OTT Platforms: भारत में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स में कंटेंट को बहुत तेजी से प्रसारित किया जा रहा है। दर्शकों को ये काफी पसंद भी आ रहे हैं। खास बात ये है कि इसका दर्शक वर्क भले हर उम्र का हो लेकिन बच्चे और युवा ज्यादा ओटीटी प्रिफर करते हैं। बड़ों की अपेक्षा बच्चे ओटीटी से ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। ये बात बहुत से शोधों में सामने आई है।
ओटीटी प्लेटफार्म्स में सीधा कंटेंट को प्रसारित कर देने के चलते ये समस्या सामने आ रही है। फिर ओटीटी कंटेंट को कोई भी देख सकता है, इसके लिए किसी तरह की पाबंदी नहीं रहती, ऐसे में बच्चों का इसपर ज्यादा बुरा असर पड़ रहा है। ये बात सत्य है कि ओटीटी कई चीजें सामने लाता है, अमूमन जो बड़े पर्दे या छोटे पर्दों में नहीं दिखाई जा सकती हैं। नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम, इरोज जैसे बहुत से ओटीटी प्लेटफॉर्म्स हैं जिनको भारत में देखा जाता है।
ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का बच्चों पर क्या असर पड़ रहा है
ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का बच्चों या टीन पर निम्न असर देखा जा सकता है :-
नींद प्रभावित होना
बिंज वाच के चलते ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के कंटेट को बच्चे लगातार देखते हैं। एक के बाद एक देखा जाने वाला ये कंटेट बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है। बच्चे नींद को पूरा नहीं कर रहे हैं जिससे उनमें अन्य समस्याएं पैदा हो रही हैं।
मानसिक समस्याएं
ओटीटी में बहुत से ऐसे कंटेंट को दिखाया जाता है जिससे बच्चों की मानसिक स्थिति पर बुरा असर पड़ता है। बहुत दिनों तक बच्चों के दिमाग में सीन्स का रहना, बच्चों का देखे हुए सीन्स को रियल लाइफ में आजमाना जैसे बहुत से मुद्दे हैं जो ओटीटी से पैदा हो रहे हैं।
एब्यूजिव लैंग्वेज
ओटीटी के बाद से अब तो एब्यूजिव लैंग्वेज जैसे आम-सी हो गई है। बच्चे देखे गए कंटेट में डायलाग्स को दोहरा रहे हैं, वहीं उनमें यूज की गई भाषा का अपनी रियल लाइफ में प्रयोग कर रहे हैं। इससे स्थितियां गंभीर होती जा रही हैं और बच्चों के फ्यूचर के लिए भी सही नहीं है।
हिंसक प्रवृत्तियां
बच्चे जैसा देख रहे हैं ओटीटी में वैसा ही दोहरा रहे हैं। उनके लिए हिंसक गतिविधियां आम हो गई हैं। पेरेंट्स के टोकने के बाद बच्चों पर असर बुरा पड़ता है क्योंकि उन्हें समझ नहीं आता। उन्हें पेरेंट्स गलत नजर आते हैं। वहीं छोटी-छोटी बातों पर भी बच्चे एकदम हिंसक हो रहे हैं।
इस तरह ओटीटी प्लेटफॉर्म्स बच्चों पर विपरीत असर डाल रहा है। ऐसे में जरूरी है पेरेंट्स बच्चों को पहले से ही सावधान करें। बच्चे क्या देख रहे हैं इस पर पेरेंट्स को निगाह रखनी चाहिए वहीं किसी भी तरह की असामाजिक गतिविधि में पेरेंट्स को बच्चों को तुरंत समझाना है। इससे बच्चें गलत दिशा में जानें से बच सकते हैं।