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शादी करने और मां बनने का सही समय मैं तय करूंगी, समाज नहीं

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Swati Bundela
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"अच्छा बेटा ये बताओ शादी करने का कब का प्लेन है?" "अरे भई, लड़कियों को घर के और बाहर के कामों में बेलेंस बनाना आना चाहिए।" "एक तो तुम शादीशुदा ऊपर से 2 बच्चों की मां और फिर तुम्हें नौकरी भी करनी है, कैसे संभालोगी ये सब?" जिंदगी के किसी ना किसी मोड़ पर औरतों को या लड़कियों को ये सब सवाल सुनना पड़ता है जिसका जवाब शायद ही किसी के पास होता है। लेकिन सवाल है कि ये सब सवाल उनसे पूछे ही क्यों जाते हैं? कहने को हम 21वीं सदीं के मॉर्डन ज़माने में रह रहे हैं लेकिन हमारी सोच और दिमाग पहली सदीं वाला ही है, औरतों के मामले में तो खासकर। आज़ भी हम यही सवाल करते हुए पाएं जाते हैं कि आखिर लड़कियों और महिलाओं की ज़िंदगी पर सिर्फ उन्हीं का हक़ क्यों नही होता? क्यों उन्हें शुरू से ही एक अच्छी बीवी और एक अच्छी मां बनने के लिए तैयार किया जाता है? शादी करने का सही समय हम खुद क्यों नहीं डिसाइड कर सकते ?

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क्या हम कभी ये समझ पाएंगें कि 'शादी का मतलब हर किसी के लिए अलग होता है'?



हम ये नही कहते कि शादी का या मां बनने का कॉन्सेप्ट गलत है, लेकिन ये कभी-कभी किसी बड़े कारणों से ये काफी गलत हो जाता है। शादी कुछ लोगों के लिए जिंदगी भर किसी के साथ एक बंधन निभाने वाला रिश्ता है। एक ऐसा पार्टनर जो कभी खुशी हो या कभी गम हमेशा आपका साथ निभाएं, साथ रहें। लेकिन ऐसा ही कॉन्सेप्ट सबका हो ये ज़रूरी तो नही। हर व्यक्ति के लिए शादी के मतलब और मायनें अलग-अलग हैं। कुछ खुशकिस्मत लड़कियां शादी के बाद अपने पार्टनर और फैमिली के साथ काफी खुश रहती है लेकिन वही कुछ लड़कियां पितृसत्ता के नियम, कानून और खौफ़ तले दबी रहती हैं। सोसाएटी की बनाएं रूल्स में फिट बैठने के लिेए उन्हें वो सब करना पड़ता है जो वो शायद कभी ना करना चाहे। किसी के साथ शादी के बंधन में बंधने के लिए उन्हें अपने सपनों को भी कैद कर लेना पड़ता है। अब जब शादी किसी के सपने तोड़े या उन्हें उनकी मनचाही ज़िंदगी ना ज़ीने दे तो भला वो उनके लिए अच्छा कैसे होगा?

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ये बात तो सबको गाँठ बांध लेनी चाहिए कि ये ज़रूरी नही कि हर पत्नी को मां बनना ही चाहिए और हर मां के लिए ज़रूरी नही कि वो पहले पत्नी बनें। मां बनना और बच्चों की देखभाल करना एक चॉईस की तरह होना चाहिए।



अच्छा, अब महिलाओं को उनके मेरिटल स्टेटस पर जज करना बंद भी करो

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तो होता ये है कि अगर एक बार माथे पे सिंदूर लग गया और गले में मंगलसुत्र पड़ गया तो आप से लोगों की एक्स्पेक्टेशन अलग तरह से और ज्यादा बढ़ जाती है। घर वालों का तो चलो मान लिया जाए लेकिन इन 'लोगों' की लिस्ट में वो लोग भी जुड़ जाते हैं जिन्हें आप बिल्कुल नहीं जानते। उदहारण के तौर पर, अगर आप शादी के बाद छोटे कपड़े पहनती है तो वो लोग कहेंगे "ये कैसे छोटे-छोटे कपड़े पहन रही है?" अगर आप लेट रात बाहर घुमती हैं तो "इसका पति इसे इतनी रात तक बाहर कैसे घूमने दे रहा है? "हाय, शादी के बाद भी अपने दोस्त वो भी लड़को के साथ घूमती है।", "इसके बच्चे कब होंगे?" इस तरह के कमेंट्स ना सिर्फ भद्दे कमेंट्स हैं बल्कि शादीशुदा महिलाओं की बेईज़्जती करना भी है।

सुष्मिता सेन और मोना सिंह इस मामले में एक मिसाल साबित होती हैं।

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ये बात तो सबको गाँठ बांध लेनी चाहिए कि ये ज़रूरी नही कि हर पत्नी को मां बनना ही चाहिए और हर मां के लिए ज़रूरी नही कि वो पहले पत्नी बनें। मां बनना और बच्चों की देखभाल करना एक चॉईस की तरह होना चाहिए। ऐसी चॉईस जिसे हर महिला तब ही अपनाएं जब वो खुद को इस काम के लिए तैयार समझें। एक्ट्रेस सुष्मिता सेन ने दो बेटियों को गोद लिया है। राजीव मसंद के साथ इंटरव्यू में उन्होनें कहा था कि वो हमेशा से मां बनना चाहती थी। मां बनने के लिए ज़रूरी है कि आप क्लियर रहें कि आपकों बच्चे की देखभाल कैसे करनी है, कंफ्यूज़न के लिेए कोई जगह नही होनी चाहिेए। वही दूसरी तरफ, फिल्हाल के दिनों में ही मोना सिंह ने अपने इंस्टाग्राम पर पोस्ट करके यह जानकारी दी कि उन्होनें 34 साल की उम्र में अपने एग्स फ्रिज़ करवा लिए और उससे वह काफी खुश है। वो मां बनने के लिए अभी तैयार नही है और तभी मां बनना चाहेंगी जब वो पूरी तरह से उस ज़िम्मेदारी को संभालने के लिए तैयार होगी।



तालियां बजाना बनता है क्योंकि सोसायटी के रूल्स के अगेंस्ट जाकर खुद के लिए स्टेंड लेना काफी बड़ी बात है और काफी कम महिलाएं करती हैं। सोसायटी के दूसरे लोगों से पहले खुद लड़कियों को इसे एक्सेप्ट करना होगा कि शादी और मां बनना खुद की चॉईस होनी चाहिेए ना कि दुसरों की। मैं लड़की हूं और मैं जानती हूं कि मैरे लिए क्या बेस्ट है। अगर मैं खुद को शादी के लिए औऱ मां बनने के लिए परफेक्ट समझूंगी तभी करूंगी, लोगों को खुश करने के लिए मैं अपनी खुशियों को तो खत्म नही कर सकती ना। और मैं चाहती हूं कि यही सोच सारी लड़कियों की हो। दुसरों से पहले वो खुद के लिए जिएं।

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#फेमिनिज्म सोसाइटी marriage Pregnancy शादी करने का सही समय
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