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क्या है मामला?
हाल ही में हम एक ऐसी खबर सुन रहे हैं जिसमें एक पति अपनी पत्नी से तलाक चाहता है और तलाक की वज़ह पत्नी के पीरियड से जुड़ी है। वडोदरा के ये व्यक्ति अपनी पत्नी से इसलिए खफा हो गए क्योकि उनकी पत्नी ने उन्हें ये पहले नही बताया था कि शादी वाले दिन उसके पीरियड्स चल रहे थे। इस बात का पता चलते ही लड़के और उसके परिवार वालों को काफी धक्का लगा..एक महिला जिसे पीरियड हो रखा था वो उनके साथ मंदिर में जाकर, बैठ कर सारी रस्में और पूजा-पाठ निभा चुकी थी और उन्हें पता तक नही चलने दिया। लड़के वालों के अनुसार ऐसा करने से उनके नियम और विश्वास को तोड़ा गया है। नही..मतलब फिर वो करती क्या? शादी की डेट आगे बढ़ा देती? मेरे हिसाब से शादी केंसिल ही कर देना चाहिए था।
असली पाप तो पीरियड्स को नेचुरल ना समझना है
अपने डिवोर्स पीटीशन में लड़के ने कहा कि लड़की को शादी की सब रस्म हो जाने के बाद मंदिर में पैर रखने के कुछ मिनट पहले ही बता देना चाहिए था कि उसके पीरियड चल रहें हैं। पीरियड्स में लड़की के मंदिर में चले जाने से ये लड़का इतना डरा हुआ है जैसे जीवन का सबसे बड़ा पाप यही हो। जैसे लड़की के ऐसा करने से लड़के का स्वर्ग जानें का टिकट छीन गया हो और नर्क के दरवाज़े खुल गए हो। क्या लड़कियों का लड़कियों की तरह ब्लीडिंग करना इतना गलत हो सकता है? क्या वाकई भगवान को इन नेचुरल प्रोसेस से इतनी नफरत है?
पीरियड के अलावा लड़के ने बताएं तलाक के कुछ और कारण भी
अपने पीटीशन में लड़के ने तलाक लेने के और भी कई कारण बताएं। Times Now की रिपोर्ट के अनुसार लड़के ने बताया कि उसकी पत्नी जो प्रोफेशन से टीचर है, ने घर के कुछ भी काम करने से मना कर दिया था। साथ ही, उसने डिमांड किया कि उसे हर महिनें 5000 रूपये दिए जाए और घर में AC भी लगवाया जाए। लेकिन लड़के ने उसकी डिंमांड को पूरा करने में खुद को नाकाबिल बताया। इसके चलते उनके बीच काफी लड़ाईयां भी हुई और लड़की घर छोड़ के अपने मायकें रहने चली जाती थी। AC लगवाने की बात पर विवाद ज्यादा बढ़ने से लड़की फिर अपने मायके चली गई और वहां के पुलिस स्टैशन में लड़के और उसके परिवार वालों के खिलाफ केस दर्ज़ करवा दिया। लड़का लड़की के आरोपों को झूठा ठहराते हुए उसे तलाक देने का फैसला कर लेता है।
मैंने अभी तक लड़की के तरफ से कोई कमेंट या स्टेटमेंट न पढ़ा है ना सुना है। सच कहें, तो हम नही जानतें कि ऊपर लिखी बातों में जो लड़के के तरफ से बताई गई है उसमे कितनी सच्चाई है। तो ज़ाहिर सी बात है कि हमें इस पर कोई जज़मेंट देने का हक़ नही है। ये काम हम अपने जज लोग और कोर्ट के लिए ही छोड़ते है।
क्या ये Biological discrimination नही है?
अगर हम मान लें कि डाइवोर्स प्ली में जो भी कहा हो लेजिटिमेट है, ये क्लॉज़ कि उनकी पत्नी को पीरियड्स हो रहे थे सही नहीं है । अपने पीरियड्स पर एक महिला अपवित्र कैसे हो जाती है ? सच तो ये है कि एक्टिविस्ट्स कितना भी महिलाओं की पीरियड राइट्स के लिए लड़ लें, लोगों कि सोच बदलनी मुश्किल है। पुरुषों को तो महिलाओं के साथ इस लड़ाई में उनका साथ देना चाहिए क्योंकि पीरियड्स होना कोई जुर्म नहीं है। ये महिलाओं के जीवन का एक बहुत एहम और नेचुरल हिस्सा है जिसके लिए उसे शर्मिंदा करना बिलकुल गलत है.