Financial Stability: फाइनेंशियल स्टेबिलिटी अचीव करने के लिए क्या करें?

आज के युग में फाइनेंशियल स्टेबिलिटी हर व्यक्ति की एक अहम जरूरत बन गया है। फाइनेंशियल स्टेबिलिटी का अर्थ होता है कि हम अपने खर्चे खुद उठा सकें। आइए जानते हैं कैसे अचीव करें फाइनेंशियल स्टेबिलिटी, इस फाइनेंस ब्लॉग के जरिए

Aastha Dhillon
31 Jan 2023
Financial Stability: फाइनेंशियल स्टेबिलिटी अचीव करने के लिए क्या करें?

Financial Stability

Financial Stability: आज के युग में फाइनेंशियल स्टेबिलिटी हर व्यक्ति की एक अहम जरूरत बन गया है। फाइनेंशियल स्टेबिलिटी का अर्थ होता है कि हम अपने खर्चे खुद उठा सकें। इसमें हम अपने खर्चों के लिए अपनी इनकम में से कुछ पैसे अलग रखते हैं ताकि हम अपनी जरूरतें पूरी कर सके बिना किसी ओर पर निर्भर हुए। कुछ महिलाएं अपने खर्चे के लिए अपनी रोजमर्रा की जिंदगी से पैसे नहीं बचा पाती । ऐसे में फाइनेंशियल स्टेबिलिटी महिलाओं के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।

आखिर महिलाएं कैसे बनेंगी फाइनेंशियली स्टेबल? जाने यह 4 टिप्स फाइनेंशली स्टेबल बनने के लिए

1.बनाएं एक इमरजेंसी फंड (Emergency Fund)

हमने अक्सर देखा है कि लोग अपने लिए एक इमरजेंसी फंड नहीं बना कर रखते। ऐसा ना करने की वजह से अचानक से पैसों की जरूरत पड़ने पर उनके पास पैसे ही नहीं होते। तो बेहतर यही रहेगा कि हम अपने मंथली खर्चा का 6 गुना पैसा अपनी इमरजेंसी फंड में तैयार रखें।

2.शुरू करें इन्वेस्टिंग (Start Investing)

लोग अक्सर अपनी सेविंग को बचाकर बैंक में रखते हैं। पर हमें समझना होगा कि समय बदल रहा है और हमें पैसों को बढ़ाने के लिए उन्हें इन्वेस्ट करना शुरू करना पड़ेगा। यदि हम रेगुलरली पैसे इन्वेस्ट करेंगे तो भी हम फाइनेंशियल क्राइसिस से बच सकते हैं।

3. इंश्योरेंस लें

हम अक्सर देखते हैं कि इंश्योरेंस उनको हमारे घर में एक फ्रॉड के नजरिए से देखा जाता है परंतु अब समय बदल रहा है। कोविड के समय पर हमने देखा की इंश्योरेंस से हमें कितने अनेक फायदे हो सकते हैं। यही नहीं आज के समय में इंश्योरेंस (Insurance) को एक इन्वेस्टमेंट (Investment) के ऑप्शन की तरह भी देख रहा है। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि हम अपने लिए एक हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस अवश्य ले। 

4. 50-30-20 रूल

इस टेक्निक में हमें अपने खर्चों को हमारी जरूरत (Needs), हमारी इच्छा (Wants) और हमारी लालसा (Desires) में बांटना चाहिए। हमें अपनी इनकम के 50% भाग को हमारी जरूरत की चीजों पर खर्च करना चाहिए जिसमें हमारे रेंट, हमारे खाने का खर्चा तथा हमारे इंपॉर्टेंट बिल्स आते हैं जिन्हें हम इग्नोर नहीं कर सकते। उसके बाद 30% भाग को हमें हमारी इच्छा की चीजें जैसे एंटरटेनमेंट और ईटिंग आउट में खर्च करना होता है। शेष 20% भाग को हमें सेव या किसी लालसा के लिए बचाना या इन्वेस्ट करना होता है।

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