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Regressive Statements: कभी ना कहें अपनी बेटियों को यह 5 बातें

अक्सर देखा गया है कि पेरेंट्स अपने बच्चों को कुछ ऐसी चीजें बोलते रहते हैं जो शायद उन्हें नहीं बोलनी चाहिए। जो कि बिल्कुल गलत भी है और उन्हें जल्दी से जल्दी बंद करना चाहिए। आईए इस ब्लॉग के जरिए जानते हैं ऐसी ही कुछ स्टेटमेंट्स:

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Aastha Dhillon
02 Jan 2023
Regressive Statements: कभी ना कहें अपनी बेटियों को यह 5 बातें

Regressive Statements

Regressive Statements: अक्सर देखा गया है कि पेरेंट्स अपने बच्चों को कुछ ऐसी चीजें बोलते रहते हैं जो शायद उन्हें नहीं बोलनी चाहिए। ऐसी बातें ना केवल बच्चों को परेशान करती है परंतु उनके लिए जीवन बड़ा मुश्किल भी कर देती है। हमने ऐसे कई स्टेटमेंट्स देखे हैं जो पेरेंट्स अपनी बेटियों को बोलते हैं। जो कि बिल्कुल गलत है और उन्हें जल्दी से जल्दी बंद करना चाहिए। आईए इस ब्लॉग के जरिए जानते हैं ऐसी ही कुछ स्टेटमेंट्स:

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आपकी यह स्टेटमेंट्स मुश्किल कर सकती है आपकी बच्ची का जीना

1.खाना बनाना सीखो, जब तुम शादी करोगे तो क्या करोगे?

हमने अपने घरों में यह बात तो अवश्य सुनी होगी। परंतु हमें यह समझना होगा कि इस बात से उस बच्ची पर क्या असर पड़ता होगा। यह बातें बच्ची को यह सोचने पर मजबूर कर देती हैं कि वह बस काम करने के लिए शादी कर रही है। 

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2.अंधेरा होने से पहले घर पर आ जाओ।

पेरेंट्स बेटियों को बेटों जितनी स्वतंत्रता नहीं देते। बेटियों के ऊपर यह कंडीशन रखी जाती है कि वह अंधेरा होने से पहले ही वापस आ जाएं। ऐसी कंडीशन उनके मन में अंधेरे को लेकर एक भय पैदा कर देती है।

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3.मुझसे सवाल मत करो। मुझे पता है कि क्या सही है।

हमें हमेशा सिखाया जाता है कि हमारे बुजुर्ग सही हैं या हमें उनसे कभी सवाल नहीं करना चाहिए। लेकिन यहाँ एक बात है, समय बदल रहा है और बुजुर्ग हमेशा इस बात से अवगत नहीं होते हैं कि दुनिया कैसे काम करती है। हमें बेटियों को पूरी Freedom देखकर उनके मर्जी के अनुसार काम करने देना चाहिए। 

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4.आपको ड्राइव सीखने की ज़रूरत नहीं है।

खाना पकाने की तरह, लोगों के लिए बुनियादी कौशल जानना हमेशा एक अच्छा विचार होता है। आपकी बेटी को drive करना सीखना चाहिए। उसे यह बताना कि उसे सीखने की जरूरत नहीं है, बस यह दिखाता है कि आप उसकी freedom को कैसे सीमित कर रहे हैं। 

5.तुम हर समय क्यों चिल्लाते रहते हो अपनी आवाज कम करो।

यह आमतौर पर तब कहा जाता है जब बेटी अपने बड़ों के खिलाफ - चिल्लाते हुए नहीं - एक बिल्कुल वाजिब पॉइंट रखती है। जब बेटियों को ऐसे बोलने से रोका जाता है तो उन्हें हीन भावना आती है। बल्कि उन्हें लगता है कि उनकी आवाज को सुना ही नहीं जा रहा। उन्हें लगने लगता है कि उनकी बात किसी के लिए मायने नहीं रखती।

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