खेलना कूदना सब बिना किसी प्रिकॉशन के साथ ही करते हैं। ऐसे में इस तरह की बीमारियों का खतरा बना रहता है। होम स्कूलिंग के चलते बच्चे इन बीमारियों से सुरक्षित रहते हैं।
रेगुलर स्कूलिंग में अक्सर जो शांत स्वभाव के बच्चे होते हैं उन्हें बुलइंग,लड़ाई झगड़े आदि का सामना करना पढ़ सकता है। इसका नेगेटिव असर बच्चों की मेंटल हैल्थ पर पढ़ सकता है, जो आगे चलकर उनके पर्सनैलिटी के लिए अच्छा नहीं होता। होम स्कूलिंग में बच्चे इस तरह की नेगेटिव चीज़ों से बचे रहते हैं।
रेगुलर स्कूलिंग की तरह होम स्कूलिंग में कोई स्ट्रिक्ट रूल्स का पालन करना ज़रूरी नहीं होता। बच्चे अपने हिसाब से, कंफर्टेबल टाइम में पढ़ाई कर सकते हैं। उनको जो सब्जेक्ट जिस टाइम पढ़ना हो वो बिना कुछ सोचे पढ़ सकते हैं।
ये होम स्कूलिंग के फ़ायदे हैं जो रेगुलर स्कूलिंग से बेहतर हैं
1- पढ़ाई का कंफर्टेबल माहौल -
बच्चे जब स्कूल ना जा के घर से पढ़ाई करते हैं, तो उन्हें होमली फील होता है। उन्हें अपने आस पास का माहौल या जगह अनजान सी नहीं लगती,और इस वजह से वो एकदम कंफर्टेबल होकर अपनी पढ़ाई कर पाते हैं।
2- पैरेंट्स के साथ ज़्यादा समय बिता पाना-
अक्सर हम देखते हैं कि बच्चे स्कूल और ट्यूशंस में इतने व्यस्त हो जाते हैं, कि उनके पास टाइम ही नहीं बचता की वो अपने पैरेंट्स के साथ टाइम बिता सकें। होम स्कूलिंग के चलते पैरेंट्स ही बच्चों को पढ़ाते है,इससे उनको आपस में समय बिताने का मौका भी मिल जाता है,और उनका रिलेशनशिप भी मजबूत होता है।
3- कोरोना या बाकी फैलने वाली बीमारियों से बचाव -
आजकल कोरोना इतना बढ़ चुका है कि रेगुलर स्कूल तो वैसे भी बंद ही हैं। रेगुलर स्कूल में बच्चे आपस में खेलना कूदना सब बिना किसी प्रिकॉशन के साथ ही करते हैं। ऐसे में इस तरह की बीमारियों का खतरा बना रहता है। होम स्कूलिंग के चलते बच्चे इन बीमारियों से सुरक्षित रहते हैं।
4- बुलइंग (Bullying) और बाकी की नेगेटिव चीज़ों से दूर -
रेगुलर स्कूलिंग में अक्सर जो शांत स्वभाव के बच्चे होते हैं उन्हें बुलइंग,लड़ाई झगड़े आदि का सामना करना पढ़ सकता है। इसका नेगेटिव असर बच्चों की मेंटल हैल्थ पर पढ़ सकता है, जो आगे चलकर उनके पर्सनैलिटी के लिए अच्छा नहीं होता। होम स्कूलिंग में बच्चे इस तरह की नेगेटिव चीज़ों से बचे रहते हैं।
5- पढ़ाई का फ्लेक्सिबल माहौल -
रेगुलर स्कूलिंग की तरह होम स्कूलिंग में कोई स्ट्रिक्ट रूल्स का पालन करना ज़रूरी नहीं होता। बच्चे अपने हिसाब से, कंफर्टेबल टाइम में पढ़ाई कर सकते हैं। उनको जो सब्जेक्ट जिस टाइम पढ़ना हो वो बिना कुछ सोचे पढ़ सकते हैं।
ये होम स्कूलिंग के फ़ायदे हैं जो रेगुलर स्कूलिंग से बेहतर हैं