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क्या आप अपनी बेटी के साथ शेयर करते हैं एक स्पेशल रिश्ता ?

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Swati Bundela
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आज के समय में माँ और बेटी का रिश्ता कैसा होना चाहिए - अपनी छोटी सी बच्ची को उम्र की एक-एक सीढ़ी तय करके किशोरी, फिर युवती, उसके बाद एक औरत बनते देखना हर  माँ के लिए एक अनोखा अनुभव होता है | माँ ही बेटी को उसके भविष्य के लिए तैयार करती है|
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जब माँ की कोख एक बेटी को जन्म देती है, उसी वक़्त माँ को एक नया दोस्त और बेटी को अपना पहला दोस्त मिल जाता है।
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माँ बेटी के बीच परस्पर विश्वास का रिश्ता होता है | माँएं जहां बेटियाँ को जिंदगी के हर अच्छे बुरे समय के लिए तैयार करती हैं वही  बेटियाँ अपनी जिंदगी के हर फैसले में  की राय को पूरा महत्व देती हैं उम्र के इस पड़ाव तक पहुंचते-पहुंचते माँ-बेटी एक दूसरे के सुख दुख परेशानियां और दर्द बांटने लगती हैं | अपनी बिटिया को हाथ पकड़ कर इस मोड़ तक लाने का दायित्व माँ  का ही होता है | कुछ बातें ऐसी हैं जो अगर माँ शुरू से ही अपनी लाडली को बताए तो वह जिंदगी का बेहतर तरीके से सामना करने के लिए तैयार हो जाती हैं |

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  •  बेटी की दोस्त बने




किशोरावस्था बहुत नाजुक उम्र होती है | इस समय बच्चों पर माता-पिता से ज्यादा प्रभाव दोस्तों का होता है | जिंदगी में अच्छे दोस्त बहुत मुश्किल से मिलते हैं | अपनी बिटिया को अच्छे दोस्तों का महत्व समझाएं | साथ ही गलत दोस्ती से होने वाले नुकसानों को भी बताएं | बिटिया के साथ अपने संबंध इतने दोस्ताना रखें, कि वह आपके साथ अपनी हर बात शेयर कर सके | यहां तक कि दोस्तों सहेलियों के बीच हुई बातें भी | बेटी में इतना आत्मविश्वास भरे, कि वह अपनी सहेलियों की गलत बातों को मानने से मना कर सके |

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  • आत्म निर्भर होना जरूरी है




बिटिया को शुरू से ही पढ़ाई का महत्व समझाएं | पुरानी मान्यताएं अब बदल रही हैं | आजकल लड़के तो कामकाजी पत्नी चाहते ही हैं, खुद लड़कियों के लिए भी अपने पांव पर खड़ा होना जरूरी है | भविष्य हमेशा सुखद ही होगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है | यदि आप या उसका भावी पति नहीं चाहते कि आप की बिटिया नौकरी करे तो भी उसे कुछ ऐसी व्यवसायिक योग्यता अवश्य दिलवाएं, जो जरुरत पड़ने पर उस के काम आ सके| बेटी को जिंदगी के हर रंग के लिए तैयार करें और उसे अपनी जिंदगी के सही फैसले करने के काबिल बनाएं |

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  • बेटी को पैसे की कद्र करना सिखाएं




अक्सर किशोर बच्चे पैसे की कद्र नहीं करते | फिल्में देखने, नए कपड़ों या मेकअप पर अनाप-शनाप खर्च करने की आदत अपने बच्चों और खासकर बिटिया में तो बिल्कुल ना पड़ने दें | आखिरकार उसी पर अपने परिवार को अच्छे तरीके से चलाने की जिम्मेदारी आने वाली है | माँ ही बेटी में शौक और जरूरत में फर्क करने की काबिलियत पैदा कर सकती है | घर का बजट बनाते समय युवा बेटी को भी साथ रखें तो बेहतर होगा |

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बेटी के रिश्ते को ऐसे बनाएं खास

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1.पहला कदम खुद बढ़ाएं - माँ-बेटी के स्पेशल रिश्ते से दूरियों की दीवार गिराने के लिए कभी भी एक-दूसरे की पहल का इंतजार नहीं करना चाहिए, बल्कि हमेशा ये सोचें कि हमने कहां और ऐसी कौन सी गलती की जिससे रिश्ते में गलतफहमी जन्म ले पाईं।



2. अपने आप को बदलें - अक्सर लोग अपनी की गई गलती का ठीकरा भी दूसरों पर डाल देते हैं,लेकिन कभी भी इस सोच से किसी भी रिश्ते में सुधार नहीं लाया जा सकता है। अगर आप वास्तव में अपनी के साथ रिश्ते में सुधार लाना चाहती हैं, तो सबसे पहले खुद को बदलें। आप अपनी क्रिया और प्रतिक्रिया में बदलाव लाकर ही इस समस्या को खत्म कर सकती हैं।



3. कभी भी बातचीत बंद न करें - किसी भी समस्या का हल तभी निकाला जा सकता है,जब उस पर खुलकर बात की जाए। क्योंकि बातचीत करने से ही एक-दूसरे के नजरिये को समझने में आसानी होती है। जिसके बाद रिश्तों आई दूरियों को आपसी समझ के साथ मिटाया जा सकता है। आपको बता दें कि "कुछ मायनों में वे इतने करीब हो सकते हैं या इतने करीब महसूस कर सकते हैं कि उनका मानना ​​है कि उनमें से प्रत्येक को पता होना चाहिए कि दूसरा कैसा महसूस करता है।" "नतीजतन क्या होता है कि वे संवाद नहीं करते हैं।" या वे कठोर रूप से संवाद करते हैं।



आजकल के बदलते मूल्य और विदेशी चैनलों के बढ़ते प्रभाव के कारण किशोरावस्था में अफसर बच्चों के कदम भटक जाते हैं | तो कभी-कभी घर बाहर के कुछ लोग बच्चियों की मासूमियत का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं | एक माँ की हैसियत से यह आपकी जिम्मेदारी हो जाती है, कि आप बेटी को अपने शरीर के प्रति सजग करें | उसे बताएं कि अपने स्त्रीत्व के प्रति उसे खुद ही जिम्मेदार होना होगा | आपकी और आपकी बेटी के बीच इतना खुलापन हो कि अगर उसके साथ कभी किसी तरह की दुर्घटना हो जाए, तो भी वह सबसे पहले आपको इस बारे में बताएं | इसी के साथ बेटियाँ  को सही और अच्छे से सजने-संवरने व्यक्तित्व को सवारने और विकसित होते शरीर की पर्याप्त साफ-सफाई रखने संबंधी सभी आवश्यक जानकारी दें |

पढ़िए : माँ को अपनी बेटियों से सेक्स के बारे में क्यों बात करनी चाहिये?

पेरेंटिंग मां और बेटी का रिश्ता
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