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नारीवाद की ओर लें जाएं।
हर रोज चार घरों में से 2 घरों में महिला घरेलू हिंसा की शिकार होती हैं। लेकिन महिलाएं चुप रह जाती हैं, क्योंकि उन्हें बचपन से चुप रहना और यह सब सहना सिखाया जाता है। लेकिन घरेलू हिंसा अपराध की श्रेणी में आता है। इसलिए हमें चुप रहने के बजाय अपनी मां का समर्थन करना चाहिए ताकि वह अपने साथ हो रहे गलत के खिलाफ आवाज उठा सकें। वह अपने लिए आवाज उठा सकें। अपनी मां को घरेलू हिंसा से जुड़े कानून के बारे में बताएं।
आज भी हमारे समाज में डिवोर्स के बारे में बात करना गलत माना जाता है। समाज के नज़र में महिला नाखुश रहें वह मंजूर है पर डिवोर्स लेना गलत है। लेकिन आप उनका सहारा बन सकते हैं, उनकी परिस्थिति को समझ कर अपनी मां को नाखुश शादी से बाहर निकालने में मदद कर सकते हैं। शायद वह आप से ना कहें लेकिन आपकी जिम्मेदारी बनती है कि अपनी मां को इस बारे में बात कर उनको प्रोत्साहित करें।
हम में से कई की मां फाइनेंशियली रूप से आत्मनिर्भर नहीं होंगी। आज भी सिर्फ ₹10 तक के लिए हमारी मां को अपने पति पर निर्भर रहना पड़ता है। वहीं अगर हम कमाते हैं तो हमें अपनी मां कि फाइनेंशियली मदद करनी चाहिएं, उन्हें पढ़ाना चाहिए ताकि वह आगे जाकर आत्मनिर्भर बन पाएं। उन्हें आगे बढ़ने में हेल्प करना चाहिएं, एक यहीं तरीका है जिससे वह आगे जाकर अपने सम्मान पा सकतीं हैं।
डोमेस्टिक वायलेंस के खिलाफ उन्हें आवाज उठाने के लिए प्रोत्साहित करें
हर रोज चार घरों में से 2 घरों में महिला घरेलू हिंसा की शिकार होती हैं। लेकिन महिलाएं चुप रह जाती हैं, क्योंकि उन्हें बचपन से चुप रहना और यह सब सहना सिखाया जाता है। लेकिन घरेलू हिंसा अपराध की श्रेणी में आता है। इसलिए हमें चुप रहने के बजाय अपनी मां का समर्थन करना चाहिए ताकि वह अपने साथ हो रहे गलत के खिलाफ आवाज उठा सकें। वह अपने लिए आवाज उठा सकें। अपनी मां को घरेलू हिंसा से जुड़े कानून के बारे में बताएं।
यदि वह डिवोर्स लेना चाहती है उनका समर्थन करें
आज भी हमारे समाज में डिवोर्स के बारे में बात करना गलत माना जाता है। समाज के नज़र में महिला नाखुश रहें वह मंजूर है पर डिवोर्स लेना गलत है। लेकिन आप उनका सहारा बन सकते हैं, उनकी परिस्थिति को समझ कर अपनी मां को नाखुश शादी से बाहर निकालने में मदद कर सकते हैं। शायद वह आप से ना कहें लेकिन आपकी जिम्मेदारी बनती है कि अपनी मां को इस बारे में बात कर उनको प्रोत्साहित करें।
उन्हें पैसों से मदद कर उन्हें पढ़ाएं
हम में से कई की मां फाइनेंशियली रूप से आत्मनिर्भर नहीं होंगी। आज भी सिर्फ ₹10 तक के लिए हमारी मां को अपने पति पर निर्भर रहना पड़ता है। वहीं अगर हम कमाते हैं तो हमें अपनी मां कि फाइनेंशियली मदद करनी चाहिएं, उन्हें पढ़ाना चाहिए ताकि वह आगे जाकर आत्मनिर्भर बन पाएं। उन्हें आगे बढ़ने में हेल्प करना चाहिएं, एक यहीं तरीका है जिससे वह आगे जाकर अपने सम्मान पा सकतीं हैं।