/hindi/media/media_files/2025/07/26/meet-the-moms-behind-indias-sports-stars-2025-07-26-16-55-34.png)
Divya Deshmukh and Namrata Deshmukh Credits: Anna Shtourman/FIDE
हर कोने से आए एथलीट्स, जिनमें भारतीय खिलाड़ी भी शामिल थे, जीत की चाह में सरहदों से परे निकल गए। उनका सफर सपनों और जज़्बातों से भरा था। एक ऐसा अनुभव जो जुनून और एकजुटता की मिसाल बन गया। तालियों की गूंज और चुनौतियों के बीच एक चीज़ सबमें सामान्य थी एक ताकत जो हर खिलाड़ी को आगे बढ़ने का हौसला देती है, उनकी मां की अटूट ताकत। हर एथलीट की कामयाबी के पीछे होती है एक अनसुनी हीरो उसकी मां, जो न सिर्फ उसकी रीढ़ बनती है, बल्कि बिना थके उसे बेपनाह प्यार, दृढ़ निश्चय और हमेशा का साथ देती है।
मनु भाकर से लेकर दिव्या देशमुख तक: मिलिए भारत के खेल सितारों की मजबूत मांओं से
दिव्या देशमुख और डॉ. नम्रता देशमुख
दिव्या देशमुख वह टीनएजर जिसने भारतीय शतरंज को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। हाल ही में FIDE वुमेन्स वर्ल्ड कप फाइनल्स के लिए क्वालिफाई करने वाली पहली भारतीय बनीं। इस ऐतिहासिक उपलब्धि का श्रेय उन्होंने अपनी मां के अटूट साथ को दिया। उन्होंने जीत के बाद मीडिया से कहा, "मैं नहीं सोचती कि अगर वो न होतीं तो मैं यहां तक पहुंच पाती। अच्छा लगता है जब कोई हर अच्छे-बुरे वक़्त में तुम्हारे लिए तालियां बजा रहा हो।”
दिव्या की मां, डॉ. नम्रता देशमुख, पेशे से एक फुल-टाइम डॉक्टर हैं। इसके बावजूद वे बेटी के साथ जॉर्जिया के बातुमी में हुए वर्ल्ड कप टूर्नामेंट्स तक गईं। पूरे टूर्नामेंट के दौरान उन्होंने दिव्या को न सिर्फ साथ दिया, बल्कि हर पल उसे संबल और हौसला भी देती रहीं।
"She is the biggest support here. I don't think that I would have come this far without her. It's really nice to see somebody who's always cheering on you in your good times and bad times." - 🇮🇳 Divya Deshmukh on her mother
— International Chess Federation (@FIDE_chess) July 21, 2025
📷 Anna Shtourman/FIDE pic.twitter.com/Gotm7ENjPM
डी. गुकेश और पद्मा कुमारी
भारतीय शतरंज के होनहार खिलाड़ी डी. गुकेश ने महज 18 साल की उम्र में इतिहास रच दिया। उन्होंने मौजूदा वर्ल्ड चैंपियन चीन के डिंग लिरेन को हराकर सबसे युवा विश्व शतरंज चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। इस ऐतिहासिक जीत के बाद एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें गुकेश की मां, डॉ. पद्मा कुमारी, उन्हें ट्रॉफी लेते हुए देख भावुक हो जाती हैं। एक और वीडियो में वे गर्व से अपने बेटे की ट्रॉफी को निहारती हैं और उसे चूमती हैं। ये पल सिर्फ जीत के नहीं हैं बल्कि हर उस संघर्ष और त्याग की झलक हैं जो एक मां अपने बच्चे के सपनों को सच होते देखने के लिए करती है।
Won laurels for his motherland and he ran straight to his mother's arms 🫂
— Indian Sports Honours (@sportshonours) April 26, 2024
An emotional moment for Gukesh as he returned home 🇮🇳
📹: @ChessbaseIndia#ISH #bluerising #chess pic.twitter.com/SU2WysFv6i
पद्मा कुमारी एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं और कई इंटरव्यूज़ में गुकेश के साथ नजर आ चुकी हैं। गुकेश अपने माता-पिता को अपना मजबूत सहारा मानते हैं।ChessBase India को दिए इंटरव्यू में पद्मा ने कहा, "गुकेश भावनात्मक सहारे के लिए हमेशा मेरे पास आता है। मुश्किल समय में वो खुद को संभाल लेता है, लेकिन मेरी थोड़ी सी हिम्मत उसे और मजबूत बना देती है। मैं उसे शांत और संतुलित रहने की याद दिलाती हूं।"
मनु भाकर की मां सुमेधा
शूटर मनु भाकर का 2021 के खेलों में सफर उस वक्त थम गया था जब उनकी पिस्टल में खराबी आ गई। इस हादसे ने उन्हें इतना तोड़ दिया कि उन्होंने खेल से दूरी बना ली। लेकिन सही कोचिंग और मां के हौसले से उन्होंने दोबारा वापसी की। मुश्किल वक्त में उनकी मां सुमेधा उनके साथ चट्टान की तरह खड़ी रहीं। आज उसी मेहनत का नतीजा है कि मनु ने पेरिस ओलंपिक्स 2024 में भारत के लिए दो ऐतिहासिक ब्रॉन्ज मेडल जीते हैं। सुमेधा ने बताया कि मनु इस लक्ष्य को पाने के लिए रोज़ाना 9 घंटे से ज़्यादा अभ्यास करती थीं। उन्होंने कई त्याग किए ताकि देश को गर्व का मौका दे सकें। उनकी जीतों के पीछे अगर कोई सबसे बड़ा सहारा रहा है, तो वो हैं उनके माता-पिता का साथ और हौसला।
Olympics.com को दिए एक इंटरव्यू में 2021 में मनु ने कहा था, "जिंदगी में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। मनु लगातार मेहनत करती है, लेकिन कभी-कभी किस्मत साथ नहीं देती। ऐसे वक्त में मैं उसे हिम्मत देती हूं और कहती हूं कि अगली बार तुम जरूर अच्छा करोगी।"
मनिका बत्रा और सुषमा त्यागम
मनिका बत्रा ने पेरिस ओलंपिक 2024 में इतिहास रचते हुए राउंड ऑफ़ 16 में पहुंचने वाली पहली भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ी बनने का गौरव हासिल किया है। दुनिया की शीर्ष पैडलर्स में शामिल होने का उनका सफर आसान नहीं था।
29 वर्षीय मनिका को अपने खेल करियर पर पूरा ध्यान देने के लिए कॉलेज तक छोड़ना पड़ा — एक ऐसा फैसला जिसे ज़्यादातर दक्षिण एशियाई परिवार सहजता से नहीं लेते। लेकिन उनके माता-पिता ने हमेशा उन पर अटूट भरोसा दिखाया।
SheThePeople को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "मेरी मां ने हमेशा मुझे सुरक्षित रखा। उन्होंने सुनिश्चित किया कि लोग मुझ पर कभी उंगली न उठाएं सिर्फ इसलिए कि मैंने पारंपरिक करियर की बजाय खेल को चुना। मेरी बहन और दादी ने भी मुझे बेहतर बनने में मदद की। परिवार का साथ होना बेहद ज़रूरी होता है।"
सिर्फ मनिका ही नहीं, उनकी मां सुषमा त्यागम ने भी उनकी सफलता के लिए पूरी तरह खुद को समर्पित कर दिया। निर्णयों में साथ देने से लेकर कई बलिदान देने तक उन्होंने हर मुश्किल में बेटी का साथ निभाया।
मनिका के पिता मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों से जूझ रहे थे, जिससे परिवार को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। लेकिन सुषमा, जो एक फैशन डिज़ाइनर हैं, उस दौर में मजबूती से खड़ी रहीं और परिवार को आर्थिक व भावनात्मक रूप से संभाला।
तुलिका मान और उनकी मां अमृता
जूडो खिलाड़ी तुलिका मान की मां अमृता, एक पुलिस अधिकारी हैं, जिन्होंने अपने करियर और परिवार दोनों को संतुलित करने के लिए दिन-रात मेहनत की।
ड्यूटी के बीच में भी वे अपनी बेटी को स्कूल से लेने जातीं और फिर उसे पुलिस स्टेशन ले आतीं। लेकिन यह माहौल तुलिका के लिए ठीक न लगे, इसलिए अमृता ने उन्हें एक जूडो क्लब में भर्ती करवा दिया — ताकि वह अपना वक्त अपराधियों के बीच नहीं, खेल के मैदान में बिताए।
अमृता और तुलिका मान
Indian Express से बातचीत में अमृता ने बताया कि उन्होंने तुलिका के सपनों को उड़ान देने के लिए कई कठिन फैसले लिए — कर्ज लिया, अपनी बचत खर्च की, लेकिन कभी हार नहीं मानी।
आज 25 वर्षीय तुलिका पेरिस ओलंपिक्स 2024 में भारत का प्रतिनिधित्व कर रही हैं अपनी मां की मेहनत का गर्व से जवाब दे रही हैं। मुश्किल पलों में अमृता अब भी तुलिका की सबसे बड़ी ताकत बनी हुई हैं।
रोहित शर्मा की मां का भावुक पल, जिसने सबका दिल छू लिया
जब भारत ने T20 वर्ल्ड कप 2024 में साउथ अफ्रीका को हराकर जीत दर्ज की, तो रोहित शर्मा और विराट कोहली ने T20 इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी।
इस जश्न में सिर्फ खिलाड़ी ही नहीं, उनके परिवार भी शामिल थे। एक तस्वीर ने सभी का दिल जीत लिया — रोहित शर्मा अपनी बेटी समायरा को कंधे पर उठाए हुए थे, वहीं विराट उनके बगल में भारतीय झंडा लपेटे खड़े थे।
यह तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब पसंद की गई और खुद रोहित की मां, पूर्णिमा शर्मा ने भी इसे इंस्टाग्राम पर शेयर किया। उन्होंने कैप्शन में लिखा, "बेटी कंधे पर, देश पीठ पर और भाई साथ में।"
नीरज चोपड़ा और सरोज देवी
2023 वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप, बुडापेस्ट में भाला फेंक स्पर्धा में नीरज चोपड़ा ने इतिहास रच दिया। 25 वर्षीय नीरज ने शानदार प्रदर्शन करते हुए भारत के लिए इस टूर्नामेंट का पहला गोल्ड मेडल जीता — एक और उपलब्धि उनके ओलंपिक गौरव की सूची में जुड़ गई।
उनकी ये जीत खासतौर पर इसलिए भी चर्चा में रही क्योंकि उन्होंने फाइनल में पाकिस्तानी खिलाड़ी को हराया, जिससे देशभर में जश्न का माहौल बन गया।
लेकिन जो पल सबसे ज़्यादा दिल छू गया, वो था नीरज की मां सरोज देवी की प्रतिक्रिया। जीत के बाद एक वायरल वीडियो में जब उनसे पूछा गया कि पाकिस्तानी खिलाड़ी पर उनके बेटे की जीत को लेकर वो क्या महसूस कर रही हैं, तो उन्होंने बेहद सादगी और परिपक्वता से जवाब दिया:
"मैदान में सब खिलाड़ी होते हैं, कोई तो जीतेगा ही। पाकिस्तान हो या हरियाणा — खेल में इन बातों का कोई फर्क नहीं होता।" उनकी ये बात खेल भावना की एक खूबसूरत मिसाल बन गई।
A reporter asked #NeerajChopra 's mother about how she feels about Neeraj defeating a Pakistani athlete to win gold.
— Roshan Rai (@RoshanKrRaii) August 28, 2023
His mother said : A player is a player, it doesn't matter where he comes from, I am glad that the Pakistani player ( Arshad Nadeem) won as well.
This whole… pic.twitter.com/imk3ZHyLrC