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शादी की पहली रात होने वाले सेक्स ? ड्यूटी या चॉइस ?

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Swati Bundela
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सुहागरात, ये शब्द सुनते ही आपके मन में कैसे ख्याल आते हैं? शायद वैसे ही जैसे कि आप फिल्मों में देखते हैं। जहां एक तरफ दूल्हे को उसके दोस्त बेड पर अच्छी परफोर्मेंस देने के लिए उसे तैयार करते हैं, वही दूसरी तरफ दुल्हन के ससुराल की लड़कियां और उसकी ननदें उसे सजाती हैं और अपने पति के सामने कैसे बिहेव करना है, बताती हैं। मतलब, सुहागरात का सीन काफी रोमांचक और ज़रूरी दिखा दिया जाता है। लेकिन , क्या आपने कभी किसी फिल्म में किसी करेक्टर को दुल्हे से या दुल्हन से उन्हें सुहागरात वाले कमरे में धकेलने से पहले उनकी रज़ामंदी लेते हुए देखा है? क्या कभी कोई ये पूछते हुए दिखा कि दुल्हा या दुल्हन इसके लिए तैयार हैं या नही, वो ये चाहते हैं कि नही? मैने नही देखा, आपने भी नही देखा होगा।

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सुहागरात को एक रस्म की तरह देखा जाने लगा है। भले लड़का या लड़की कितना ही घबरा रहें हो, नर्वस हो लेकिन उनकी इस घबराहट को कम करने के बजाए उसे नॉर्मल बता दिया जाता है। क्या सुहागरात पर सेक्स एक ड्यूटी जिसे करना ही है का प्रेशर बनाने के बजाए एक चॉईस की तरह नही देखा जा सकता? वो चॉईस जिसे चॉईस करने का हक़ केवल दुल्हा या दुल्हन का हो न कि घरवालों का।

1.सुहागरात में सेक्स से जुड़ा ये कैसा जुनून?

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आखिर शादी की पहली रात में सेक्स करना जरूरी क्यों है? इसका कनेक्शन लड़की की वर्जिनिटी से जुड़ा है। हमारे सोसाएटी में अक्सर लड़कियों को शादी के बाद ही सेक्स या सेक्शुअली एक्टिव होने की आज़ादी दी जाती है। एक बार मैं आपको फिर याद दिला दूं कि ये वाली पाबंदी और आज़ादी केवल लड़कियों के लिए है। लड़को पर इसके लिए कभी पाबंदी नही लगाई गई। वो कब अपनी वर्जिनिटी खोते हैं उसका कोई फिक्सड टाईम या कोई पूछने वाला नही है। लेकिन, सुहागरात या शादी के बाद की पहली रात को लड़की की वर्जिनिटी खत्म होने की पहली रात मानी जाती है। बेडशीट पर खून के धब्बें लड़की की महानता और संस्कारी लड़की होने की निशानी है। अगर धब्बा नही हुआ तो? तो फिर लड़की को सारी उम्र अकेला रहने के लिए छोड़ दिया जाता है, मतलब शादी तोड़ दी जाती है।

2.सुहागरात पर सेक्स करने से बाकी गलत बातों पर पर्दा क्यों डाल दिया जाता है?

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ये सवाल जायज़ है। मतलब, सुहागरात है तो इसका मतलब ये नही की पार्टनर ना चाहते हुए भी सेक्स करें। अपनी रज़ामंदी के खिलाफ जाकर केवल दूसरों की खुशी के लिए सेक्स करें जिससे वो खुद ही खुश ना हो। साथ ही, कई बार देखा गया है कि लड़कियों की काफी कम उम्र में शादी कर दी जाती है। अब वो लड़की बालिग है या नाबालिग, सेक्स के लिए तैयार है या नही, शादी के बाद सब सही हो जाता है। उसका पति अपनी मर्ज़ी के हिसाब से उसके साथ हरकत कर सकता है क्योंकि वो उसका पति है। आखिर ऐसी हिपोक्रेसी कयों? क्या इससे मर्ज़ी के खिलाफ सेक्स और मैरिटल रेप की संभावनाओं पर सवाल नही उठता?

3.शादी को लोग सेक्स की डिग्री और लाइसेंस के रूप में क्यों देखते हैं?

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पहले तो आप अपने घर के लड़के-लड़कियों को सेक्स और इससे जुड़े किसी भी बात से काफी दूर रखते हैं। साथ ही हमारे एजुकेशन सिस्टम में भी सेक्स से जुड़ा कोई पाठ नही पढ़ाया जाता। फिर एक दिन उनकी शादी होती है और गठबंधन होने के साथ आपको लगता है कि उन्हें सेक्स की डिग्री भी मिल गई। कई मर्द इसे लाइसेंस भी मानते हैं। जैसे उन्होने किसी लड़की से नही किसी कठपुतली से शादी की है जिसे वो जैसे मनचाहे वैसे नचा सकते हैं। आपको याद रहे कि आज भी भारत में मैरिटल रेप के खिलाफ कोई कानून नही है।

4.सुहागरात के ठीक 9 महीनें बाद बच्चा! वाकई?

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ज्यादातर घरों में बेटे की शादी होते ही उनकी मां अपने पोते को गोद में खिलाने के सपनें देखने लगती हैं। NFHS 2015-16 की रिपोर्ट के अकोर्डिंग 73.3% शादीशुदा मर्द सेक्स के दौरान प्रोटेक्शन यूज़ नही करते। इससे काफी अनचाही और जल्दी प्रेगनेंसी होती है। लेकिन क्या आपको नही लगता कि शादी के बाद कपल्स को पहले एक-दूसरे को अच्छे से जानना चाहिए, फैमिली प्लेनिंग करनी चाहिए बजाए इसके कि शादी के ठीक 9 महीनें बाद गोद में बच्चा खेले।

5.कपल्स को फीजिकली एक-दूसरे को जानने के बजाए मेंटली, सोशली और इमोश्नली जानने के लिए प्रेशर बनाएं

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यहां लव मैरिज को आज भी काफी कम एक्सेप्टेंस है। अरेंज मैरिज में भी कपल्स को शादी से पहले मिलने नही दिया जाता। लेकिन फिर भी कपल्स राजी हो जाते हैं क्योंकि वो रिश्ता जाति, धर्म, लड़के घर-परिवार की हैसियत और लड़की की सुंदरता का एक परफेक्ट मैच है। फिर इस तरह के 2 अंजान लोगों का पहले ही दिन फिजिकल होना थोड़ा मुश्किल काम नही लगता? क्या हमें उन्हें एक-दूसरे को जानने के लिए, प्यार करने के लिए समय नही देना चाहिए?

6.फिर, क्या कर सकते हैं?

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हम ये कर सकते हैं कि शादी की पहली रात सेक्स का हाईप बनाने के बजाएं कपल्स को एक-दूसरे से बात करने को कहें, एक-दूसरे को जानने को कहें। उन्हें क्या करना है ये उनकी चॉईस लेकिन उन्हें क्या करना चाहिए वो हमें तय करने की कोई जरूरत नही। शादी की पहली रात वैसे भी काफी थकानभरी होती है। ऐसे में कपल्स को एक-दूसरे से बात करना, उनका ऑपिनियन जानना और उनके एक्सपेक्टेशन जानने पर फोकस करना चाहिए। इसके अलावा शादी से पहले सेक्स को भी नॉर्मलाइज किया जाना चाहिए। अगर पार्टनर एक-दूसरे को अच्छे से जानते हैं फिर उन पर शादी की पहली रात का कोई प्रेशर या डर नही रहता। खैर, मुझे लगता है कि मैं रिएलिटी से काफी हट कर बात कर रही हूं क्योंकि हम ऐसे सोसाएटी में रहते हैं जहां नेहा कक्कर और हार्दिक-नताशा को शादी से पहले सेक्शुअली एक्टिव रहने पर काफी ज्यादा ट्रोल किया गया था। फिर भी उम्मीद की एक किरण जलती रहनी चाहिए।



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