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Photograph: (File Image )
आजकल हर जगह इस बात पर जोर दिया जाता है कि महिलाओं को इंडिपेंडेंट होना चाहिए, अपने काम खुद करना चाहिए, और कई महिलाएं ऐसा कर भी रही हैं। अगर आप कभी इस बात को महसूस करें तो पता चलेगा कि महिलाओं को खुद को ज्यादा साबित करना पड़ता है। समाज हमेशा उनकी क्षमता से अधिक काम की उम्मीद करता है। उनके दिमाग में पहले से ही यह धारणा होती है कि महिलाएं भारत में पॉलिटिक्स या बाहर जाकर काम करने में इतनी सक्षम नहीं होतीं। हालांकि, यह केवल एक विचार है और इसमें कोई सच्चाई नहीं है। आज हम बात करेंगे कि कैसे समाज के प्रेशर के कारण महिलाएं हाइपर-इंडिपेंडेंस की तरफ बढ़ रही हैं-
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जानिए मतलब क्या है?
इंडिपेंडेंस का मतलब है कि आप अपने काम खुद कर रही हैं। आपको हर छोटी-बड़ी चीज़ के लिए किसी पर निर्भर नहीं होना पड़ता। आप अपने फैसलों से लेकर पैसे कमाने और घर संभालने तक सब कुछ खुद कर रही हैं। लेकिन हाइपर-इंडिपेंडेंस में आपको लगता है कि आपको सब कुछ अकेले ही करना है।
जिंदगी में इंडिपेंडेंट होना बहुत जरूरी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि किसी से मदद मांगने में शर्म आए या आपको लगे कि अगर आप मदद मांगें तो लोग आपको जज करेंगे या कमजोर समझेंगे।
Burnout का शिकार
इस स्थिति का आपकी मानसिक और शारीरिक सेहत पर बुरा असर पड़ता है। जब आप हर काम की जिम्मेदारी खुद लेने लगती हैं और दूसरों की मदद स्वीकार नहीं करतीं, तो आपका स्ट्रेस बढ़ने लगता है। आप बर्नआउट या डिप्रेशन की तरफ बढ़ सकती हैं।
अकेलापन
अगर कोई आपकी मदद करना चाहे या सपोर्ट करना चाहे, तो आप उसे पीछे धकेल देती हैं। आप सच में आपके साथ जुड़ना चाहने वाले लोगों को अपने करीब नहीं आने देतीं, जिससे आप अकेलापन महसूस करती हैं। कई बार आपका मन करता है कि कोई आपके पास हो, किसी कंधे पर रो सकें या खुद को व्यक्त कर सकें, लेकिन जब आप लोगों को अपने पास आने ही नहीं देतीं, तो ऐसा नहीं हो पाता।
काम का दोगुना बोझ
जब आप हर चीज की जिम्मेदारी खुद लेती हैं—चाहे वह घर के काम हों, बाहर का काम, पैसा संभालना या बिल भरना—तो चीजों का बोझ बहुत बढ़ जाता है। जब जिम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है, तो कंफ्यूजन होने लगता है और आप समझ नहीं पातीं कि आपके लिए प्राथमिकता क्या है। खुद के लिए समय नहीं मिलता और आप अपने आप से दूर होने लगती हैं। आप हमेशा काम के बोझ के नीचे ही रहती हैं और अन्य चीज़ों के लिए समय या समझ नहीं बन पाता।
मानसिक और शारीरिक
महिलाओं का इंडिपेंडेंस होना बहुत जरूरी है। बदलाव तभी संभव है जब महिलाएं पुरुषों से अलग होकर हर छोटी-बड़ी चीज़ के लिए खुद पर निर्भर होना शुरू करें। इससे पुरुषों के डोमिनेंस में कमी आएगी। लेकिन जरूरत पड़ने पर किसी की मदद लेना या हर समय दूसरों को साबित करने की कोशिश करना गलत है। हाइपर-इंडिपेंडेंस आपकी मानसिक और शारीरिक सेहत दोनों पर असर डालता है। इसलिए जीवन में बैलेंस बनाना बहुत जरूरी है।