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हिम्मत जोड़ने में महीनों लेकिन तोड़ने में सिर्फ एक मिनट लगता है
जैसे कि अभी फादर्स डे आया था और सभी ने अपने अपने फादर, पापा और पिता के साथ फोटोज डालीं और सभी जगह पोस्ट कीं। कोरोना के चलते ऐसे हज़ारों और लाखों लोग हैं, बच्चे हैं जो अपने माता पिता को खो चुके हैं। जब वो बच्चे बार बार सभी बच्चों के पिता और पेरेंट्स देखते हैं तो उन्हें बार बार वो चीज़ ट्रिगर होती है। इस से वो मेंटली काफी टूट जाते हैं। हिम्मत जोड़ने में महीनों लगते हैं लेकिन हिम्मत तोड़ने में सिर्फ एक मिनट लगता है।
सोशल मीडिया कैसे इमोशंस ट्रिगर कर सकता है?
हम नहीं जानते सामने वाला किस दौर से गुज़र रहा है या उस पर क्या बीत रही है। ऐसी सिचुएशन में बस हम थोड़े अलर्ट रह सकते हैं और सपोर्ट बन सकते हैं। सोशल मीडिया के ज़माने में हमें हर चीज़ प्रूफ करने किए आदत हो गयी है। अगर वैक्सीन लगवाई है तो उसकी फोटो डालेंगे, किसी को मिस कर रहे हैं तो उसकी फोटो डालेंगे। ऐसे में हम भूल जाते हैं कि सोशल मीडिया पर बाकि लोग भी आपके साथ जुड़े हैं और हम जो भी पोस्ट करते हैं वो भी वो देखते हैं और उसका उन पर मेंटली असर भी पढता है।
अपनों से बात करें और उनकी बात सुनें
कोरोना के चलते बहुत से लोगों ने अपने करीबी लोगों को खो दिया है। कोई अनाथ हो गया है तो किसी का आखिरी सहारा चला गया है। ऐसे में अगर आपका ऐसा कोई है जिसने किसी अपने को खोया है तो उनसे बात करें और उनकी बात सुनें। भले ही इंसान ऊपर से नार्मल दिखता है लेकिन वो अंदर से नार्मल नहीं होता है। कोरोना की लहर थी और लोगों को लगता है कि अब वो निकल चुकी है लेकिन किसी किसी का ये लहर सब कुछ ले गयी है।
सोशल मीडिया एक दूसरे के सपोर्ट के लिए इस्तेमाल करें
सोशल मीडिया के बहुत से फायदे हैं लेकिन धीरे धीरे नुक्सान ज्यादा होते जा रहे हैं। लोग एक दूसरे को नीचे दिखाते हैं, उनका मोराल डाउन करते हैं। ऐसा करने से हम हमारे फ्यूचर के लिए ही एक बड़ा गड्डा खोद रहे हैं जिस में हम सब एक दिन गिरेंगे। सिलिये सोशल मीडिया को अच्छे कामों के लिए इस्तेमाल करें। एक दूसरे के जुड़ें, सपोर्ट करें, पॉजिटिव लिखें और मोटीवेट करें। इसको सिर्फ अपनी आइडेंटिटी बिल्ड करने की जगह आपस में जुड़ने के लिए इस्तेमाल करें।