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पुरानी प्रथाओं के कारण, महिलाओं को कमजोर समझना या अपने पति के नीचे रखना इसमें समाज अपनी बहादुरी समझता है। शायद कई आदमियों की मेल ईगो को भी ठेस पहुंचता है। लेकिन अब समय आ गया है कि महिलाओं को रसोई घर से हटकर देखा जाएं। समाज को अब महिलाओं की इन पांच बातों को स्वीकार करना चाहिए।
1. एक महिला को अपने सपने पूरे करने का हक है
जिस तरह लड़के अपने जीवन में कुछ बड़ा करना चाहते हैं। उसी तरह लड़कियां भी शादी के अलावा अपने जीवन से बहुत कुछ चाहती है। पहले शादी सिर्फ मजबूरी थी पर आज के जमाने में यह विकल्प है। आज महिलाएं शादी से हटकर सिर्फ अपने सपने को पूरा करने में लगी है। लेकिन समाज के नजर में यह अभी गलत है।
लड़की के परिवार सिर्फ लड़की से उम्मीद रखते हैं कि वह घर में खाना बनाना सीखे और बड़े होकर शादी के बाद अपने परिवार को संभाले। समाज की घटिया सोच को बदलने की जरूरत है। उन्हें समझने की जरूरत है कि रसोईघर के अलावा भी महिलाओं की जिंदगी में और कुछ महत्वपूर्ण है।
2. एक महिला के लिए अपना करियर ज्यादा हो सकता है
अपना करियर बना कर क्या करोगी अंतिम में तो रसोई घर ही संभालना है! यह वाक्य कई लड़कियां सुनते आए हैं और अभी भी सुन रही होंगी। सबसे पहली बात तो करियर शादी के बाद भी बनता है। दूसरी बात अपने पति पर निर्भर ना रह कर फाइनेंशली इंडिपेंडेंट बनना हर महिला के लिए जरूरी है।
सबकी अपनी जिंदगी होती है, किसी को शादी में और किसी को अपना करियर बनाने मे दिलचस्पी होती है। लेकिन सिर्फ समाज को सही लगने से कोई अपना इंटरेस्ट चेंज कर ले यह तो गलत है। सबसे ज्यादा जरूरी है कि यह बत लड़की के परिवार को समझना चाहिए या लड़की के पति को समझना चाहिए। शादी से पहले या शादी के बाद अपने करियर के बारे में सोचना गलत नहीं है।
3. एक महिला को बच्चे ना होना बिग डील नहीं है
हर बार हर गलती का जिम्मेदार महिलाओं को ठहराया जाता है। परिवार का सही से ध्यान नहीं रख पा रही है या बच्चा नहीं हो रहा है तो महिलाओं की गलती है। बच्चा नहीं होना यह समस्या अन्य समस्या की तरह आम है। इसमें किसी महिला की गलती कैसे हैं? कई बार बच्चा ना होने का कारण आदमी भी हो सकता है। इसीलिए हर बार औरतों को दोष देना बंद करना होगा।
समाज को यह बात समझने की जरूरत है कि बच्चा ना होना यह किसी महिला की गलती नहीं है। आज वक्त आगे निकल चुका है अगर कोई महिला मां नहीं बन पा रही है तो कई तरह के उपाय हैं। जैसे कि आईवीएफ, सेरोगेसी, एडॉप्शन। इसलिए जरूरी है कि समाज से ज्यादा इस बात को परिवार समझे।
4. एक महिला अपनी मर्जी से जिंदगी जी सकती है
अपने पसंद के कपड़े हो, शादी से पहले सेक्स करना है या जीवन में कुछ बड़ा करने का सपना हो। यह सब उस व्यक्ति पर निर्भर करता है। कोई भी व्यक्ति या समाज कौन होता है किसी को भी उसका कैरेक्टर या जिंदगी की सलाह देने वाला।
हमने आए दिन ऐसे मामले देखे होंगे कि अगर किसी महिला का रेप हुआ है तो उसमें उस महिला के कपड़ों की गलती है। अगर कोई यह सोसाइटी के नॉर्म्स से हिसाब से नहीं चलती हैं तो उसमें महिला की गलती। लेकिन अब जरूरी है कि अपनी घटिया सोच को बदल कर सही बात को अपनाएं।