New Update
/hindi/media/post_banners/u6QQTLLVgfk1uMAnBXbs.jpg)
कोरोना की दूसरी लहर खत्म होते ही सभी जगह अचानक से लॉकडाउन हटा दिया गया है। ये चिंता की बात है ऐसे में केसेस स्पीड से बड़ सकते हैं। महाराष्ट्र सरकार ने केसेस ट्रैक करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और इनका मन्ना है कि लोगों को थोड़े रेस्ट्रिक्शन में रहना चाहिए। केसेस की ट्रेसिंग और प्रिवेंटिव मैसर्स लेना बेहद जरुरी है और इस से ही बचाव हो पाएगा।
डेल्टा प्लस वेरिएंट क्या है ?
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पिछले महीने B.1.617.2 स्ट्रेन को SARS-CoV-2 के ‘डेल्टा’ संस्करण के रूप में टैग किया था। लेकिन अब डेल्टा वेरिएंट का नया रूप सामने आया है और यह अधिक खतरनाक साबित हो सकता है।
डेल्टा प्लस वेरिएंट क्यों बना है चिंता का विषय
पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड ने कोरोनोवायरस वेरिएंट पर अपनी रिपोर्ट में कहा कि 7 जून तक, डेल्टा प्लस वेरिएंट के भारत के 6 मामलों की पहचान की गई है। स्वास्थ्य एजेंसी ने डेल्टा वेरिएंट के K417N म्यूटेशन के साथ कुल 63 जीनोम की उपस्थिति की पुष्टि की है।
दिल्ली बेस्ट साइंटिस्ट विनोद स्कारिया ने अपने ट्वीट के जरिए बताया कि यह वायरस हमारे शरीर में जाकर हमारे ह्यूमन सेल्स को संक्रमित कर सकती है। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि “इस समय भारत में K417N का वैरिएंट फ़्रीक्वेंसी अधिक नहीं है। ज्यादातर यूरोप, एशिया और अमेरिका के हैं। ”
वेरिएंट कम कर रहा है कोरोना के दवा का असर
डॉ विनोद स्कारिया के अनुसार K417N मोनोक्लोनल एंटीबॉडी Casirivimab और Imdevimab का असर कम कर सकता हैं। कोविड-19 के इलाज के लिए सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गेनाइजेशन ने मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल को इस्तेमाल करने की मंजूरी दी गई है