Advertisment

Abortion: क्या अबॉर्शन को महिलाओं के लिए एक मौलिक अधिकार बनाना चाहिए?

क्या मां को यह अधिकार नहीं होना चाहिए कि वह अपने गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए डिसीजन ले? क्या उसे अपने जीवन के लिए डिसीजन लेने का अधिकार नहीं है? क्या यह सब उसकी मानवीय अधिकारों का हनन नहीं है? जानें इन सभी प्रश्नों के उत्तर इस ओपिनियन ब्लॉग में-

author-image
Aastha Dhillon
New Update
abortion

Choice of Abortion

Abortion: आज हम उस युग में रह रहे हैं जहां युवा अपनी मर्जी और अपनी आजादी के साथ चीजें करना पसंद करते हैं। ऐसे में कभी-कभी कुछ अनचाही गलतियां भी हो जाती है और उनमें से ऐसी ही एक गलती है अनचाही प्रेगनेंसी(Pregnancy)। अनचाही प्रेगनेंसी के लिए वैसे तो Contraceptive पिल्स या अन्य दवाइयों का यूज किया जाता है, पर जब बच्चा 6 से 8 हफ्ते पार कर लेता है तब उसको अबाॅर्ट करने के ऑप्शन पर भी अनेक विवाद है।

Advertisment

क्या मां को यह अधिकार नहीं होना चाहिए कि वह अपने गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए डिसीजन ले? क्या उसे अपने जीवन के लिए डिसीजन लेने का अधिकार नहीं है? क्या यह सब उसकी मानवीय अधिकारों का हनन नहीं है? आइए जानते हैं इन सभी प्रश्नों के उत्तर इस ब्लॉग के जरिए।

क्या अबॉर्शन(Abortion) के डिसीजन को एक मौलिक अधिकार मानना चाहिए?

इस महत्वपूर्ण टॉपिक को समझने के लिए हमें जानने होंगे विभिन्न एस्पेक्ट्स:

Advertisment

भारतीय कानून

भारत में अभी तक अबॉर्शन के लिए कोई कानून तो नहीं है परंतु यहां कोई भी महिला जाकर डॉक्टर को यह नहीं कह सकती कि उसे गर्भपात कराना है। परंतु जरूरी केस जहां मां की जान खतरे में है तो ऐसे में अबॉर्शन एक ऑप्शन होता है। यह अबॉर्शन एक certified doctor नहीं कर सकता है। अन्य मामलों में अबॉर्शन के लिए महिला से पूछा जाता है परंतु यदि वह 18 साल से कम है या सही मानसिक स्थिति में नहीं है तो ऐसे में यह प्रावधान उसके parents को दिया जाता है।

Advertisment

मौलिक अधिकार(Fundamental Rights) का रूप

एक अहम प्रश्न यह भी उठता है कि क्या हमें महिलाओं को यह मौलिक अधिकार देना चाहिए या नहीं कि वह अपने अबॉर्शन का फैसला खुद ले सके। हम सभी को समाज के रूप में यह समझना होगा कि प्रेग्नेंट होना कितनी बड़ी चीज है एक महिला के लिए तथा उससे भी जरूरी है की प्रेग्नेंट होना एक महिला को फिजिकल, मेंटल और इमोशनल लेवल पर झकझोर के रख देता है।

यह सभी बातों का ध्यान रखा कि हमें यह समझ आता है कि प्रेगनेंसी एक महिला की लाइफ में अहम पड़ाव है तथा उस प्रेगनेंसी का अंजाम क्या होगा यह भी उस महिला का ही डिसीजन होना चाहिए उस पर किसी भी प्रकार का कोई बोझ नहीं होना चाहिए। आखिरकार अपने जीवन के 9 महीने उन्हें खुद ही निकालने हैं तो क्यों ना यह अधिकार पूर्ण रूप से हम उन्हें ही दे दे एक मौलिक अधिकार के रूप में।

Pregnancy abortion Contraceptive Fundamental Rights Doctor
Advertisment