पिछले कुछ सालो में “Mental Health”, यानी मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत चर्चा हो रही है। कोविड 19 महामारी के दौरान यह टॉपिक हर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पे ट्रेंडिंग थी। हम सब ने डिप्रेशन, एंग्जायटी, स्ट्रेस, आदि शब्द सुने होंगे और इसके बारे में जानकारी रखते होंगे, पर क्या हम इस जानकारी का लाभ उठा रहे हैं? क्या हम मानसिक रोग से पीड़ित किसी दोस्त या रिश्तेदार की मदद करने की कोशिश की? क्या हमने अपने बच्चों से बात की?
COVID-19 महामारी में लोखड़ौन और आइसोलेशन, बेरोज़गारी, परिवार और प्रियजनों में रोग और मृत्यु जैसे घटनाओ ने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाला, पर साथ ही, भारतीयों में इस टॉपिक पर चर्चा करने के लिए प्रोत्साहित किया।
एक सर्वे के अनुसार, 87% लोगों को मानसिक बीमारी के बारे में पता था, और 71% ने मानसिक बीमारी को “स्टिग्मा ” माना। मानसिक रोग से पीड़ित लोगो को “पागल’ कहना या मन्ना बहुत ही गलत है। इसके दो बुरे प्रभाव पड़ते हैं। पहला, मानसिक रोग से पीड़ित लोग जिन्हे डायग्नोसिस मिल चुकी है, वे अपने आप पर शर्म महसूस करते हैं। दूसरा, जो लोग ऐसी परिस्थिति से गुज़र डॉक्टर जाने से, परिवार वालो से इस बारे में बात करने से डर और शर्म महसूस होती है। इस कारण वे इलाज नहीं करवाते और अकेले ही दर्द सहते रहते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य शारीरिक स्वास्थ्य जितना ही महत्वपूर्ण है -
हमें शारीरिक शक्ति साथ साथ मानसिक शक्ति पर भी काम करना चाहिए। जब हमारे या हमारे परिवार वाले के पेट में लगातार दर्द होता है, हम डॉक्टर राय हैं, तो अगर दर्द मन में है, हम इलाज क्यों न जाए?
इसके अलावा, जब हमें डर लग रहा हो या एंग्जायटी महसूस हो रही हो, हमें किसी करीब इंसान से इस बारे में बात करनी चाहिए। अगर हमे डर लगता है तो हम थेरेपिस्ट या स्कूल- कॉलेज के कौंसिलर से भी बात कर सकते हैं। वे हमे इन भावनाओ को संभालना सिखाएंगे ताकि हमारे जीवन पर इसका कोई असर न पड़े और हम खुश रह सके।
मानसिक स्वास्थ्य का प्रभाव शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है-
मानसिक स्वास्थ्य सीधा प्रभाव शारीरिक स्वस्थ पर पड़ता है। जैसे की लगातार एंग्जायटी वाले वातावरण में रहने से लोगो को पेट और पाचन की समस्याएं होती है। इसी कारण से कुछ बचो को परीक्षा से पहले बुखार और उलटी जैसे लक्षण आने लगते हैं। मन और शरीर आपस में जुड़े हुए हैं।
तनाव प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रभावशीलता को कम करता है। परीक्षा के पहले वाले डर के प्रभाव परीक्षा के साथ ही ख़तम हो जाते हैं पर अगर डर या एंग्जायटी का कारण पारिवारिक पर्यावरण या शोषण जैसे चीज़े हैं, तो इनके लोंगटर्म प्रभाव जैसे हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट प्रॉब्लम, किडनी प्रॉब्लम, आदि हो सकते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा महत्वपूर्ण है
हमें न केवल अपना ख्याल रखने की जरूरत है बल्कि उन लोगों तक भी पहुंचने की जरूरत है जिन्हें मदद की जरूरत है। मानसिक बीमारी को वे लोग भी गलत समझते हैं जिन्होंने कभी इसका अनुभव नहीं किया है। स्टिग्मा को कम करने के लिए दूसरों के साथ अपने अनुभव बांटना एक रास्ता है। मानसिक रोग पीछे की विज्ञान को समझना एक और सलूशन।
यदि लोग मानसिक बीमारी को भय और स्टिग्मा के नज़रो से देखेंगे तो लोगो को आवश्यक सहायता प्राप्त करने में कठिनआई होगी। हमें अपना नजरिया बदलने की जरूरत है। हमें मानसिक बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए सामाजिक समर्थन के महत्व को पहचानना चाहिए और पीड़ित लोगों को संभव देखभाल प्रदान करने की हमारी जिम्मेदारी को पहचानना चाहिए।