Male Dominance: ‘पुरुष हैं तो इसलिए जो मर्जी कर सकते हैं’, समाज मे ऐसी सोच कितनी खतरनाक

Male Dominance Mentality एक ऐसी सोच है जिसमें पुरुषों को समाज में उच्च स्थान और शक्ति प्राप्त होती है, जबकि महिलाओं को निम्न स्थान पर रखा जाता है।

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Shivalika Srivastava
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Male Dominance ( Pinterest)

Photograph: (File Image )

How Male Dominance Mentality is Harmful for Society: Male Dominance Mentality एक ऐसी सोच है जिसमें पुरुषों को समाज में उच्च स्थान और शक्ति प्राप्त होती है, जबकि महिलाओं को निम्न स्थान पर रखा जाता है। इस मानसिकता के कारण महिलाओं के अधिकारों और स्वतंत्रता को सीमित किया जाता है, और उन्हें समाज में समान अवसरों से वंचित रखा जाता है। पुरुष प्रधान मानसिकता के कारण महिलाओं के प्रति भेदभाव, हिंसा और उत्पीड़न जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। यह मानसिकता न केवल महिलाओं के लिए हानिकारक है, बल्कि यह समाज के विकास और प्रगति के लिए भी बाधक है। इस मानसिकता को बदलने और महिलाओं के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए हमें जागरूकता और शिक्षा के माध्यम से प्रयास करने होंगे।

पुरुष हैं तो इसलिए जो मर्जी कर सकते हैं, समाज मे ऐसी सोच कितनी खतरनाक 

1. महिलाओं के अधिकारों का हनन

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जब महिलाओं को समान अधिकार और अवसर नहीं दिए जाते हैं, तो उनकी स्वतंत्रता और आत्म-विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। पुरुष प्रधान मानसिकता महिलाओं को घरेलू भूमिकाओं तक सीमित रखती है और उन्हें शिक्षा,रोजगार और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में भाग लेने से रोकती है। इससे महिलाओं की क्षमता और योगदान को सीमित किया जाता है, और उन्हें समाज में अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करने का अवसर नहीं मिलता है।

2. महिलाओं के प्रति हिंसा

जब पुरुषों को लगता है कि वे महिलाओं से श्रेष्ठ हैं, तो वे अक्सर महिलाओं के प्रति हिंसक व्यवहार करते हैं। इससे घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, और अन्य प्रकार की हिंसा को बढ़ावा मिलता है। पुरुष प्रधान मानसिकता महिलाओं को कमजोर और असहाय मानती है, जिससे उन्हें हिंसा का सामना करना पड़ता है। इससे महिलाओं की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, और वे अपने जीवन को सुरक्षित और सम्मानजनक तरीके से जीने में असमर्थ हो जाती हैं।

3. लिंग भेदभाव

 जब पुरुषों को लगता है कि वे महिलाओं से श्रेष्ठ हैं, तो वे अक्सर महिलाओं को समान अवसरों और अधिकारों से वंचित रखते हैं। इससे महिलाओं को शिक्षा, रोजगार, और अन्य क्षेत्रों में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। लिंग भेदभाव न केवल महिलाओं के लिए हानिकारक है, बल्कि यह समाज के विकास और प्रगति के लिए भी बाधक है, क्योंकि इससे महिलाओं की क्षमता और योगदान को सीमित किया जाता है।

4. महिलाओं की आत्म-विकास में बाधा

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इस मानसिकता के कारण महिलाएं अपने लक्ष्यों और सपनों को पूरा नहीं कर पाती हैं और उनकी आत्म-विकास में बाधा उत्पन्न होती है। जब महिलाओं को समान अवसर और अधिकार नहीं दिए जाते हैं, तो वे अपने लक्ष्यों और सपनों को पूरा नहीं कर पाती हैं। ।महिलाओं के आत्मविकास में बाधा न केवल उनके लिए हानिकारक है, बल्कि यह समाज के विकास और प्रगति के लिए भी बाधक है, क्योंकि इससे महिलाओं की क्षमता और योगदान को सीमित किया जाता है।

5. समाज के विकास में बाधा

जब महिलाओं को समान अवसर और अधिकार नहीं दिए जाते हैं, तो उनकी क्षमता और योगदान को सीमित किया जाता है। इससे समाज की प्रगति और विकास धीमा हो जाता है, क्योंकि महिलाओं की भागीदारी और योगदान को नजरअंदाज किया जाता है। पुरुष प्रधान मानसिकता समाज को पिछड़ा और रूढ़िवादी बनाती है, जिससे नए विचारों और दृष्टिकोणों को बढ़ावा नहीं मिलता है। इससे समाज की आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रगति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। समाज

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