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सिर्फ शादी करना ही जीवन का मकसद नहीं होता इसलिए आत्मनिर्भर बनें

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Swati Bundela
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देश में सिंगल वुमन की संख्या तेजी से बढ़ी है


लड़कियों की शादी ज्यादातर तीस पार की उम्र में ही हो रही है। इसलिए देश में सिंगल वुमन की संख्या तेजी से बढ़ी है। एक रिसर्च के अनुसार भारत में 25 से 59 साल की अनमैरिड वूमेन की संख्या करीब 2.5 फीसदी है। अब तो सिंगल वुमन के वजूद को सरकार भी गंभीरता से लेने लगी है।
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लड़का -लड़की में भेदभाव कम हो रहा है


भारत में धीरे -धीरे लड़का -लड़की में भेदभाव कम हो रहा है। अब लड़कियों को भी लड़कों के ही बराबर सुविधाएं और प्रोत्साहन मिलने लगा है, जिससे वे बेहतर शिक्षा और रोजगार हासिल कर रही हैं। पढ़ाई और करियर के साथ-साथ शादी को लेकर भी लड़कियों की सोच बदली है। अब लड़कियां किसी लड़के पर डिपेंड होना पसंद नहीं करती बल्कि खुद भी अपने पार्टनर का साथ देना चाहती है।
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"ज़िम्मेदारियों से बचना चाहती है इसलिए शादी नहीं कर रही"


जो लड़कियां अपने करियर को शादी से पहले चुनती है उनके बारे में कहा जाता है कि वे जिम्मेदारियों से बचना चाहती हैं इसलिए शादी से कतराती हैं। पर उन लोगों को ये नहीं दिखता कि जो लड़की अपना करियर संभाल सकती है, खुदको संभाल सकती, अपने मां-बाप को संभाल सकती है तो वो शादी के बाद भी सबकुछ संभाल सकती है।
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समाज के ऐसे लोगों पर ध्यान न दे। चाहे लड़का हो या लड़की अपने पैरो पर खड़ा होना सबसे ज्यादा ज़रूरी है। शादी जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है लेकिन सिर्फ शादी करना ही जीवन का मकसद नहीं होता इसलिए सेल्फ इंडिपेंडेंट बने।

पढ़िए :शादी के बाद लड़की का सपना क्या सिर्फ पति का घर संभालना होता है ?

#फेमिनिज्म सोसाइटी महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता
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