Hypertension In Kids: क्यों बच्चे हो रहे हैं हाइपरटेंशन का शिकार

आजकल के बच्चे दिनभर या तो टीवी स्क्रीन, मोबाइल स्क्रीन या गेमिंग के लिए कंप्यूटर पर भी नज़र आते हैं। दिनभर काउच पर बैठे स्क्रीन की तरफ देखते रहना खतरनाक हो सकता है। जानिए इस ब्लॉग के जरिए कैसे आप अपने बच्चे को बचा सकती है हाइपरटेंशन से

Aastha Dhillon
08 Feb 2023
Hypertension In Kids: क्यों बच्चे हो रहे हैं हाइपरटेंशन का शिकार Hypertension In Kids: क्यों बच्चे हो रहे हैं हाइपरटेंशन का शिकार

Problem Of Hypertension In Kids

Hypertension In Kids: आजकल के बच्चे दिनभर या तो टीवी स्क्रीन, मोबाइल स्क्रीन या गेमिंग के लिए कंप्यूटर पर भी नज़र आते हैं। दिनभर काउच पर बैठे स्क्रीन की तरफ देखते रहना खतरनाक हो सकता है। अगर आपका बच्चा भी दिनभर मोबाइल स्क्रीन पर बैठा रहता है तो यह समय है कि आप उसकी यह आदत सुधारें। महामारी, लॉकडाउन और स्कूलों के बंद होने से बच्चों को पर्याप्त शारीरिक गतिविधि किए बिना अपना सारा समय घर पर बिताने की आदत हो गई है।साइकिलिंग करना, बहार पार्क में जाकर खेल-कूद तो जैसे भुलाया जा चूका है। इसमें पेरेंट्स की भी बराबर की गलती है। घर की औरतें काम के दौरान बच्चा डिस्टर्ब न करें इसके लिए उसे फ़ोन थमा देती हैं, वह यह नहीं जानती कि इस तरह बच्चे को लॉन्ग स्क्रीन टाइम देने से उसमे हाइपरटेंशन का रिस्क हो सकता है। 


इनएक्टिव लाइफस्टाइल: दिनभर स्क्रीन के सामने बैठना

शोध के अनुसार, बच्चों और किशोरों में हाई ब्लड प्रेशर के दस मामलों में से नौ मामलों में इनएक्टिव लाइफस्टाइल, बहुत अधिक मीठा और नमकीन खाना और ओवरवेट होना कारण होता है। इंटरनेशनल टीम के ये निष्कर्ष पूरे यूरोप में हाई ब्लड प्रेशर वाले 6 से 16 साल के बच्चों पर आधारित थे।

पेरेंट्स को टीवी और सोशल मीडिया सहित बच्चों के स्क्रीन टाइम को लिमिटेड करना चाहिए। चाहे भले ही रूल को फॉलो करवाने के लिए आपको थोड़ी सख्ती दिखानी पड़े।

Hypertension In Kids: हाइपरटेंशन और मोटापे का होता है रिस्क   

बच्चों में बढ़ते मोटापे के कारण ‘चाइल्डहुड हाईपरटेंशन’ कॉमन होता जा रहा है। पेट के आस-पास की चर्बी, जिसे वयस्कों यानी एडल्ट्स में ‘लव हैंडल’ कहा जाता है, हेल्थ के लिए सबसे अधिक हानिकारक होती है। मोटे बच्चों में से 15 प्रतिशत को हाईपरटेंसिव है और ओवरवेट वाले 5 प्रतिशत बच्चों को हाई ब्लडप्रेशर की शिकायत है या हो सकती है, जबकि दूसरी ओर, सामान्य वजन वाले बच्चों में यह समस्या 2 प्रतिशत से भी कम है। बचपन का मोटापा और high blood pressure, बाद के जीवन में दिल के दौरे और stroke के खतरे को बढ़ा सकते हैं।

पौष्टिक मील है जरुरी (Nutritious Diet)

बच्चों को हेल्दी डाइट दें, जिसमें ताज़े फ्रूट्स और सब्ज़िओं को शामिल करें। खाने में नमक की मात्रा काम और फोब्र्स को ज्यादा ऐड करें। कोशिश करें की आप अपने बच्चे को जंक से जितना दूर रख सकती हैं रखें।  जिनके बच्चे अलहेल्दी लाइफस्टाइल फॉलो कर रहे हैं उनमें सिरदर्द, नाक से खून बहना, विजन  लॉस, बैड परफॉर्मेन्स इन स्कूल, कॉन्संट्रेट करने में दिक्कत, सांस की तकलीफ, सीने में दर्द, तेज धड़कन और बेहोशी जैसे लक्षण प्रदर्शित कर सकते हैं। 

चेतावनी : प्रदान की जा रही जानकारी केवल सूचनात्मक उद्देश्य से है। कुछ भी प्रयोग में लेने से पूर्व चिकित्सा विशेषज्ञ से अवश्य परामर्श लें।

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