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आइये जानते है प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं में आने वाले बदलावों के बारे में :
मूड स्विंग होना
प्रेगनेंसी में मूड स्विंग बहुत होते है ,कुछ ही पल में खुश हो जाते है ,कुछ ही पल में दुखी हो जाते है। ऐसा फिजिकल स्ट्रेस, थकान, Metabolic changes या हार्मोन एस्ट्रोजन के कारण हो सकता है। प्रेगनेंसी में मूड स्विंग्स ज्यादातर फर्स्ट ट्राइमेस्टर में होते है।
ब्रेस्ट में पेन
डिलीवरी के पहले भी कई महिलाओं को ब्रेस्ट में दर्द होने लगता है वहीं कुछ महिलाओं के स्तन से discharge भी होने लगता है। प्रेगनेंट होने के बाद महिलाओं के ब्रेस्ट साइज़ बढ़ने लगता है और सूजन भी आ जाती है। ब्रेस्ट में सूजन हॉर्मोन्स, प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन का लेवल बढ़ने के कारण आती हैं। प्रेग्नेन्सी के आख़िरी वक्त तक भी आपके चेस्ट की डेवलेपमेंट जारी रहती है।
पैरो में सूजन होने लगती है
प्रेगनेंसी के दौरान पैरों में सूजन बहुत आम बात है। पैरों में सूजन की वजह से चलने फिरने में प्रॉब्लम होने लगती है और आपके पुराने जूते -चप्पल भी आपको फिट नहीं आते। हालांकि वक़्त के साथ-साथ जल्द ही समस्या ठीक हो जाती है।
पेट का आकार बढ़ने लगता है
प्रेगनेंसी में जैसे जैसे महीने बीतते है वैसे वैसे महिलाओं का पेट आगे की तरफ बढ़ने लगता है। प्रेगनेंसी में पेट का साइज बॉडी शेप पर डिपेंड करता है ,ये पेट के मसल्स और Amniotic liquid पर डिपेंड करता है। इस वजह से ही प्रेगनेंसी के दौरान कई महिलाओं का पेट बड़ा तो किसी का छोटा नज़र आता है।
फूड क्रेविंग
प्रेगनेंसी के दौरान फ़ूड क्रेविंग नार्मल बात है। प्रेगनेंसी में हॉर्मोन्स चेंजिस आने के कारण अचानक से खाने की इक्छा बढ़ने लगती है।आयरन की कमी की वजह से प्रेगनेंट मां को अजीबोगरीब चीज़े खाने की इक्छा होती है।इस टाइम पीरियड में फ़ूड क्रेविंग किसी भी वक़्त आ सकती है चाहे आधी रात हो या दिन ,आपको कभी भी कुछ भी खाने का मन कर सकता है।
वजाइना के आकार में बदलाव
पेल्विस का आकार बच्चे को जन्म देने के समय बदल जाता है। ऐसा relaxin hormone के कारण होता है जो पेल्विस के आस पास की मांसपेशियों को ढीला कर देता है। इस से birth canal का मुँह बड़ा हो जाता है और बच्चा होने में आसानी होती है। डिलीवरी के कुछ समय के बाद वजाइना फिर से अपने पहले रूप में आ जाता है।
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