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Lohri 2023: लोहड़ी कब है? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

लोहड़ी पर दुल्ला भट्टी को याद करते हुए वह सुंदरी-मुंदरी की कहानी सुनाते हैं। उन्होंने नई फसल की प्रगति की भी कामना की। जाने अधिक जानकारी इस ब्लॉग में-

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Vaishali Garg
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Lohri 2023

Lohri 2023: लोहड़ी अग्नि और सूर्य देव की कृतज्ञता का पर्व है। यह पंजाब में फसल कटने के बाद मनाया जाता है। लोहड़ी की आग में तिल, गुड़, गेहूं की बालियां, रिउडी डालकर रबड़ की फसल की अच्छी उपज के लिए सूर्य और अग्नि को धन्यवाद दिया जाता है। इस दिन गुड़, तिल और मूंगफली से बनी चीजों का सेवन करना शुभ माना जाता है। लोहड़ी पर दुल्ला भट्टी को याद करते हुए वह सुंदरी-मुंदरी की कहानी सुनाते हैं। उन्होंने नई फसल की प्रगति की भी कामना की। इस मौके पर पंजाबी समाज के लोगों ने लोकगीतों पर भांगड़ा व गिद्दा बजाकर खशियां मनाई ।

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Lohri 2023: लोहड़ी कब है?

साल 2023 में मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी 2023 को मनाया जाएगा। जबकि लोहड़ी 14 जनवरी 2023 शनिवार को हैं। लोहड़ी फसलों से जुड़ा हुआ है, इसलिए यह त्योहार किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, इसे किसानों का नव वर्ष माना जाता है।

Lohri 2023: लोहड़ी 2023 शुभ मुहूर्त

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लोहड़ी पर्व पंजाबियों के लिए बहुत ही खास पर्व माना जाता है। इस दिन  रात में पंजाबी लोग आग जलाते हैं और उसमें गेहूं की मोमबत्तियां चढ़ाते हैं। इस साल लोहड़ी का मुहूर्त 8 बजकर 57 मिन पर है।

Lohri 2023: लोहड़ी पूजा विधि

लोहड़ी के पर्व में घर के बाहर या फिर कहीं ओपन एरिया पर आग को जलाया जाता है और उस अग्नि की परिक्रमा करने के साथ फिर उसमें तिल, गजक, पॉपकॉर्न, मूंगफली आदि डाले जाते हैं। इस पर्व में ख़ास व्यंजन बनाए जाते हैं जिनमें गजक, मूंगफली, गुड़ आदि (लोहड़ी पर जरूर बनाएं ये चीज़ें) को जरूर 'शामिल किया जाता है।

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लोहड़ी के पर्व में एक स्थान पर लकड़ियों को इकठ्ठा करके अग्नि दी जाती है और इसके बाद सभी परिवार के लोग अग्नि के चारों ओर परिक्रमा लगाते हैं। परिक्रमा लगाते हुए सुख समृद्धि का आशीष मांगा जाता है। लोग एक दूसरे को बधाई देते हैं और अपनी पुरानी दुश्मनी को भूलेकर एक दूसरे को गले लगाते हैं। इस दिन खासतौर पर रेवडी गजक पॉप कॉर्न आदि

Lohri 2023: क्यों मनाया जाता है यह पर्व

लोहड़ी पर्व का फसल की बुवाई और कटाई से जुड़ा है। आपको बता दें की इस पर्व पर नई फसल की पूजा की जाती है। लोहड़ी की आग में रवि की फसल के तौर पर तिल, रेवड़ी, मूंगफली, गुड़ आदि चीजें डाला जाता  है। इस दिन लोग सूर्य देव और अग्नि देव को आभार व्यक्त करते है, जिससे की फसल अच्छी उत्पन्न हो।

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