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Raising Sons: कैसे समझाएं अपने बेटों को वूमन हेल्थ के बारे में

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Swati Bundela
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आज के ज़माने में जब जेंडर इक्वलिटी पे इतना ज़ोर दिया जा रहा है ये हर पैरेंट की रेस्पोंसिबिलिटी है की वो समझदार बेटों को बड़ा करें। ये हर पैरेंट को समझने की ज़रुरत है की उन्हें अपने बेटों को वूमन हेल्थ के बारे में अवगत कराना है । इसका सबसे बड़ा फायदा ये होगा की आगे जा कर जब उनके बेटे मर्द बने तो वो एक रेस्पोंसिबल हस्बैंड, फादर और नागरिक बनेंगे। अपने बेटों को वूमेन हेल्थ के बारे में एजुकेशन ज़रूर दें। इन तरीकों को अपनाते हुए आप समझा सकते हैं अपने बेटों को वूमन हेल्थ के बारे में:

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1. जल्दी शुरुवात कर दें



स्कूल में सेक्स एजुकेशन को बढ़ावा दें। घर में ऐसा माहौल बनाएं की आप उनसे किसी भी बारे में खुल कर डिसकशन कर सकें। अपने बेटों को बताए की पीरियड्स क्या होता है और इस समय में एक लड़की किन किन चीज़ों से गुज़रती है। उनको समझाएं की ये एक बहुत ही नेचुरल प्रोसेस है और इससे चिढ़ने की या ख़राब महसूस करने की कोई बात नहीं है। उनको पीरियड रिलेटेड डाक्यूमेंट्री भी आप दिखा सकते हैं। उन पर ज़्यादा असर तब पड़ेगा जब ये बातें वो अपनी माँ और पिता दोनों के मुँह से सुनें। एक पिता होने के नाते आप अपने बेटे को ज़रूर एक मेल पॉइंट ऑफ़ व्यू से चीज़ों को सही तरीके से समझने की भी कोशिश कर सकते हैं।

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2. सेनेटरी नैपकिन और टेम्पोंस से करवाएं इंट्रोडक्शन



अपने बेटों को समझाएं की पीरियड में किन प्रोडक्ट्स को यूज़ किया जाता है। उन्हें हर चीज़ को यूज़ करने का तरीका भी बताएं। मेंस्ट्रुअल क्रैम्प्स और मूड स्विंग्स के बारे में भी आप उनको बता सकते हैं। पीरियड में पैड्स और टेम्पोंस के अलावा किन और चीजूं का यूज़ किया जाता है जैसे की हॉटवाटर बैग और क्रैम्प रिलीफ ऑइंटमेंट के बारे में भी उन्हें बताएं। जब उनको इन सब चीज़ों की जानकारी होगी तो वो अपने आस पास के और लोगों को भी इसके बारे में बताएँगे और इस तरह धीरे-धीरे पीरियड से रिलेटेड स्टिग्मा ख़त्म हो सकता है।
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3. रिप्रोडक्टिव सिस्टम से जुड़ी बिमारियों से भी अवगत कराएं



लड़के जब अपनी किशोरावस्था में होते हैं तब आप उन्हें
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पोल्य्सिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) के बारे में भी बता सकते हैं। उन्हें बताएं की इस वजह से लड़कियों का वज़न बढ़ सकता है और उनके शरीर में कहीं भी बाल आ सकते हैं। ये बहुत ज़रूरी है क्योंकि अपनी किशोरावस्था में इन चीज़ों के कारण लड़कियों की सेल्फ कॉन्फिडेंस पहले से ही कम रहती है। ऐसे में अपने बेटों को समझाएं की ये बीमारी किसी को भी हो सकती है इसलिए अगर उनके जान पहचान की ऐसी कोई भी लड़की है जो इससे गुज़र रही है तो ये उनका फ़र्ज़ है की वो उसको कम्फर्टेबल फील कराएं।



रेस्पोंसिबल लड़के ही आगे जा कर रेस्पोंसिबल मेन बनेंगे। इसलिए उन्हें सही समय पर वीमेन हेल्थ के बारे में बताएं और एक रेस्पोंसिबल मेन को तैयार करें।
पेरेंटिंग
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