Remembering Guru Nanak Ji On Her Birthday: गुरु नानक जी सिख धर्म के पहले गुरु हैं। उनका प्रकाश उत्सव 15 नवंबर यानि कार्तिक पूर्णिमा को दुनिया भर में उत्साहपूर्वक मनाया जा रहा है। गुरु नानक जी अपने समय से बहुत आगे थे। जिस समय समाज में हर तरफ बुराई, अशांति और हिंसा फैली थी उस समय उन्होंने दुनिया को में शांति का उपदेश दिया। उन्होंने ऐसे अंधविश्वासों को खत्म करने की कोशिश की जिनके कारण हमारा समाज पीछे जा रहा था। गुरु नानक जी के समय महिलाओं की हालत बहुत खराब थी। पूरे समाज में पुरुषों का बोलबाला था जो आज भी खत्म नहीं हुआ। महिलाओं के साथ हो रही प्रताड़ना बहुत ज्यादा थी और उन्हें समाज में बराबरी का दर्जा नहीं था। ऐसे समय में गुरु जी ने लैंगिक समानता के ऊपर जोर दिया। चलिए जानते हैं कि महिलाओं के लिए उन्होंने क्या संदेश दिया?
जानिए महिलाओं के लिए उनका क्या संदेश था
जिस समय गुरु नानक जी का जन्म हुआ उस समय महिलाओं की हालत बहुत खराब थी। हमारा समाज पुरुष प्रधान था। यहां पर सिर्फ पुरुषों का हुक्म चलता था और महिलाएं उन्हें मानती थी। लड़कियों को जन्म से पहले ही या बाद में मार दिया जाता था। ऐसा समझा जाता था कि घर में लड़का ही होना चाहिए और हर रीति रिवाज में लड़कों को ही आगे रखा जाता था। समाज में महिलाओं की स्थिति गुलामी की तरह थी जहां पर उनके पास बहुत कम अधिकार थे या थे ही नहीं। ऐसे समय में गुरु नानक देव जी ने अपनी वाणी के जरिए समाज को यह संदेश दिया कि तुम उसे क्यों बोल बुरा बोल रहे हो जिसकी कोख से राजा या महाराजाओं ने जन्म लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस दुनिया में हर व्यक्ति स्त्री की कोख से ही पैदा होता है तो फिर कैसे हम उसके साथ इतना बुरा व्यावहार कर सकते हैं।
सोचने की बात यह है कि गुरु नानक जी के जन्म के 555 साल बाद भी हमारा समाज आज भी पुरुष प्रधान है।
महिलाएं अपने हकों के लिए लड़ रही हैं। इसके साथ पितृसत्तात्मक सोच आज भी मौजूद है। नानक ने जिन बुराईयों का विरोध किया वो समाज में आज भी खत्म नहीं हुई हैं। महिलाएं आज के समय में भी सभी तरफ संघर्ष कर रही हैं। हर चीज के लिए महिला को ही गलत ठहराया जाता है। इसके साथ ही आज भी जब कोई महिला गर्भवती होती है तो यही अपेक्षा होती है कि उसको बेटा ही पैदा हो। दूसरे के घर में सभी लड़की चाहते हैं लेकिन अपने घर में बेटे की ख्वाहिश ही होती है। शादी के बाद भी लड़कियों को एडजस्ट करने के लिए कहा जाता है या फिर अपने बच्चों की खातिर टॉक्सिक रिलेशनशिप में रुकने के लिए कहा जाता है। अगर गुरु नानक जी का संदेश भी हम मान ले तो समाज में बदलाव हो सकता है।