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मिलिए भारतीय खाने को खाने और खिलाने की शौकीन रीता लाल से

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Swati Bundela
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1.आपकी होम-शेफ बनने का सफर कब और कैसे शुरू हुआ ?


मैं जब 15 -16 साल की थी तब मुझमें खाना बनाने की रुचि पैदा हुई। तभी मैंने आसान और साधारण दिशिस बनाना शुरू किया। शुरुआत में मैंने अपनी दादी और मां से पारंपरिक खाना बनाने की विधि सीखी। शादी के बाद मेरी खाना बनाने में रूचि बढ़ गई। मैं रोज घर के सदस्यों के लिए 2-3 बार खाना बनाती थी। इस दौरान मैंने अलग तरह की नई नई दिशिस बनाना शरू किया, जिसे घर के लोगों ने काफी पसंद किया। इससे मेरा हौसला बढ़ा और मै नई नई रेसिपी बनाने की कोशिश करने लगी। जब कभी बाहर रेस्टोरेंट में खाने जाती तो वहां से तरह तरह की दिशिस बनाने की जानकारी मिलती थी। इस तरह कुकिंग ने मेरे अंदर की क्रिएटिविटी को निखारा एवं इसे एक दिशा दी। इस कला को मैंने अपने करीबी लोगों के साथ शेयर किया.
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2. आपका सिग्नेचर स्टाइल ऑफ़ कुकिंग क्या है ?


मेरा सिग्नेचर स्टाइल ऑफ कुकिंग इंडियन दिशिस है। भारत में हर एक क्षेत्र की अपनी अपनी कुकिंग स्टाइल है। जिनके स्वाद और महक एवं बनाने का तरीका भी ख़ास है । इतने सारे दिशिस और विधिओं से मैं प्रेरणा लेती हूं। इन सारे लाजवाब दिशिस को आसान तरीके से कैसे बनाया जाए इस बात पर मैं जोर देती हूं। मैं अपनी सभी डिशेज में खुशबूदार एवं हेल्थी भारतीय मसालों का प्रयोग करती हूं। इसके अलावा मैं अरेबियन, कॉन्टिनेंटल और चाईनीज डिशेज पर भी अपनी हाथ आजमाती हूं।
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कुकिंग एक बेसिक स्किल है जिसे नारी हो या पुरुष सभी सीख सकते हैं। इसे सबको सीखनी चाहिए एवं खाने और खिलाने का भरपूर आनंद लेना चाहिए। - रीता लाल


3.कोरोना वायरस और लॉकडाउन ने आपके काम को किस तरह प्रभावित किया है?

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इस लॉकडाउन ने हम सबको प्रभावित किया है। मुझे आशा हैं कि हमें कोरोना वायरस के संकट से जल्द ही छुटकारा मिलेगी। लॉकडाउन के चलते हमे फ्रेश इंग्रेडिएंट्स नहीं मिलती, कुछ आइटम्स उपलब्ध भी नहीं होते। इन कठिनाइयों को समझते हुए मैं जो भी प्राप्त होता है उसी का इस्तेमाल करती हूं। जो समान नहीं मिलता उसके सब्स्टीट्यूट (substitute) से काम चलाती हूं। ज़रूरत के अनुसार रेसिपी को मॉडिफाई कर लेती हूं। इस लॉक डाउन ने मुझे आसान और कम से कम इंग्रीडिएंट वाले रेसिपी बनाने का अवसर दिया है।

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4.पान्डेमिक के समय में लोग बाहर खाना बंद करके घर पर ही नयी डिशेस बना रहे है और अपने कुकिंग स्किल्स को आज़मा रहे है। इसके बारे में आप क्या कहना चाहेंगी ?

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मेरी समझ से ये पोंडेमिक संकट ने हमें एक मौका दिया है। जिसमें लोग अपने कुकिंग की कला को उभार कर उसे और निखार कर सकते हैं। अपने हाथों का बनाया खाना खाकर एवं खिलाकर जो खुशी मिलती है वो बाहर के खाने से नहीं मिलती। साथ ही यह हमें आत्मनिर्भर बनाता है और पैसे भी बचाता है।

5. सोशल मीडिया का आपकी जर्नी में क्या रोल रहा है?

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मेरी सोशल मीडिया के सफर की शुरुआत करीब दो साल पहले इंस्टाग्राम में मेरे एकाउंट में कुछ दिशिस के पिक्स को पोस्ट करने से हुई। फिर मेरे फॉलोअर्स दिशिस की रेसिपी एवं इसके बनाने के तरीके के बारे में पूछने लगे। इससे मुझे बहुत ख़ुशी हुई और नई नई दिशिस
बनाने की प्रेरणा मिली। इस दौरान मुझे मेरे फॉलोअर्स से बहुत सारे सुझाव मिले जिनको अपनाकर मुझे और भी नए नए दिशिस बनाने में सहायता मिली। मेरे फॉलोअर्स का प्यार और सुझाव मेरी सबसे बड़ी ताकत है । सोशल मीडिया ने मेरी क्रिएटिविटी को बढ़ाने और मुझे अपडेट रखने में मेरी बहुत मदद की है.

6.आपके अनुसार क्या कुकिंग का जेंडर से कोई लेना देना है ?


बिल्कुल भी नहीं। कुकिंग एक बेसिक स्किल है जिसे नारी हो या पुरुष सभी सीख सकते हैं। इसे सबको सीखनी चाहिए एवं खाने और खिलाने का भरपूर आनंद लेना चाहिए।

7. आपके काम को लेकर आपकी भविष्य की योजनाएं क्या हैं ?


शुरुआत में मेरी इच्छा अपनी कुकिंग की वीडियो बनाकर उसे इंस्टाग्राम पर पोस्ट करने की है और अपना YouTube पर एक चैनल खोलने की है। इसके बाद मैं कुकिंग वेबसाइट बनाऊंगी। जिसमे मैं अपनी दिशिस की रेसिपी को ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ शेयर करूंगी।

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