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जानिए प्रदोष व्रत या त्रयोदशी व्रत करने की विधि और उसकी महिमा के बारे में

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Swati Bundela
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प्रदोष व्रत भगवान् शिव की पूजा और उपासना के लिए किया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत त्रयोदशी के दिन किया जाता है। कहा जाता है की प्रदोष व्रत करने से भगवन शिव सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। भगवान् शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत को एक एहम त्यौहार के रूप में मान्य जाता है। कहा जाता है की एक समय था जब सभी देवी - देवताओं ने त्रयोदशी तिथि को शुभ न मानते हुए इस दिन अपनी पूजा के लिए मन कर दिया था। फिर भगवान शिव ने त्रयोदशी तिथि को अपनी भक्ति, पूजा और उपासना के लिए सबसे शुभ बताया था।

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ऐसी मान्यता है की त्रयोदशी व्रत या प्रदोष व्रत सभी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए बहुत शुभ माना जाता है। हिन्दू संस्कृति में शिव प्रदोष व्रत को काफी चमत्कारी मन जाता है। जो कोई भी भक्त सच्चे मन से शिव जी को याद करते हुए यह त्रयोदशी व्रत पूरा करता है , भगवन शिव खुश होकर उसकी साड़ी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं। इस व्रत को काफी प्रभावशाली माना गया है। पुराणों में भी इस व्रत की काफी महिमा बताई गई है।

त्रयोदशी व्रत या प्रदोष व्रत  करने की विधि

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पुराणों में इस व्रत की काफी महिमा बताई गई है। आइये जानते है प्रदोष व्रत या त्रयोदशी व्रत को करने की विधि के बारे में।



  1. सुबह सूरज उगने से पहल उठें।


  2. नहा-धोकर, साफ़ कपडे पहने।


  3. पूजा स्थल की अच्छे से साफ़ -सफाई करें और फिर गंगाजल छिड़ककर उस जगह को पवित्र करें।


  4. अब एक चौंकी लें  और उस पर सफेद कपड़ा बिछाकर  उसके आस-पास कलावा बांधें।


  5. फिर उस चौंकी पर शिव जी की प्रतिमा को स्थापित करें।


  6. शिव जी के चरणों में गंगाजल अर्पित करें। फिर उन्हें सफ़ेद फूलों की माला पहनाएं।


  7. भगवान् शिव को गोपी चन्दन का तिलक लगाएं।


  8. अगर आप त्रयोदशी व्रत के दिन शिवलिंग की पूजा करते हैं तो सबसे पहले शिवलिंग का अभिषेक करें और फिर उन पर धतूरा और भांग चढ़ाएं।




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