Movies To Watch On Women Empowerment: नारी सशक्तिकरण शब्द सुनते ही नारी का विराट रूप नजर आने लगता है पर कुछ पल के लिए। नारी को हजारों सालों से गुलामी की बेड़ियों में जकडा हुआ है। जब भी कोई नारी इन बेड़ियों के बंधन को चुनौती देने की कोशिश करती है तो तथाकथित पुरुष समाज में छटपटाहट होने लगती है और उनको कुचलने के प्रयास जोर पकड़ने लगते हैं । वो पूरी तरह रोक तो नहीं पाते आज के परिदृश्य में, पर उनकी पराधीनता से लडाई को कमजोर जरूर करते रहते हैं। हिंदी फिल्मों के माध्यम से भी कुछ स्वछंद निर्माता- निर्देशकों ने नारी सशक्तिकरण के लिए अपना अतुलनीय योगदान दिया।
Movies On Women Empowerment: यह दमदार फिल्में महिलाओं को सशक्त करती है
मदर इंडिया (Mother India)
इस फिल्मी योगदान का आरंभ नरगिस की महान फिल्म 'मदर इंडिया' से हुआ जिसमें एक विधवा महिला पहले तो अपनी जमीन और इज्जत बचाने के लिए गांव के साहूकार से संघर्ष करती है। बड़े मुश्किल हालात में अपने 2 बेटों को पालकर बड़ा करती है फिर बड़ा होकर उसका ही एक बेटा गांव की लड़की को उठाकर भागता है तो वो अपने ही बेटे को गोली से मार देती है। इसका असर आज तक भारतीय समाज पर बना हुआ। आज भी भारतीय माँ बेटे को भटकने से बचाने के लिए इसी फिल्म से प्रेरणा लेती हैं।
मैरिकॉम (Mary Kom)
कुछ लड़कियों ने खेलों की दुनिया में धूम मचाकर लड़कियों का नया मार्ग खोला। इनके जीवन पर भी कुछ बहुत ही अच्छी फिल्में बनी जिससे उनके जीवन के संघर्ष और उपलब्धियों को रोचकता के साथ आम जन के आगे पेश किया जिसके परिणाम स्वरूप लाखों लड़कियाँ घर की चारदीवारी लांघकर दिन रात खेल के मैदानों में पसीना बहाने लगी। उदाहरण के तौर पर 'मैरिकॉम' फिल्म में महान बॉक्सर मैरिकॉम का जीवन संघर्ष दिखाया गया है जिसमें वह विपरीत हालातों में 8 बार विश्व मुक्केबाजी विजेता बनी। अपने खेल काल में ही वह 3 बच्चों की माँ भी बनी और उनका पालन पोषण भी किया। अपनी जिम्मेदारियों को साथ लेकर वो इन बुलंदियों पर पहुंची।
दंगल (Dangal)
ऐसे ही एक फिल्म बनी 'दंगल'जो हरियाणा के ग्रामीण परिवेश पर बनी जो समाज में लिंग भेद को कम करने का अच्छा प्रयास रहा है। 'दंगल' फिल्म का एक वाक्य ' म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के ' ने भी नारी शक्ति को एक जबरदस्त उछाल दिया है। इस फिल्म में लड़की को लड़कों के साथ दंगल करते हुए दिखाया गया है जो बता रहा है कि अब ये लड़के लड़की का भेदभाव ज्यादा लंबा नहीं चलने वाला।
बैंडिड क्वीन
इसके बाद शेखर कपूर ने फिल्म बनाई 'बैंडिड क्वीन' जिसमें एक नारी का दर्जनों लोगों दवारा सरेआम बलात्कार किया जाता है और निर्वस्त्र करके पूरे गांव में घुमाया जाता है। इस अत्याचार को खत्म करने के लिए बंदूक उठा कर बागी बन जाती है और सभी आरोपियों को लाइन में खड़ा करके गोलियां मार कर समाज को संदेश देती है कि नारी को कमजोर समझने की भूल न करें।
इसी प्रकार से अन्य कई फिल्मों - Pink, धाकड़, छपाक, रश्मि रॉकेट आदि ने भी नारी सशक्तिकरण को बल दिया है। फिल्मी इतिहास को देखते हैं तो महसूस होता है कि नारी के नाम से अबला का टैग हटाने में फिल्मों का अतुलनीय और अविस्मर्णीय योगदान रहा है।