Perimenopause Signs: महिलाओं के शरीर में समय – समय पर हार्मोंस में बदलाव होते रहते हैं। ऐसे ही एक पेरिमेनोपाॅज भी है जिसमे शरीर में कई परिवर्तन नजर आते हैं और पीरियड्स की साइकिल भी अनियमित हो जाती है। इसकी अवधि महिलाओं में अलग अलग पाई जाती है। इस स्थिति में शरीर में कई समस्याओं का खतरा बढ़ने लगता है जैसे हृदय रोग, मोटापा और डायबिटीज़। पेरिमेनोपाॅज एक नेचुरल प्रोसेस ही है, इसे हर महिला को झेलना पड़ता है इस प्रक्रिया में ओवरीज अपना काम करना धीरे धीरे बंद कर देती हैं। इसके चलते ओव्यूलेशन अनियमित होने लगते हैं। कभी पीरियड साइकल लंबी हो जाती है, तो कभी ब्लड फ्लो में उतर चढाव आते है। इससे शरीर में कई लक्षण नजर आते है, तो आइए जाने आखिर क्या है वो 3 कॉमन साइन्स जो इस दौरान देखने को मिलते हैं।
पेरिमेनोपाॅज के दौरान नज़र आते है ये 3 कॉमन साइन्स
अनियमित पीरियड्स
पेरिमेनोपाॅज के समय ओव्यूलेशन पर असर होने के चलते पीरियड्स की समय सीमा बढ़ती घटती रहती है। ये अवधि 7 या उससे अधिक दिन तक हो सकती है। शरीर में हार्मोनल बदलाव के चलते इस समस्या का सामना करना पड़ता है, यदि पीरियड साइकल में 60 दिन या उससे अधिक गैप बना हुआ है तो इसका मतलब है की ऐसी महिलाएं पेरिमेनोपाॅज के आखिर फेस में हैं।
नींद न आना
नींद पर भी हार्मोन इंबैलेंस का प्रभाव पड़ता है। शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का लेवल कम होने से नींद की कमी बढ़ने लगती है। ये घटती प्रज्न क्षमता का साइन है। ऐसे में सही आहार के माध्यम से शरीर में सेरोटोनिन और मेलाटोनिन के लेवल को रेगुलेट करने में मदद मिलती है।
मूड स्विंग्स होना
बिहेवियर में चिड़चिड़ापन बढ़ना और चीज़ों को रखकर भूल जाना पेरिमेनोपाॅज का साइन है। इसके चलते डिप्रेशन का खतरा रहता है। आप मूड स्विंग की समस्या में उलझ भी सकते है इसमें कभी आप गुस्सा, खुश, दुख महसूस करेंगे इससे आपके रिश्तों पर भी असर पड़ता है। असल में शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन न प्रोड्यूस होने से भावनात्मक समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है।