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माँ को अपनी बेटियों से सेक्स के बारे में क्यों बात करनी चाहिये?

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Swati Bundela
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देखा गया है कि बच्चों द्वारा सेक्स से जुड़े सवाल पूछे जाने पर parents अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं या उनके सवालों के जवाब की ज़िम्मेदारी दूसरे-तीसरे पर डाल देते हैं। parents को लगता है कि क्या इस बारे में बात करना ठीक रहेगा क्योंकि बच्चे काफी छोटी उम्र से इस बारे में curious रहते हैं। और घर पर इन सब बातों का जवाब ना मिलने पर बच्चे बाहर से या इंटरनेट से सवालों के जवाब ढूँढते हैं जो अक्सर गलत असर डालता है। 
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तो आइए जानते हैं की आप अपने बच्चों के सेक्स से जुड़े सवालों को क्यों बताना जरूरी है, और इसे कैसे बताना चाहिये। बेटियों को सेक्स एजुकेशन कैसे दें 

माँ को बच्चों से सेक्स के बारे में जरुर बताना चाहिये

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सबसे पहले आप इस बात को दिमाग से निकाल दें कि इस बारे में बात करना ठीक नहीं रहेगा। बिल्कुल यह बात करने की चीज़ है। ऐसा हो सकता है की बच्चों द्वारा इस तरह के सवाल पूछे जाना थोड़ा अजीब लग सकता है पर लगभग हर माता-पिता को ऐसे सवालों का सामना करना ही पड़ता है। 
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और तो और बच्चों में चीज़ों के बारे में जानने की बहुत (curiosity) होती है, इसलिए ऐसे सवाल वे उठायेंगे ही। ऐसे में यह आपका फ़र्ज़ बनता है कि उनके सवालों का जवाब सही ढंग से देने की कोशिश करें ना की उन्हें डांट-डपट कर चुप कर दें।
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यदि आप अपने बच्चों के सेक्स से जुड़े सवालों को इग्नोर करेंगे या उन्हें डांट-डपट कर चुप कराने की कोशिश करेंगे तो उन्हें लग सकता है कि उन्होंने कुछ ग़लत पूछ लिया है या सेक्स कोई बुरी चीज़ है। और फिर वे आगे कभी इस टाॅपिक पर आप से या किसी भी बड़े से बात नहीं करेंगे। 
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इसलिए parents को झिझक से बाहर निकलकर सही जानकारी के साथ अपने बच्चों से बात करनी चाहिये। आप इसे किसी बहुत बड़ी या अनोखी समस्या की तरह न लेते हुए बेहद सामान्य ढंग से लें। 
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टीवी और इंटरनेट की दुनिया में बच्चों का ऐसी चीज़ों से रूबरू हो जाना आम बात है। ऐसे में सबसे अच्छा तरीक़ा है कि अपनी झिझक को मिटा कर उनसे इन मुद्दों पर बात करें और उन्हें सही व ग़लत, गुड टच और बैड टच की समझ दें।

माँ-बेटी को इस बारे में बातें करनी चाहिये।

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आमतौर पर 3-4 वर्ष की उम्र में बच्चे अपने प्राइवेट पार्ट के बारे में पूछने लगते हैं, ऐसे में आप उन्हें बताएं कि यह उनके शरीर का एक प्राइवेट अंग है। इस उम्र में  उनके लिए इतना ही काफ़ी है। अगर आप इन अंगों को अनदेखा करेंगीं तो आप उनके दिमाग को यह संदेश देते हैं कि इनके बारे में ज़रूर कुछ न कुछ गड़बड़ है, इसलिए बताना जरूरी है।

थोड़ा और बड़े हो जाने पर माँ को अपनी बेटियों को परियड्स और उनके प्राइवेट पार्ट्स की भी समझ देनी चाहिए। उनसे कहें कि उनके प्राइवेट पार्ट्स को सिर्फ़ वे ही छू या देख सकते हैं, अगर कोई और ऐसा करने की कोशिश करे तो तुरंत आकर माता-पिता, टीचर या परिवार के किसी बड़े को बताएं। यदि स्कूल में कोई उनके प्राइवेट पार्ट्स को छूने की कोशिश करे तो टीचर से बताएं।

आजकल जिस तरह छोटे बच्चों के साथ sexual assault की घटनाएं ख़बरों में आती रहती हैं इसलिए हर parents को अपने बच्चों को ‘गुड टच, बैड टच’ के बारे में ज़रूर बताना चाहिए। और एक बात देखी गई है कि ज़्यादातर parents लड़कियों को ही सुरक्षित रखने के बारे में सोचते हैं, पर उन्हें अपनी इस सोच में बदलाव लाना चाहिये और लड़कों को भी जागरूक और responsible बनाना चाहिए। बेटियों को सेक्स एजुकेशन कैसे दें 

सेक्स एजुकेशन के बारे में बात करना क्यों जरूरी है? बेटियों को सेक्स एजुकेशन कैसे दें


Teenage में क़दम रखने वाले बच्चों को homosexuality,  हस्तमैथुन(masturbation) पीरियड्स आदि के बारे में जानकारी देना जरूरी होता है। उन्हें सेफ़ सेक्स या STI( sexually transmitted disease) के बारे में सही जानकारी नहीं मिल पाती क्योंकि कई बार parents इस बारे में बच्चों को नहीं बताते या उन्हें भी पता नहीं होता।

ऐसे में स्कूलों में सेक्स एजुकेशन की भूमिका important हो जाती है। आठवीं या नौंवी क्लास के पाठ्यक्रम में इसे शामिल किया जाना चाहिए, क्योंकि इस उम्र (14-15 वर्ष) तक पहुंचते-पहुंचते बच्चों में सेक्स से जुड़ी समझ डेवलप हो चुकी होती है। 15-16 वर्ष की उम्र के बच्चों को सेफ़ सेक्स और contraceptives के बारे में बताना अच्छा साबित होगा और इससे रेप और सेक्सुअल assault जैसे क्राइम भी कम होंगे।
सेहत पेरेंटिंग सेक्स एजुकेशन
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