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ऐसी मान्यता है की त्रयोदशी व्रत या प्रदोष व्रत सभी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए बहुत शुभ माना जाता है। हिन्दू संस्कृति में शिव प्रदोष व्रत को काफी चमत्कारी मन जाता है। जो कोई भी भक्त सच्चे मन से शिव जी को याद करते हुए यह त्रयोदशी व्रत पूरा करता है , भगवन शिव खुश होकर उसकी साड़ी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं। इस व्रत को काफी प्रभावशाली माना गया है। पुराणों में भी इस व्रत की काफी महिमा बताई गई है।
त्रयोदशी व्रत या प्रदोष व्रत करने की विधि
पुराणों में इस व्रत की काफी महिमा बताई गई है। आइये जानते है प्रदोष व्रत या त्रयोदशी व्रत को करने की विधि के बारे में।
- सुबह सूरज उगने से पहल उठें।
- नहा-धोकर, साफ़ कपडे पहने।
- पूजा स्थल की अच्छे से साफ़ -सफाई करें और फिर गंगाजल छिड़ककर उस जगह को पवित्र करें।
- अब एक चौंकी लें और उस पर सफेद कपड़ा बिछाकर उसके आस-पास कलावा बांधें।
- फिर उस चौंकी पर शिव जी की प्रतिमा को स्थापित करें।
- शिव जी के चरणों में गंगाजल अर्पित करें। फिर उन्हें सफ़ेद फूलों की माला पहनाएं।
- भगवान् शिव को गोपी चन्दन का तिलक लगाएं।
- अगर आप त्रयोदशी व्रत के दिन शिवलिंग की पूजा करते हैं तो सबसे पहले शिवलिंग का अभिषेक करें और फिर उन पर धतूरा और भांग चढ़ाएं।
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