Permissions For Herself: आज भी बहुत सारी महिलाएं घुट-घुट कर जिंदगी जीती हैं। समाज या परिवार का डर और उनकी इज्जत के बोझ के कारण वो खुलकर अपनी जिंदगी व्यतित नहीं कर पाती हैं। महिलाओं को अपनी आजादी किसी दूसरे से लेने की जरूरत नहीं है। उन्हें खुद को कुछ चीजों की इजाजत देनी चाहिए और दूसरों को उनके अनुसार व्यवस्थित होना चाहिए क्योंकि जब तक महिलाएं खुद को ही बाउंड करके रखेंगी तब तक दूसरे भी उनको कंट्रोल ही करना चाहेंगे। चलिए जानते हैं कि महिलाओं को किन चीजों की आजादी खुद को देनी चाहिए-
महिलाएं खुद को इन चीजों की आजादी दें
खुद को प्राथमिकता देने की आजादी (Priorities Yourself)
एक लड़की को बचपन से ही सिखाया जाता है कि तुम्हें पहले अपने परिवार जिसमें मां-बाप, पति और भाई शामिल हैं उन्हें सबसे पहले रखना है। उसके बाद में अपने बारे में सोचना है। अब भारतीय घरों में होता भी ऐसा है जैसे पति की पसंद का खाना बनाती हूं या ऐसे कपड़े पहनती हूं जो इन्हें (पति) अच्छे लगते हैं। पिता की इज्जत का ध्यान भी मुझे ही रखना है इन सब में वो खुद को प्राथमिकता देना भूल जाती है लेकिन महिलाओं को इतनी आजादी खुद को देनी चाहिए कि वो खुद की जरूरत को ख्वाहिशों को प्राथमिकता दे।
खुद को व्यक्त करने की आजादी (Express Yourself)
आज भी बहुत सारी महिलाएं ऐसी हैं जो दिल की बात को कभी भी जुबान पर नहीं लाती हैं क्योंकि उन्हें कोई सुनने वाला ही नहीं है। उनके साथ बैठकर वक्त ही नहीं बताया जाता है। उन्हें कम समझकर चुप करवा दिया जाता है। उन्हें सिर्फ घर में रसोई तक ही सिमट रखा जाता है तो ऐसे में महिलाओं को लिखकर, बोलकर या फिर किसी अन्य तरीके से खुद को व्यक्त जरूर करना चाहिए। आजकल की महिलाएं सोशल मीडिया के जरिए खुद के विचारों को व्यक्त करना शुरू कर रही हैं।
आर्थिक आजादी (Financial Independence)
जब आपके पास पैसा होता है तब आप अपनी जरूरत को पूरा करने में बिल्कुल भी नहीं सोचते हैं। आपको किसी के आगे हाथ नहीं फैलाना पड़ता है और अपनी ख्वाहिशों का गला नहीं दबाना पड़ता है। इसलिए महिलाओं के पास आर्थिक आजादी होनी चाहिए ताकि सही और अपने हित में फैसला ले सके। ऐसा बहुत बार देखा जाता है कि महिलाएं आर्थिक रूप से आजाद न होने का कारण टॉक्सिक रिलेशनशिप से बाहर नहीं निकाल पाती हैं।
दूसरों को न कहने की आजादी (Say No)
हम में से कितनी महिलाएं हैं जो न कहती हैं। हमारे सामाजिक ढांचे में न बोलने को बहुत बुरा माना जाता है। इसे एक अपमान की तरह ले लिया जाता है लेकिन यह ऐसा नहीं है। जब हम किसी को न बोलते हैं तब हम खुद के लिए स्टैंड होते हैं। हम खुद को प्राथमिकता दे रहे होते हैं और इसमें कोई भी बुराई नहीं है। महिलाओं को न बोलना चाहिए जब उन्हें कोई चीज अनकंफरटेबल करती है, उसके लिए अभी तैयार नहीं है, उनके पास समय नहीं है या फिर उनका मन नहीं कर रहा है।
माइंड और बॉडी को स्वस्थ रखने की आजादी (Healthy Mind & Body)
आज भी बहुत सारी महिलाएं माइंड और बॉडी पर ध्यान नहीं देती हैं। उन्हें अपनी सेहत की परवाह ही नहीं होती। बहुत सारी महिलाएं अपनी हेल्थ को लेकर बहुत सारे स्टिग्मा भी झेलती हैं जैसे पीरियड और मेनोपॉज। ऐसे समय में वो बहुत सारे लक्षणों में से गुजरती हैं और काफी बदलाव भी झेलने पड़ते हैं। इनका असर मानसिक सेहत पर भी पड़ता है तो इन सब से उन्हें जूझने के लिए मेंटल और फिजिकल सपोर्ट की जरूरत होती है जो हमें उन्हें जरूर देना चाहिए और उन्हें भी अपनी मन और बॉडी को प्रायोरिटी में रखना चाहिए।