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Dealing With Negative Thoughts: मन के नकारात्मक विचारों से कैसे लड़ें?

ज़िंदगी के सफ़र में कभी न कभी हर किसी को नकारात्मक विचारों से जूझना पड़ता है। वो घुमक्कड़ बादलों की तरह दिमाग पर छा जाते हैं, खुशियाँ छीन लेते हैं और हमें अपनी काबिलियत पर शक करा देते हैं।

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Vaishali Garg
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Negative Thinking(Freepik)

Dealing with Negative Thoughts: क्या कभी अपने मन में चलने वाले निगेटिव थॉट्स का तूफ़ान महसूस किया है? वो आवाज़ें जो बार-बार कहती हैं, "तुम नहीं कर पाओगे," या "तुम काफी अच्छे नहीं हो"? हम सभी कभी-कभी नकारात्मक विचारों से जूझते हैं, लेकिन ये जब ज़्यादा हो जाएं तो हमारा आत्मविश्वास और खुशियाँ छीन लेती हैं। तो चलिए, आज इन नकारात्मक विचारों से निपटने के कुछ उपायों पर गौर करते हैं।

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मन के नकारात्मक विचारों से कैसे लड़ें?

पहचानो और स्वीकारो (Recognize and Acknowledge)

पहला कदम है अपने नकारात्मक विचारों को पहचानना और स्वीकारना। क्या वो आपको खुद को आलोचनात्मक टिप्पणियां देते हैं? क्या वो भविष्य के बारे में बुरी से बुरी कल्पनाएँ कराते हैं? इन थॉट्स को अनदेखा करने की बजाय उन्हें पहचानें और एक किनारे खड़े होकर निरीक्षण करें। आप हैरान होंगे कि इन विचारों पर कितना कम नियंत्रण होता है।

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तथ्य से अलग करो (Separate Fact from Fiction)

अक्सर हमारे नकारात्मक विचार भावनाओं पर आधारित होते हैं, वास्तविकता पर नहीं। उदाहरण के लिए, अगर आप किसी प्रस्तुति से पहले असफलता का डर महसूस कर रहे हैं, तो हो सकता है आप सोचें, "मैं पूरी तरह से फेल हो जाऊंगा।" पर सच ये है कि भविष्य अज्ञात है और शायद आप उम्मीद से बेहतर भी कर सकते हैं। इसलिए अपने विचारों को सवालिया निशान लगाएं, उनका तार्किक विश्लेषण करें और तथ्यों को भावनाओं से अलग करें।

सकारात्मक आत्म-चर्चा का अभ्यास करो (Practice Positive Self-Talk)

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हम खुद से कितनी बातें करते हैं, इसका अंदाज़ा भी नहीं होता। इसलिए जरूरी है कि ये बातें सकारात्मक हों। जब कोई निगेटिव थॉट आए, तो तुरंत उसे किसी सकारात्मक विचार से बदल दें। "मैं असफल हो जाऊंगा" के बजाय, आप खुद से कह सकते हैं, "मैं अपनी पूरी कोशिश करूंगा और हर स्थिति से सीखूंगा।" सकारात्मक आत्म-चर्चा से आपका दृष्टिकोण बदल जाएगा और आत्मविश्वास बढ़ेगा।

कृतज्ञता की आदत डालो (Develop an Attitude of Gratitude)

नकारात्मक विचारों से बाहर निकलने का एक शानदार तरीका है कृतज्ञता की भावना को अपनाना। हर दिन उन छोटी-छोटी चीज़ों के लिए शुक्रिया अदा करना, जो आपके पास हैं, आपका ध्यान सकारात्मकता की ओर मोड़ देता है। एक डायरी में रोज़ाना कम से कम तीन चीज़ें लिखें जिनके लिए आप आभारी हैं। ये आपको संतुष्टि और खुशी का एहसास देगा।

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मदद लेने से न डरें (Don't Be Afraid to Seek Help)

कुछ बार नकारात्मक विचार इतने हावी हो जाते हैं कि हम खुद से बाहर नहीं निकल पाते। ऐसे में किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से मदद लेने में कोई शर्म नहीं है। वो आपको अपने विचारों और भावनाओं को समझने में मदद कर सकते हैं और बेहतर सोचने का कौशल विकसित करने के लिए टिप्स दे सकते हैं।

एक सकारात्मक भविष्य की ओर (Towards a Positive Future)

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नकारात्मक विचारों से लड़ाई आसान नहीं है, लेकिन असंभव भी नहीं। इन टिप्स को अपनाकर आप धीरे-धीरे अपने अंदर सकारात्मक सोच पैदा कर सकते हैं। याद रखें, आप अकेले नहीं हैं और हर किसी को कभी-कभी इन विचारों से जूझना पड़ता है। सकारात्मकता की राह चलकर आप खुशी, आत्मविश्वास और एक बेहतर भविष्य की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।

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