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Maternity Leave Laws: भारत में मैटरनिटी लीव के कानून के बारे में जानिए

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Monika Pundir
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औरत जब माँ बनती है तो उसे अपने रिकवरी के लिए और अपने बच्चे का ध्यान रखने के लिए काम से कुछ दिन की छुट्टी की ज़रूरत होती है। इस छुट्टी को मैटरनिटी लीव कहते हैं। मैटरनिटी लीव का कांसेप्ट सीधे वीमेन एम्पावरमेंट से जुड़ा है। यह महिला को बच्चे के जन्म के बाद काम पर लौटने में मदद करता है, क्योंकि दूसरी नौकरी ढूंढना बहुत ही मुश्किल है।

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अलग अलग देशों में पेड मैटरनिटी लीव के कानून अलग होते हैं। भारत में पहले 12 हफ्ते की पेड मैटरनिटी लव हुआ करती थी मगर अब वह 26 सप्ताह तक बढ़ा दी गई हैं।

भारत में मैटरनिटी लीव के कानून: 

1. जो महिला अपने एम्प्लॉयर के पास डिलीवरी से 80 दिन(लगभग 3 महीने) पहले से काम कर रही हो, अपने नार्मल सैलेरी पर 26 सप्ताह के लिए मैटरनिटी लीव का हक़ रखती है।

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2. मैटरनिटी लीव के 26 सप्ताह में महिला ज़्यादा से ज़्यादा 8 सप्ताह का छुट्टी डिलीवरी से पहले ले सकती है। आप इससे कम भी छुट्टी ले सकते हैं और पूरी छुट्टी को बच्चे के जन्म के बाद के लिए बचा सकते हैं। यह डॉक्टर की सलाह, आपकी शरीर और मर्ज़ी पर निर्भर करता है। 

3. मैटरनिटी लीव के 26 सप्ताह मैक्सिमम हैं। अगर आप चाहें तो इससे कम छुट्टी भी ले सकते हैं। यह आपकी मर्ज़ी है।

4. हर कम्पनी या ऑर्गनाइज़ेशन जिसके 10 से अधिक कर्मचारी हैं, मैटरनिटी लीव देने के लिए बाध्य है।

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5. आपको अपने कम्पनी के मैटरनिटी लीव के पॉलिसी को अछि तरह पढ़ना चाहिए क्योंकि प्रिवेट सेक्टर के कम्पनी अपने लीव पॉलिसी में छोटे बदलाव कर सकते हैं। यह बदलाव कानून के दायरे में ही होते हैं। आम तौर पर इन बदलावों से महिलाओं को पेड मैटरनिटी लीव के बाद कम्पनी को छोड़ देने से रोका जाता है, क्योंकि वह कम्पनी के लिए भारी नुक्सान हो सकता है। इसलिए अपने कॉन्ट्रैक्ट को अच्छे से पढ़ें।

क्या सिर्फ बिओलॉजिकल माँ मैटरनिटी लीव का हक रखती हैं?

नहीं। हर माँ चाहे कैसे भी माँ बनी हो, मैटरनिटी लीव का अधिकार रखती हैं। जैसे की:

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  • बच्चे को अडॉप्ट(गॉड लेना) करने वाली महिला को 12 सप्ताह मैटरनिटी लीव का अधिकार है। यह अधिकार बच्चे के एडॉप्शन के दिन से शुरू होता है, और 3 महीने से कम उम्र के बच्चे को अडॉप्ट करने से ही लागू होता है।
  • अगर आप सरोगेसी के माध्यम से बिओलॉजिकल माँ बनती है, तब भी आपको 12 सप्ताह मैटरनिटी लीव का अधिकार है। इसका अर्थ है की बच्चे में आपका DNA होना चाहिए, चाहे वह किसी दुसरे महिला के गर्भ में पला हो।
  • अगर आप ट्यूबेक्टोमी करती हैं तो आपको ऑपरेशन के दिन से लेकर 2 सप्ताह लीव का अधिकार है।
  • बच्चे के जन्म के बाद अगर माता बीमार हो, तो उन्हें 1 महीने की छुट्टी मिल सकती है।

2017 अमेंडमेंट में क्या है?

1. अगर आपका पेशा आपको वर्क फ्रॉम होम की फैसिलिटी देता है, तो आप अपने एम्प्लॉयर के मर्ज़ी से 26 सप्ताह के बाद वर्क फ्रॉम होम कर सकती हैं। यह कानून आपके कम्पनी पर निर्भर करता है, और हर कंपनी इसे फॉलो करने के लिए बाध्य नहीं है।

2. जिस ऑर्गनिज़शन के 50 से ज़्यादा कर्मचारी हैं, उन्हें क्रेश फेसिलिटी रखना होगा, और महिला को दिन में 4 बार तक क्रेश जाने की अनुमति होती है। (इस क़ानून को पिता के लिए भी लागु होना चाहिए पर कानून में पिता का ज़िक्र नहीं है)

3. कम्पनी ज्वाइन करते समय सबको मैटरनिटी और पैटर्निटी लीव पॉलिसी के बारे में बताया जाना चाहिए, और अगर कोई पॉलिसी चेंज हो रहा है, यह भी सारे कर्मचारी को बताया जाना चाहिए।

अधिकार मैटरनिटी लीव कानून
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