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इस लॉकडाउन में हर कोई किसी ना किसी प्रकार की टेंशन से गुज़र रहा है । इसी बीच सिंगल इंडियन वीमेन , जो की अपने माता पिता के साथ रहती हैं , भी एक बहुत बड़ी प्रॉब्लम से गुज़र रही हैं । वो प्रॉब्लम है उनके ऊपर बढ़ता हुआ शादी का दबाव क्यूंकि माता पिता नहीं चाहते की उनकी बेटी घर पे 'पड़ी' रहे ।
अगर बेटी अपना करियर बनाने में समय लगाना चाहती है तो उसको शादी के लिए क्यों प्रेशराइस करते हो ? उसे शादी सिर्फ इसलिए क्यों करनी चाहिए क्योंकि समाज को लगता है की अब यही सही समय है।
इस क्वारंटाइन टाइम में एक दम से परिवारों ने बेटियों को अपने जीवन के साथ कुछ मीनिंगफुल करने के लिए कहना शुरू कर दिया है और वो मीनिंगफुल शादी करना ही क्यों है? घर पर बैठी बेटी को देखकर सिर्फ शादी का ख्याल ही क्यों आता है? क्या ये पान्डेमिक का टाइम पहले से ही सबके लिए इतना तनाव से भरा हुआ नहीं है ? हम इस समय को उनके लिए इतना मुश्किल क्यों बना रहे हैं ? उनकी प्रिऑरिटीज़ कोई और कैसे सेट कर सकता है?
20 या 30 की उम्र में आ जाने का मतलब ये नहीं की बेटी शादी करने के लिए तैयार है । अगर बेटी अपना करियर बनाने में टाइम स्पेंड करना चाहती है तो उसको शादी के लिए क्यों प्रेशराइस करते हो ? उसे शादी सिर्फ इसलिए क्यों करनी चाहिए क्योंकि समाज को लगता है की अब यही सही समय है।
शादी पूरी ज़िन्दगी की कमिटमेंट है, और अक्सर इसके साथ बहुत ज़्यादा जिम्मेदारी और रीति रिवाज़ भी आते है। ऐसा ज़रूरी नहीं की सब इसके लिए तैयार हो। इसको माता - पिता से बेहतर कोई नहीं समझ सकता। इसलिए ये एक शॉक की बात भी बात है की माता पिता ही अपनी बेटी पे शादी करने के लिए इतना प्रेशर डाल रहे हैं । कम से कम इस पान्डेमिक के टाइम जहाँ सब लोग किसी ना किसी तरीके से सफर कर रहे हैं, ये शादी का दबाव रुक जाना चाहिए ।
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